मंगलवार, 15 जुलाई 2025

सेवानिवृत्ति वाले बयान से वरिष्ठ नेताओं की बढ़ी चिंता

संघ प्रमुख के बयान से उम्र दराज नेता हो रहे  असहज 


भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत द्वारा 75 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्ति को लेकर दिए गए बयान से मध्यप्रदेश भाजपा में सियासी हलचल तेज हो गई है। भागवत के इस बयान को लेकर पार्टी के कई वरिष्ठ नेता असहज नजर आ रहे हैं। कुछ नेताओं ने इसे आदर्श बताया है तो कुछ ने इसे अव्यवहारिक बताया है। प्रदेश में करीब एक दर्जन नेता ऐसे हैं, जो या तो इस उम्र सीमा में आ चुके हैं या जल्द पहुंचने वाले हैं, ऐसे में उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चा तेज हो गई है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सिर्फ उम्र के आधार पर किसी वरिष्ठ नेता को दरकिनार करना उचित नहीं है। कई बार अनुभव युवाओं से कहीं ज्यादा उपयोगी साबित होता है। वहीं नर्मदापुरम विधायक और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सीतासरन शर्मा ने संघ प्रमुख के बयान को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि एक तय उम्र के बाद नेताओं को खुद पहल करते हुए युवाओं को अवसर देना चाहिए। अगर पार्टी कहेगी, तो मैं खुद इस्तीफा देने को तैयार हूं। वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने बयान को अनुचित बताते हुए कहा कि “अगर कोई नेता 75 की उम्र के बाद भी सक्रिय रूप से पार्टी के लिए कार्य कर रहा है, तो उसे रिटायर करना तर्कसंगत नहीं है। योग्यता और क्षमता को भी महत्व देना चाहिए। वैसे देखा जाए तो संघ प्रमुख के बयान के बाद पार्टी नेतृत्व के सामने चुनौती है कि वह उम्र और अनुभव के संतुलन को कैसे साधे। भविष्य की राजनीति में युवाओं की भूमिका और वरिष्ठों की भागीदारी पर भाजपा की नीति अब नए मोड़ पर है।
चंद नेताओं पर लागू हुआ है उम्र का पैमाना
भाजपा में इससे पहले भी 75 की उम्र पार कर चुके नेताओं को किनारे किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व मंत्री सरताज सिंह, पूर्व मंत्री कुसुम महदेले और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन जैसे नेताओं को उम्र के आधार पर चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था। हालांकि, यह नियम सभी पर समान रूप से लागू नहीं किया गया।
ये नेता हैं 75 पार या नजदीक
मध्यप्रदेश में फिलहाल कई विधायक और नेता इस उम्र सीमा में हैं या अगले चुनाव तक पहुंच जाएंगे। इनमें  75 पारः नागेंद्र सिंह (गुढ़), नागेंद्र सिंह (नागोद), जयंत मलैया (दमोह), डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद), बिसाहूलाल सिंह (अनूपपुर), सत्यनारायण जटिया (उज्जैन) है। जबकि निकट भविष्य में 75 के करीबः गोपाल भार्गव (रहली), विश्वनाथ सिंह पटेल (तेदूखेड़ा), अजय विश्नोई (पाटन), रमाकांत भार्गव (बुधनी), ढाल सिंह बिसेन, गौरीशंकर बिसेन।

बुधवार, 9 जुलाई 2025

फिर दिखेगा बड़ा प्रशासनिक फेरबदल

जैन को नही मिली सेवावृद्धि तो नए मुख्य सचिव के लिए दौड़ होगी तेज


भोपाल। मध्यप्रदेश में अगले महीने एक बार फिर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल देखने को मिल सकता है। मौजूदा मुख्य सचिव अनुराग जैन और अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया अगस्त में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। ऐसे में यदि जैन को सेवावृद्धि नहीं मिली, तो प्रदेश को नया मुख्य सचिव मिलेगा और इसके लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की दौड़ शुरू हो जाएगी।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने 1 अक्टूबर 2024 को कार्यभार संभाला था। जैन की सेवावृद्धि को लेकर चर्चाएं तेज हैं, लेकिन अंतिम फैसला केंद्र की अनुमति और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सहमति से ही होगा। अगर सेवावृद्धि नहीं होती है, तो मुख्यमंत्री सचिवालय में अपर मुख्य सचिव रहे डा राजेश राजौरा सबसे वरिष्ठ दावेदार होंगे।  इसी के साथ केंद्र सरकार में सचिव पद पर कार्यरत वरिष्ठ आईएएस अलका उपाध्याय ने भी प्रदेश लौटने में रुचि दिखाई है। पशुपालन विभाग में सचिव के रूप में पदस्थ अलका बीते दो माह में मध्यप्रदेश के कई दौरों पर रही हैं, जिससे उनके सक्रिय होने के संकेत मिलते हैं। ऐसे में राजौरा के साथ अलका उपाध्याय भी मुख्य सचिव की दौड़ में मानी जा रही हैं।
सेवावृद्धि पर केंद्र और मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी
मुख्य सचिव की सेवा वृद्धि का फैसला पूरी तरह केंद्र सरकार की अनुमति और मुख्यमंत्री की सहमति पर निर्भर है। जैन को सेवा विस्तार नहीं मिलने की स्थिति में नए मुख्य सचिव की घोषणा अगस्त के पहले सप्ताह में हो सकती है।
गुप्ता होंगे 31 को सेवानिवृत्त
उज्जैन संभागायुक्त और धर्मस्व विभाग के प्रमुख संजय गुप्ता इसी माह 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। गुप्ता के सेवानिवृत्त होते ही मुख्यमंत्री के गृह जिले उज्जैन में नए संभागायुक्त की पदस्थापना की जाएगी। इसके लिए भी वरिष्ठ अफसरों के नामों पर मंथन शुरू हो गया है।

रविवार, 29 जून 2025

शिवराज के साथ मुख्यमंत्री निवास पहुंचे आदिवासी

मुख्यमंत्री के निर्देश पर हटाए गए सीहोर के डीएफओ


भोपाल। प्रदेश के खिवनी अभयारण्य का मामला गर्मा गया है। आदिवासियों को पट्टे से किए जा रहे बेदखली के मामले में कांग्रेस और जयस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा हैं, वहीं आज केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ प्रभावित आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री डा मोहन यादव से मुलाकात की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मामले को लेकर सीहोर के डीएफओ को हटाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने आदिवासियों को आश्वस्त पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।
देवास जिले के खातेगांव विधानसभा क्षेत्र के खिवनी अभयराण्य क्षेत्र के आदिवासियों के घर तोड़े जाने के मामले पर आदिवासी समाज का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बीते 23 जून को खिवनी में वन विभाग ने आदिवासियों के 50 से ज्यादा घरों पर बुल्डोजर चला दिया था। इस घटना को लेकर आदिवासी संगठन जयस और कांग्रेस सरकार पर हमलावर है। जयस और कांग्रेस नेताओं का प्रदर्शन जारी है। वहीं आज केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खिवनी के आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री डा मोहन यादव से मुलाकात की और आदिवासियों की समस्याओं से अवगत कराया।
सरकार प्रभावितों के साथ
मुख्यमंत्री डा यादव ने शिकायतों और आदिवासियों की पीड़ा को सुना। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्रवाई पर खेद व्यक्त करते हुए, स्थिति का उचित समाधान निकालने, शिकायतों की जांच करवाने, दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्यवाही करने और क्षेत्र के लोगों को सभी शासकीय योजनाओं का लाभ दिलवाने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री  ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावितों के साथ है। यह सुनिश्चित किया जाएगा की बरसात में किसी को कोई तकलीफ ना हो, राहत के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जांएगी।
डीएफओ का हटाया
आदिवासियों को वन क्षेत्र की जमीन से हटाने की करवाई से भड़के केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाराजगी के बाद मुख्यमंत्री डा मोहन यादव के निर्देश पर रविवार को सीहोर वन मंडल के वन मंडलाधिकारी (डीएफओ) मगन सिंह डाबर को हटा दिया गया है। उनकी जगह लघुवानोपज संघ की उप वन संरक्षक अर्चना पटेल को सीहोर डीएफओ बनाया गया है।
अधिकारी कर रहे सरकार की छवि खराब करने का काम
सीहोर कलेक्ट्रेट सभागार में शनिवार को हुई दिशा की बैठक के दौरान सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुंचे थे। आदिवासियों का आरोप था कि खिवनी अभयारण्य क्षेत्र में वन विभाग के अधिकारियों द्वारा आदिवासियों के मकान तोड़ने और जमीन से बेदखल करने की कार्रवाई की गई है, जिस पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान अधिकारियों पर भड़क गए। शिवराज सिंह ने कहा था कि वन विभाग के अधिकारी सरकार की छवि को खराब करने का काम कर रहे हैं। इसके चलते इस तरह की कार्रवाई की जा रही है।
शाह को लेना पड़ा ट्रैक्टर टाली का सहारा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर मंत्री विजय शाह रविवार को खिवनी गांव पहुंचे। इसके लिए उन्हें कई किमी तक पैदल चलना पड़ा। कीचड़ भरे रास्तों से होते हुए मंत्री विजय शाह किसी तरह गांव पहुंचे और प्रभावितों से बातचीत की। वनवासियों से मुलाकात करने के बाद उन्हें वापस लौटने के लिए ट्रैक्टर ट्रॉली में बैठना पड़ा।

मातृ-शिशु मृत्युदर पर उठाए सवाल, मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

करोड़ों  खर्च के बावजूद प्रदेश में नतीजे शून्य


भोपाल। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में सुधार न होने पर सरकार को घेरा है। उन्होंने हाल ही में जारी सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश की स्थिति देश में सबसे खराब है, जबकि सरकार इस दिशा में हजारों करोड़ खर्च कर चुकी है।
पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिख सवाल किया कि जब सरकार ने बीते पांच वर्षों में मातृ-शिशु स्वास्थ्य पर दस हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए, तब भी नतीजे निराशाजनक क्यों हैं? उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या यह पैसा सिर्फ चाय-नाश्ते और चर्चाओं पर खर्च किया गया? एसआरएस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में हर 1000 में से 40 नवजात एक वर्ष का होने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। पटवारी ने कहा कि 4500 करोड़ रुपए के वार्षिक स्वास्थ्य बजट के बावजूद यदि यह हाल है, तो यह दर्शाता है कि ‘कागजी विकास’ ही हो रहा है। उन्होंने कैग रिपोर्टों में उजागर कुपोषण से जुड़े घोटालों की भी पत्र में चर्चा की है।
अस्पतालों को बना दिया रेफरल सेंटर?
पटवारी ने स्वास्थ्य अधोसंरचना पर सवाल उठाते हुए बताया कि 2022 में राज्य के 547 स्वास्थ्य केंद्रों में से सिर्फ 120 में सिजेरियन डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध थी। उन्होंने पूछा कि क्या शेष अस्पताल सिर्फ नाम मात्र के हैं या उन्हें केवल ’रेफरल सेंटर’ बनाकर छोड़ दिया गया है? उन्होंने अंत में पूछा कि क्या “स्वस्थ मध्यप्रदेश” सरकार की प्राथमिकता में है, या फिर यह सिर्फ भाषणों और विज्ञापनों का एक सपना बनकर रह गया है?

शनिवार, 28 जून 2025

भाजपा को जल्द मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष, दौड़ में शामिल हुए उईके भी

महिला नेतृत्व की भी संभावना, वर्गवार कई दावेदार हैं दौड़ में


भोपाल। मध्यप्रदेश में भाजपा को जल्द ही नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने जा रहा है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, अध्यक्ष पद के नाम की घोषणा जुलाई के पहले सप्ताह में होने की संभावना है। प्रदेश अध्यक्ष चयन की प्रक्रिया के तहत एक जुलाई को नाम निर्देशन पत्र दाखिल किए जाएंगे, जिसके बाद भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में औपचारिक घोषणा की जाएगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में आदिवासी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले बैतूल सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उईके का नाम भी अब प्रमुखता से सामने आ रहा है। उईके वर्तमान में दूसरी बार बैतूल से सांसद हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में मंत्री हैं। प्रदेश की लगभग 22 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या, विशेषकर 13 प्रतिशत गोंड समुदाय, को देखते हुए भाजपा संगठन में उन्हें मजबूत दावेदार माना जा रहा है। इसके पहले बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल का नाम प्रबल दावेदारों के रूप में सामने आया था।
संघ की पृष्ठभूमि और आदिवासी समाज में मजबूत पकड़
दुर्गादास उईके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। राजनीति में कदम रखने से पहले वे सरकारी शिक्षक थे। आदिवासी समाज में वे एक निर्विवाद और स्वीकृत चेहरा माने जाते हैं। संगठनात्मक मामलों में संघ की सहमति को अहम माना जाता है, और ऐसा माना जा रहा है कि संघ, सत्ता और संगठनकृतीनों ही उईके के नाम पर सहमत हो सकते हैं।
महिला अध्यक्ष की भी चर्चा में
मध्यप्रदेश को भाजपा की राजनीतिक प्रयोगशाला माना जाता है, और ऐसे में पार्टी संगठनात्मक बदलावों के जरिए आगामी चुनावों के लिए नई रणनीति गढ़ने में जुटी है। इसके चलते प्रदेश भाजपा में महिला अध्यक्ष की भी संभावना जताई जा रही है। 2028 विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, जिसमें महिला आरक्षण और परिसीमन जैसे अहम मुद्दे होंगे, पार्टी महिला नेतृत्व को आगे लाकर बड़ा राजनीतिक संदेश देने की योजना पर भी विचार कर रही है।

वर्गवार प्रमुख दावेदार

ब्राह्मण वर्गः डॉ. नरोत्तम मिश्रा, राजेन्द्र शुक्ल, रामेश्वर शर्मा
वैश्य वर्गः हेमंत खंडेलवाल, सुधीर गुप्ता
क्षत्रिय वर्गः अरविंद भदौरिया, बृजेन्द्र प्रताप सिंह
अनुसूचित जातिः प्रदीप लारिया, लाल सिंह आर्य, हरिशंकर खटीक
अनुसूचित जनजाति : गजेन्द्र सिंह पटेल, दुर्गादास उईके, फग्गन सिंह कुलस्ते, सुमेर सिंह सोलंकी

रविवार, 15 जून 2025

संघ के सिद्धांतों को व्यवहार में उतारने का प्रयास

  ईको-फ्रेंडली व्यवस्थाओं का उदाहरण भी बना प्रशिक्षण वर्ग


भोपाल। मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में चल रहा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रशिक्षण शिविर जहां एक ओर पार्टी की विचारधारा और रणनीति को सुदृढ़ करने का माध्यम बना है, वहीं दूसरी ओर यह आयोजन पर्यावरण संरक्षण और ईको-फ्रेंडली व्यवस्थाओं का एक प्रेरणादायक उदाहरण भी बन गया है। शिविर को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त रखा गया है, और इसमें पानी की डिस्पोजेबल बोतलों के स्थान पर तांबे के लोटे और गिलास का उपयोग किया जा रहा है।
शिविर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के “पंच परिवर्तन“ के सिद्धांत  नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी, पर्यावरण, समरसता और कुटुंब को व्यवहार में उतारने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण शिविर की हर छोटी-बड़ी व्यवस्था में इन सिद्धांतों की स्पष्ट झलक दिखाई दे रही है। शिविर के दूसरे दिन रविवार सुबह भाजपा के सांसदों और विधायकों ने सामूहिक रूप से योग, प्राणायाम और ध्यान किया। इसके बाद सभी ने मिलकर संघ की प्रार्थना गाई। कुछ नेता पचमढ़ी की वादियों में सैर करते भी नजर आए। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समेत कई नेताओं ने जटाशंकर महादेव मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर महादेव दर्शन का एक वीडियो भी साझा किया।

तांबे के पात्र और जूट की प्रवेशिका

पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए शिविर में प्लास्टिक का पूरी तरह परित्याग किया गया है। पीने के पानी के लिए तांबे के लोटे और गिलास उपलब्ध कराए गए हैं, जिनका उपयोग सभी नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता कर रहे हैं। इसके अलावा, आयोजन में सभी प्रतिभागियों को जो पहचान पत्र (आईडी कार्ड) दिए गए हैं, वे भी प्लास्टिक मुक्त हैं। यह प्रवेशिका जूट के कपड़े से बनी है और इसकी डोरी भी जूट की ही है। यह न केवल पर्यावरण हितैषी कदम है, बल्कि स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को भी बढ़ावा देता है।
पंच परिवर्तन के सिद्धांतों की झलक
शिविर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंच परिवर्तन सिद्धांतों को व्यवहार में लाने की पहल की जा रही है। पर्यावरण-संवेदनशील व्यवस्थाएं, प्लास्टिक मुक्त वातावरण, तांबे के बर्तनों का उपयोग, और जूट की प्रवेशिका इस बात के प्रमाण हैं कि भाजपा और संघ अपने मूल सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में भी जीवंत बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं।

मंगलवार, 10 जून 2025

खूनी हनीमूनः एक विवाह और एक षड्यंत्र की त्रासदी


इंदौर के नामचीन ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी की शादी की खुशियाँ अभी सजीव थीं, शहनाइयों की गूँज अभी थमी नहीं थी कि एक हृदयविदारक खबर ने सबको झकझोर कर रख दिया। यह शादी, जो 11 मई 2025 को सोनम से हुई थी, कुछ ही दिनों में एक भयावह त्रासदी में बदल गई। राजा की रहस्यमयी मौत ने न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। मेघालय पुलिस ने इस दिल दहला देने वाले मामले को “ऑपरेशन हनीमून” नाम दिया, और जो कहानी सामने आई, वह किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं थी।

प्रेम, धोखा और सुपारीः हत्या की नींव

शुरुआती जांच में सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ, जब पता चला कि राजा की हत्या का मास्टरमाइंड कोई और नहीं, बल्कि उनकी नई नवेली पत्नी सोनम रघुवंशी ही थी। सोनम का रिश्ता पहले से ही राज कुशवाहा नामक युवक से चल रहा था, जो राजा की ही फैक्ट्री में कार्यरत था। इस अवैध रिश्ते ने एक भयावह मोड़ तब लिया, जब दोनों ने राजा को रास्ते से हटाने की साजिश रची। हत्या के लिए दस लाख रुपये की सुपारी दी गई थी। यह भयावह तथ्य सामने आया कि सोनम और राज की योजना थी कि शादी के तुरंत बाद ही राजा को खत्म कर दिया जाए।

हनीमून पर मौत की स्क्रिप्ट

20 मई को राजा और सोनम हनीमून पर मेघालय रवाना हुए। यह वही यात्रा थी, जिसे सोनम ने पूरी योजना के साथ चुना था। 23 मई को दोनों लापता हो गए। लगातार प्रयासों के बाद 2 जून को राजा का शव चेरापूंजी की एक गहरी खाई से मिला। शव की हालत और प्राप्त सबूतों से यह स्पष्ट हुआ कि राजा पर पहले क्रूरता से हमला किया गया, उसकी सोने की चेन और अंगूठी छीनी गई और फिर उसे खाई में फेंक दिया गया। आशंका है कि जब राजा को खाई में फेंका गया, वह तब भी जीवित था। यह नृशंसता एक ऐसे अपराध की ओर इशारा करती है, जिसमें मानवीयता का कोई स्थान नहीं बचा।

पुलिस की कार्यवाही और गिरफ्तारियाँ

मेघालय पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए सोनम, उसके प्रेमी राज कुशवाहा और तीन भाड़े के हत्यारों दृ आकाश राजपूत, विशाल और आनंद कुर्मी दृ को गिरफ्तार किया। सोनम ने अंततः 9 जून को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में आत्मसमर्पण कर दिया। उसे शिलांग ले जाकर पूछताछ की जा रही है। इस मामले में तीन राज्यों  मध्य प्रदेश, मेघालय और उत्तर प्रदेश का आपराधिक कनेक्शन सामने आया, जो इस अपराध की जटिलता और पूर्व-नियोजन को दर्शाता है।

परिवार का दर्द और न्याय की गुहार

राजा की माँ, उमा रघुवंशी, इस त्रासदी से उबर नहीं पा रही हैं। वे कहती हैं, “सोनम के कहने पर ही राजा शिलांग गया था। सोनम ने जानबूझकर वापसी की बुकिंग नहीं करवाई थी। सब पहले से तय था।“ परिवार की ओर से यह मांग की जा रही है कि इस जघन्य अपराध में शामिल सभी दोषियों को फाँसी दी जाए, ताकि राजा को सच्चा न्याय मिल सके।

रिश्तों की सतह के नीचे छुपा खतरा

यह घटना एक बार फिर यह प्रश्न उठाती है कि क्या हम अपने रिश्तों को सही से पहचान पा रहे हैं? “खूनी हनीमून“ की यह दास्तान बताती है कि जब रिश्ते धोखे और लालच के गर्त में डूब जाएँ, तो उनका अंजाम कितना खौफनाक हो सकता है।

समाज के लिए चेतावनी भी

राजा रघुवंशी की हत्या केवल एक व्यक्ति की जान लेने का मामला नहीं है; यह उन अनगिनत कहानियों में से एक है जो बताती हैं कि विश्वासघात और लालच मिलकर इंसान को किस हद तक गिरा सकते हैं। “ऑपरेशन हनीमून“ जैसे मामलों की सच्चाई सामने लाना और अपराधियों को सज़ा दिलाना केवल एक परिवार को न्याय दिलाना नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी बनाना भी है। उम्मीद है कि इस केस में न्याय होगा और राजा को वह इंसाफ मिलेगा, जिसकी उसकी आत्मा पुकार कर रही है।