कांग्रेस की आदिवासी वोट बैंक साधने की रणनीति
मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलांे ने विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर मैदानी सक्रियता बढ़ाना षुरू कर दिया है। कांग्रेस अब आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद में जुट गई है। कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह आदिवासी अंचलों में जाकर चौपाल लगाएगी और सरकार की नागामी को गिनाएगी।
प्रदेश में भाजपा की आदिवासी वर्ग की आरक्षित सीटों पर बढ़ती सक्रियता को देख अब कांग्रेस ने भी इन सीटों पर फोकस कार्यक्रम करने की रणनीति तय की है। कांग्रेस को इस बात की ंिचता है कि कहीं उसके हाथ से यह वोट बैंक छीटक न जाए। वैसे राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस के विधायकों ने झटका देकर क्रॉस वोटिंग की है, उससे वह अब तक उबर नहीं पाई है। इसके चलते अब कांग्रेस ने अपने विधायकों के साथ-साथ आदिवासी वर्ग के मतदाता को साधने की रणनीति पर काम करना शुरू किया है। कांग्रेस ने तय किया है कि प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लोगों पर हो रहे अत्याचार और आदिवासियों की अन्य समस्याओं को लेकर उनके बीच पहुंच जाए। इसके लिए अब उसने आदिवासी अंचलों में चौपाल लगाने का फैसला किया है।
कांग्रेस का आदिवासी विभाग भगवा ब्रिगेड की मॉब लिंचिंग सरीखे मुद्दों के जरिए 89 ब्लॉकों में सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की तैयारी शुरु कर रहा है। कांग्रेस आदिवासी विभाग के अध्यक्ष और विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने बताया कि नेमावर, सिवनी, लटेरी जैसी हिंसक घटनाओं पर अब तक पीड़ितांे को इंसाफ नहीं मिला है। हम प्रदेष के आदिवासी अंचलों में जाकर आदिवासियों के साथ चौपाल कार्यक्रम आयोजित करेंगे और उनके बीच ही उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करेंगे। इस दौरान सरकार की नाकामियों को भी गिनाया जाएगा। बाद में आदिवासी वर्ग की समस्याओं को लेकर प्रदेष स्तर पर आंदोलन भी किए जाएंगे।
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