सोमवार, 6 जून 2016

तेज हुए सियासी दांव-पेंच


* भाजपा ने बढ़ाई सक्रियता, मंत्री नरोत्तम पहुंचे भाजपा कार्यालय, बोले देखा आगे-आगे क्या होगा

राज्यसभा में मतदान के पहले वोटों के लिए सियासी दांव-पेंच तेज हो गए हैं. कांग्रेस को बसपा का समर्थन मिलने से भाजपा में वरिष्ठ नेताओं की बैठकों का दौर तेज हो गया है. वहीं कांग्रेस भी इस मामले में विधायकों पर कसावट कर रही है. भाजपा ने एक बार फिर जोड़-तोड़ में माहिर स्वास्थ्य मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा पर भरोसा जताया और आज उन्हें प्रदेश कार्यालय बुलाकर चर्चा की. 
भाजपा ने निर्दलीय प्रत्याशी विनोद गोटिया के पक्ष में मतदान कराने और उन्हें विजय बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें कर रणनीति बनानी शुरु कर दी है. हालांकि प्रदेश संगठन फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कोयम्बटूर से आने का इंतजार कर रहा है. वहीं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर खुद बुधवार से राजधानी में डेरा डालेंगे. तोमर के आने के बाद बैठकों का दौर तेज होगा. आज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान से स्वास्थ्य मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचकर मुलाकात की. हालांकि मिश्रा ने इस मुलाकात को सामान्य बताया. उन्होंने कहा कि वे जब भोपाल रहते हैं, तो प्रदेश कार्यालय जाते हैं. मगर सूत्रों की माने तो डा. मिश्रा गोटिया के पक्ष में जमावट की रणनीति पर चर्चा करके आए हैं. वैसे भी उन्हें ग्वालियर-चंबल के अलावा महाकौशल की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि वे सामान्य चर्चा के लिए आए थे, राज्यसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि देखा आगे-आगे क्या होता है. सब सामने आएगा. वहीं सामान्य प्रशासन मंत्री लाल सिंह आर्य भी आज निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में मैदान में उतरे. उन्होंने कहा कि बसपा का कांग्रेस को समर्थन आंबेडकर के नाम पर दलित प्रेम की नौटंी है. कांग्रेस ने आंबेडकर को 1952-53 का उपचुनाव हराया. बसपा का लक्ष्य आंबेडकर की नीतियों पर चलना नहीं बल्कि सत्ता पाना रह गया है. भाजपा में आज गोटिया के पक्ष में रणनीतिकारों से चर्चा कर असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में लाने पर चर्चा होती रही.
बसपा विधायकों से चर्चा करेंगे राजाराम
भाजपा द्वारा यह बात कहने पर कि बसपा विधायक  दल में विभाजन होगा, इसके बाद मायावती ने अपने विश्वसनीय और मध्यप्रदेश के बसपा प्रभारी राजाराम को भोपाल जाने का निर्देश दिया है. राजाराम 8 जून को भोपाल आएंगे और प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के अलावा चारों विधायकों से अलग-अलग चर्चा करेंगे. सूत्रों की माने तो राजाराम विधायकों को एकजुट होकर केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश का पालन करने को कहेंगे. वे इस दिन व्हीप भी जारी करेंगे. सूत्रों की माने तो राजाराम और दूसरे प्रदेश प्रभारी सुमरतसिंह दोनों ही 11 जून तक भोपाल में डेरा डाले रहेंगे.

बैठक में नहीं पहुंचे कांग्रेस के पूरे विधायक


* अहिरवार की अनुपस्थिति ने गोटिया के पक्ष में जाने के दिए संकेत

कांग्रेस विधायक दल की बैठक में दिल्ली से भोपाल पहुंचे दिग्गज तो शामिल हुए, मगर पार्टी के 5 विधायक अनुपस्थित रहे. इनमें एक जतारा से कांग्रेस विधायक दिनेशचंद्र अहिरवार की अनुपस्थिति चर्चा में रही. माना जा रहा है कि वे निर्दलीय प्रत्याशी विनोद गोटिया के पक्ष में मतदान करेंगे. बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली से दिग्विजयसिंह, कमलनाथ,     मोहनप्रकाश दोपहर को भोपाल पहुंचे. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव भी बैठक में शामिल हुए.
राज्यसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस विधायकों की बैठक आज राजधानी में बुलाई गई. बैठक में 5 विधायकों के शामिल न होने की बात सामने आई हैं. इन पांच विधायकों में जतारा विधायक दिनेश चंद्र अहिरवार, सिरोंज विधायक गोर्वधन उपाध्याय, नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे, बड़वानी विधायक रमेश पटेल और नागौद विधायक यादवेन्द्र सिंह अनुपस्थित रहे. कटारे का इलाज मुंबई में चल रहा है, इस कारण वे बैठक से दूर रहे, जबकि पटेल जेल में बंद हैं. वहीं उपाध्याय इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती है, जहां उनका इलाज चला रहा है. वहीं यादवेन्द्र सिंह अपने पिता के निधन होने के कारण बैठक में नहीं पहुंचे. जबकि जतारा विधायक लोकसभा चुनाव से ही भाजपा के पक्ष में चल रहे हैं. उनके बैठक में न पहुंचने से इस बात का साफ संकेत मिला है कि कांगे्रस प्रत्याशी को मतदान नहंी करेंगे. बैठक करीब ढ़ाई घंटे से ज्यादा समय तक चली.  
उल्लेखनीय है कि कांगे्रस प्रत्याशी विवेक तन्खा को जीतने के लिए 58 वोट की जरुरत है और कांग्रेस के पास 57 वोट हैं. मगर इनमें अहिरवार के अलावा कटारे एवं पटेल को डाकमत पत्र से मतदान कराने के लिए आयोग ने अपनी स्वीकृति नहीं दी है. इस कारण कांगे्रस के 3 वोट कम हो कसते है, मगर कटारे और पटेल के मामले में कांग्रेस अदालत की शरण में पहुंची है.  अदालत के फैसले पर ही कांग्रेस के पक्ष में ये दो वोट जा सकेंगे. 

गुरुवार, 2 जून 2016

विधायकों के मौन ने बढ़ाई चिंता

भाजपा, कांगे्रस दिल्ली में बना रही रणनीति
राज्यसभा के लिए मतदान की स्थिति निर्मित होने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए निर्दलीय और बसपा के विधायकों का मौन चिंता बन गया है. दोनों ही दल दिल्ली में बैठकर चुनाव फतह करने की रणनीति बना रहे हैं.
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 1 सीट के लिए मतदान की स्थिति निर्मित हो जाने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सक्रियता बढ़ा दी है. भाजपा इस मामले में ज्यादा चिंतित है और वह संगठन पदाधिकारियों के अलावा मंत्रियों को सक्रिय कर कांग्रेस के विधायकों पर नजरें टिकाए हुए है. इसके अलावा बसपा एवं निर्दलियों पर भी उसकी नजर टिकी हुई है. भाजपा ने पहले संगठन पदाधिकारियों को सक्रिय कर अंचलवार उनकी तैनाती कर विधायकों की जोड़-तोड़ के लिए काम शुरु किया, वहीं अब प्रदेश के आधा दर्जन मंत्रियों को इस काम में लगा दिया है, जिन मंत्रियों को सक्रिय किया गया है, उनमें डा. नरोत्तम मिश्रा, राजेन्द्र शुक्ला, रामपालसिंह, भूपेन्द्र सिंह और लाल सिंह आर्य हैं. इनमें नरोत्तम मिश्रा को महाकौशल अंचल की कमान सौंपी है, जबकि भूपेन्द्र सिंह को बुंदेलखंड और राजेन्द्र शुक्ला को विंध्य में सक्रिय किया है. भाजपा ने जीत के लिए रणनीति दिल्ली में बैठकर बनानी शुरु कर दी है. आज मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी दिल्ली में थे और संगठन पदाधिकारियों से उनकी चर्चा भी इसी मुद्दे पर हुई है.
भाजपा के अलावा कांगे्रस ने भी दिल्ली में सक्रियता दिखाई है. वरिष्ठ नेताओं दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के बंगले पर बैठकर बुधवार की रात चर्चा की. इस बैठक में विवेक तन्खा भी थे. इसके बाद आज भी दिन में ये नेता दिल्ली में सक्रिय रहे और रणनीति बनाते रहे. सूत्रों की माने तो इन नेताओं ने पहले कांग्रेस   विधायकों को विश्वास में लेकर कदम बढ़ाने की बात कही है. इसके अलावा बसपा और निर्दलीय विधायकों को किस तरह से कांग्रेस के पक्ष में लाया जाए इसका गुणा-भाग भी किया है. कुल मिलाकर कांग्रेस के दिग्गिज नेता पहली बार दिल्ली में इस तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं. फिलहाल तो इन नेताओं ने पत्ते नहीं खोले हैं, मगर वे अब अपने समर्थकों  को  कांग्रेस विधायकों पर नजरें रखने के लिए सक्रिय कर रहे हैं. 
भाजपा का बढ़ा एक वोट
राज्यसभा चुनाव के लिए एक-एक वोट की जुगाड़ कर रही भाजपा के लिए घोड़ाडोंगरी की जीत ने एक वोट बढ़ा दिया है. अभी तक भाजपा के खाते में 165 वोट थे और उसे 9 वोट की आवश्यकता थी, मगर आज जब चुनाव परिणाम आया तो उसके एक वोट बढ़ा और अब 8 वोट के लिए उसे जद्दोजहद करनी है. भाजपा के संपर्क में कांग्रेस के जतारा से जीते विधायक पहले से ही हैं, वहीं आधा दर्जन विधायकों को भाजपा तोड़ने की योजना में भी जुट गई है.

वोटों के गणित में उलझे नेता

 बसपा को मायावती के फैसले का इंतजार, दो निर्दलियों पर तन्खा को भरोसा

राज्यसभा के लिए एक सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन भरने के बाद निर्मित हुई मतदान की स्थिति को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल मतों के गणित में उलझ गए हैं. दोनों ही दलों ने विधायकों को लेकर जमावट शुरु कर दी है. 
विनोद गोटिया के नामांकन भरने के बाद कांग्रेस नेताओं की चिंता कुछ ज्यादा बढ़ी है. खुद प्रत्याशी विवेक तन्खा स्वयं अब विधायकों से संपर्क कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस संगठन भी वरिष्ठ नेताओं के जरिए विधायकों को साध रहा है. कांग्रेस को वैसे तो जतारा के दिनेश अहिरवार को छोड़कर सभी विधायकों पर भरोसा है, मगर इसके बाद भी वह किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रही है. वहीं तन्खा को तीन निर्दलीय विधायकों में से एक को छोड़कर निर्दलीय विधायकों पर यह भरोसा है कि वे उनके पक्ष में जाएंगे. वहीं मंगलवार को बसपा ने जिस तरह से इस बात के संकेत दिए थे कि वह भाजपा को समर्थन दे सकती  है, उसके सुर भी आज बदले नजर आए. बसपा के विधायकों को मंगलवार की शाम को ही मायावती का संदेश मिल गया है कि वे बहनजी के कहने के बाद ही कोई कदम उठाएं. जब तक मायावती का निर्देश नहीं मिले, तब तक किसी तरह से किसी दल के संपर्क में न रहें. इस निर्देश के बाद बसपा के चारों विधायकों ने एक तरह से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से दूरी बना ली है.
भाजपा ने क्षेत्रवार सौंपी जिम्मेदारी
भारतीय जनता पार्टी ने गोटिया को मैदान में उतार कर खुद का संकट बढ़ा लिया है. भाजपा के प्रदेश संगठन पर अब मैदान फतह करने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व का दबाव बढ़ता जा रहा है. भाजपा जिस तरह से मतदान कराकर जीत को आसान मान रही थी, वहीं उसके लिए अब मुसीबत भी बन रही है. बसपा के विधायक अगर भाजपा का साथ नहीं देंगे तो उसके लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. भाजपा को पहले यह उम्मीद थी कि मैहर उपचुनाव में जिस तरह से बसपा ने प्रत्याशी उतारकर भाजपा प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी को मदद की थी, उसी तर्ज पर इस बार भी उसे मदद मिलेगी, मगर इस बार मायावती ने संदेश के बाद बसपा विधायक मौन हो गए हैं. इसे देखते हुए भाजपा ने अब क्षेत्रवार संगठन नेताओं को जिम्मेदारी देकर कहा है कि जीत के आंकड़े को छूने के लिए विधायकों को अपने पक्ष में करें. सूत्रों की माने तो बुंदेलखंड की जिम्मेदारी शैलेन्द्र बरुआ, ग्वालियर, चंबल की जिम्मेदारी चौधरी राकेश सिंह  चतुर्वेदी, वेदप्रकाश शर्मा, को सौंपी है. इसके अलावा कांग्रेस विधायकों को तोड़ने के लिए भी संगठन पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं. वहीं विंध्य में अजय प्रतापसिंह के अलावा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और सतना सांसद गणेश सिंह को सक्रिय किया गया है. इसके अलावा मालवा अंचल में केन्द्रीय नेतृत्व कैलाश विजयवर्गीय को सक्रिय कर रहा है.
यह है वोटों का गणित
भाजपा के विधायक- 166
कांगे्रस के विधायक- 57
बसपा के विधायक- 04
 निर्दलीय विधायक-03
कांग्रेस को बगावत की आशंक-01
भाजपा को चाहिए - 08 विधायक
कांग्रेस को चाहिए- 02 
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नोट: कांग्रेस के एक विधायक दिनेश अहिरवार लोकसभा चुनाव से ही भाजपा के साथ हैं, उनके खिलाफ दल-बदल कानून का मामला विस में दिया, मगर फैसला बाकी है.