शुक्रवार, 16 सितंबर 2022

आदिवासियों को साधने भाजपा के दिग्गज उतरे मैदान में

 विधानसभा चुनाव 2023 के मद्देनजर भाजपा का पूरा फोकस आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 46 सीटों पर है। इन सीटों के लिए वह पूरी रणनीति के साथ काम कर रही है। अब राज्य के जिन नगर पालिका और नगर परिषदों में चुनाव हो रहे हैं उनमें आदिवासी वर्ग की संख्या को देखते हुए भाजपा के दिग्गज नेताओं ने मैदानी सक्रियता बढा दी है। भाजपा के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री, प्रदेष संगठन महामंत्री और खुद प्रदेष अध्यक्ष इन दिनों इन क्षेत्रों में सक्रियता दिखा रहे हैं। 

प्रदेश  में 17 नगर पालिका और 29 नगर परिषदों के लिए चुनाव हो रहे हैं। इनमें अधिकांश स्थान आदिवासी बहुल आते हैं। इसे देखकर संगठन ने अब रणनीति के तहत अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। प्रदेश  भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा ने बैतूल, प्रदेश के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल ने झाबुआ-अलीराजपुर और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने मंडला जिले में सक्रियता बढ़ाई है। जामवाल ने अपने दूसरे प्रदेश प्रवास के दौरान इंदौर पहुंचकर सीधे झाबुआ-अलीराजपुर की ओर रूख किया और वे वहां के आदिवासी मतदाताओं के बीच पहुंचे और उनका रूख टटोला। वहीं अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा एवं प्रदेश  संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भी नगरीय चुनाव के बहाने आदिवासी वर्ग में सक्रियता दिखाकर मतदाता का मन टटोल रहे हैं। कुल मिलाकर भाजपा संगठन का फोकस आदिवासी वर्ग की आरक्षित 46 सीटों पर है। इन सीटों पर भाजपा को 2018 के चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा था, इसके चलते भाजपा इस बार किसी तरह की कोई कमजोरी इन सीटों पर नहीं रहने देना चाह रही है। 

मंत्रियों को भी सौंपी जिम्मेदारी

नगरीय निकाय चुनाव को देखते हुए खुद मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने इन क्षेत्रों में मंत्रियों को भी जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही विधायकों को भी सक्रिय किया है। साथ ही विधायक दल की बैठक में इन्हें साफ कहा गया है कि पहली प्राथमिकता इन निकाय चुनाव को दें, खासकर आदिवासी वर्ग के मतदाताओं के बीच पहुंचे और उन्हें योजनाओं की जानकारी दें। यह भी देखंे कि उन्हें योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं। 


रविवार, 21 अगस्त 2022

आदिवासी अंचलों में लगेगी चौपाल, सरकार की गिनाएंगे नाकामी

कांग्रेस की आदिवासी वोट बैंक साधने की रणनीति


मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलांे ने विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर मैदानी सक्रियता बढ़ाना षुरू कर दिया है। कांग्रेस अब आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद में जुट गई है। कांग्रेस ने फैसला किया है कि वह आदिवासी अंचलों में जाकर चौपाल लगाएगी और सरकार की नागामी को गिनाएगी।
प्रदेश में भाजपा की आदिवासी वर्ग की आरक्षित सीटों पर बढ़ती सक्रियता को देख अब कांग्रेस ने भी इन सीटों पर फोकस कार्यक्रम करने की रणनीति तय की है। कांग्रेस को इस बात की ंिचता है कि कहीं उसके हाथ से यह वोट बैंक छीटक न जाए। वैसे राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस के विधायकों ने झटका देकर क्रॉस वोटिंग की है, उससे वह अब तक उबर नहीं पाई है। इसके चलते अब कांग्रेस ने अपने विधायकों के साथ-साथ आदिवासी वर्ग के मतदाता को साधने की रणनीति पर काम करना शुरू किया है। कांग्रेस ने तय किया है कि प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लोगों पर हो रहे अत्याचार और आदिवासियों की अन्य समस्याओं को लेकर उनके बीच पहुंच जाए। इसके लिए अब उसने आदिवासी अंचलों में चौपाल लगाने का फैसला किया है।
कांग्रेस का आदिवासी विभाग भगवा ब्रिगेड की मॉब लिंचिंग सरीखे मुद्दों के जरिए 89 ब्लॉकों में सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की तैयारी शुरु कर रहा है। कांग्रेस आदिवासी विभाग के अध्यक्ष और विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने बताया कि नेमावर, सिवनी, लटेरी जैसी हिंसक घटनाओं पर अब तक पीड़ितांे को इंसाफ नहीं मिला है। हम प्रदेष के आदिवासी अंचलों में जाकर आदिवासियों के साथ चौपाल कार्यक्रम आयोजित करेंगे और उनके बीच ही उनकी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करेंगे। इस दौरान सरकार की नाकामियों को भी गिनाया जाएगा। बाद में आदिवासी वर्ग की समस्याओं को लेकर प्रदेष स्तर पर आंदोलन भी किए जाएंगे।

जोमैटो ने मांगी माफी, हटाया विज्ञापन

महाकाल थाली विवाद पर गृह मंत्री ने दिए थे जांच के निर्देश


महाकाल की थाली वाले विज्ञापन को लेकर फूड कंपनी जोमैटो ने माफी मांगी है। साथ ही विज्ञापन को भी हटा दिया हैं। महाकाल मंदिर के पुजारियों के विरोध के बाद मध्यप्रदेष के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उज्जैन एसपी को वीडियो की जांच करने के निर्देष दिए थे।
दरअसल, ऑनलाइन फूड डिलेवरी कंपनी जोमैटो ने अपने विज्ञापन में महाकाल मंदिर उज्जैन से जोड़ते हुए महाकाल थाली पर एड बनाया है। कंपनी का यह विज्ञापन फिल्म अभिनेता ऋतिक रोशन ने किया है। विज्ञापन में फिल्म एक्टर ऋतिक रोशन कह रहे हैं कि थाली का मन किया, उज्जैन में हैं, तो महाकाल से मंगा लिया। इस विज्ञापन को देखने के बाद से उज्जैन में महाकाल मंदिर के प्रबंधन ने जोमैटो कंपनी और विज्ञापन में अभिनय करने वाले ऋतिक रोशन से माफी मांगने की मांग करते हुए विज्ञापन को तत्काल प्रभाव से बंद करने की अपील की हैं।  इस विवाद को लेकर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस वायरल वीडियो पर बयान देते हुए कहा कि एसपी उज्जैन को वीडियो की सत्यता जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। गृहमंत्री ने कहा कि शुरुआती दौर में वीडियो मॉर्फ लग रहा है।
कंपनी ने दी सफाई
विरोध के बाद जोमैटो कंपनी ने विज्ञापन को हटा लिया और माफी भी मांगी है। जोमैटो ने अपनी सफाई में कहा है कि यह विज्ञापन उनके भारत भर में जारी कैंपेन का हिस्सा है। इसमें वह स्थानीय तौर पर प्रसिद्ध फूड आउटलेट्स के सबसे अधिक चर्चित मेन्यू को प्रमोट कर रहे हैं। हम उज्जैन के लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं। इस विज्ञापन को बंद कर दिया गया है। हमारा मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। हम इसके लिए माफी मांगते हैं।
 

महाकाल थाली विवाद, एसपी को दिए जांच के निर्देश


अभिनेता ऋतिक रोशन के कथित महाकाल की थाली वाले वीडियो को लेकर मामला गर्मा गया है। इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि उज्जैन एसपी को वीडियो की जांच करने के निर्देश दिए हैं। प्रथम दृष्टया यह वीडियो मॉर्फ लग रहा है। 

दरअसल, ऑनलाइन फूड डिलेवरी कंपनी जोमैटो ने अपने विज्ञापन में महाकाल मंदिर उज्जैन से जोड़ते हुए महाकाल थाली पर एड बनाया है। कंपनी का यह विज्ञापन फिल्म अभिनेता ऋतिक रोशन ने किया है। विज्ञापन में फिल्म एक्टर ऋतिक रोशन कह रहे हैं कि थाली का मन किया, उज्जैन में हैं, तो महाकाल से मंगा लिया। इस विज्ञापन को देखने के बाद से उज्जैन में महाकाल मंदिर के प्रबंधन ने जोमैटो कंपनी और विज्ञापन में अभिनय करने वाले ऋतिक रोशन से माफी मांगने की मांग करते हुए विज्ञापन को तत्काल प्रभाव से बंद करने की अपील की हैं।  

इस विवाद को लेकर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री  मिश्रा ने इस वायरल वीडियो पर बयान देते हुए कहा कि एसपी उज्जैन को वीडियो की सत्यता जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। गृहमंत्री ने कहा कि शुरुआती दौर में वीडियो मॉर्फ लग रहा है। इस वायरल वीडियो में ऋतिक रोशन महाकाल थाली ऑर्डर करने की अपील कर रहे हैं। तो वहीं महांकाल मंदिर के पुजारियों ने जोमैटो के विज्ञापन पर आपत्ति की है।

शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

भाजपा, अबकी बार दो सौ पार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा हार गए तो जीतने की तैयारी शुरू कर दो

मुख्यमंत्री  शिवराज   सिंह चौहान ने कहा कि हार गए तो जीतने की तैयारी शुरू कर दो, गिरो और कपड़े छाड़ों और चल दो, क्योंकि हार से मन पर असर नहीं पड़ता। अबकी बार तय करो, दो सौ पार।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात आज प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित एक बैठक के दौरान कही। दरअसल प्रदेश कार्यालय में आयोजित कुशाभाऊ ठाकरे की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने इस दौरान बंद कमरे में नेताओं, कार्यकर्ताओं के साथ बैठक भी की। इस बैठक में उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर नया नारा अबकी बार दो सौ पार दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हार गए तो जीतने की तैयारी ष्षुरू कर दो, गिरो और कपड़े छाड़ों और चल दो, क्योंकि हार से मन पर असर नहीं पड़ता। अबकी बार तय करो, दो सौ पार। बैठक में सभी को संभलकर बयानबाजी देने की नसीहत भी दी गई।
जिसने पार्टी का फैसला नहीं माना, उसे भुगतना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं देखता हूं, मै घमंडी तो नहीं हो गया। मैं हमेशा अपने आप को तोलता रहता हूं। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए नसीहत देते हुए कहा कि मैं सबसे दो टूक कहना चाहता हूं कि जिन्होंने पार्टी के फैसले को नहीं माना उसे भुगतना होगा। बता दें कि इस बार के निकाय और पंचायत चुनाव में बागी नेताओं की लंबी सूची हैं, जिसने पार्टी के फैसले को न मानते हुए बगावत की थी।
जीत-हार सभी परिस्थितियों में एक समान रहे स्वर्गीय ठाकरे
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जो हर परिस्थिति में एक समान हो वही मुझे प्रिय है। कुशाभाऊ ठाकरे का जीवन इसका अनुपम उदाहरण है। वह जीत-हार सभी परिस्थितियों में एक समान रहे और संगठन को गढ़ते रहे। जब डॉ. मुरली मनोहर जोशी  श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराने गए तब हजारों कार्यकर्ताओं के जोश को आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरे के एक वाक्य ने अनुशासित कर दिया था। उन्होंने कहा कि कुशाभाऊ ठाकरे का जीवन संगठन को गढ़ने और कार्यकर्ताओं के संरक्षण के लिए समर्पित रहा। उनके साथ अनेकों स्मृतियां हैं, जब उन्होंने कार्यकर्ताओं के लिए स्वयं भी छोटा से छोटा काम करने में भी परहेज नहीं किया।

शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

सामाजिक सम्मेलन कर वोट बैंक साधने की तैयारी में कांग्रेस

28 से शुरू होगा अलग-अलग समाजों के सम्मेलन आयोजित करने का सिलसिला


प्रदेश में कांग्रेस अब समाजों का साधने की तैयारी कर रही है। इसकी शुरूआत 28 अगस्त को सिंधी समाज के सम्मेलन के साथ होगी। कांग्रेस की इस कवायद को भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी करना माना जा रहा है। 

कांग्रेस ने अब 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। मैदानी मोर्चा पर वह पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखना चाहती है। इसके चलते अब समाजों के सम्मेलन कर भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस ने इस रणनीति के तहत 28 अगस्त को राजधानी भोपाल में सिंधी समाज का सम्मेलन आयोजित किया है। सम्मेलन में सिंधी समाज के प्रबोद्धजनों को भी आमंत्रित किया गया है। 

सम्मेलन को कांग्रेस के भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी माना जा रहा है, सिंधी समाज भाजपा का कोर वोटर माना जाता है, इंदौर भोपाल सहित प्रदेश के कई शहरों में सिंधी समाज का प्रभाव मजबूत है। ऐसे में कांग्रेस में बसे इन वोटरों को साधने की तैयारी में जुटती नजर आ रही है। 

बताया जा रहा है कि अगले 2 महीने में कांग्रेस कोरी, रजक ,सोनी और विश्वकर्मा समाज का सम्मेलन आयोजित करेगी। इन सम्मेलनों में कांग्रेस हर समाज को उचित प्रतिनिधित्व देने का आश्वासन देगी। साथ ही जो समस्याएं सम्मेलनों के जरिए निकलकर आएंगी, उन्हें अपने वचन पत्र में ष्षामिल कर लोगों को आश्वस्त किया जाएगा कि कांग्रेस इन समस्याओं को दूर करेगी।  

रविवार, 3 जुलाई 2022

मंच पर नहीं मिल रहा दिग्गजों को स्थान, बढ़ रही नाराजगी

नरोत्तम, प्रज्ञा और अब अनूप मिश्रा हुए खफा


प्रदेश भाजपा में लंबे समय से भाजपा संगठन की कार्यशैली के चलते भाजपा के कद्दावर नेताओं को मुख्यमंत्री और अन्य कार्यक्रमों में मंच पर स्थान नहीं मिल रहा है। इसके चलते भाजपा नेताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है। हाल ही में नगरीय निकाय चुनाव के दौरान भाजपा की सांसद प्रज्ञा सिंह और फिर अब पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा की नाराजगी सामने आई है। 

प्रदेश में भाजपा संगठन और वरिश्ठ नेताओं के बीच तालमेल कुछ गढ़बढ़ाया सा नजर आ रहा है। लंबे समय से अपनी हो रही उपेक्षा के चलते वैसे तो प्रदेश के कई वरिश्ठ नेता खफा हैं और कई बार सोशल मीडिया पर इसका विरोध भी करते नजर आए हैं। मगर सार्वजनिक मंचों पर अपने ही क्षेत्रों में जब संगठन इनकी उपेक्षा करता है तो इनकी नाराजगी और बढ़ जाती है। हाल ही में ग्वालियर नगर निगम के चुनाव के दौरान पार्टी के संकल्प पत्र का विमोचन समारोह में भी ऐसी ही नाराज देखने को मिला। यहां पर मंच पर सभी दिग्गज नेताओं को स्थान तो मिला, मगर पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा को मंच पर स्थान नहीं दिया गया। इससे नाराज होकर वे नीचे पहली कतार में लगी कुर्सी पर जाकर बैठ गए। उन्हें वहां बैठा देख अन्य भाजपा नेता भी उनके पास आकर बैठ गए। इस दौरान वे खुद को उपेक्षित और अपमानित होना महसूस करते रहे। बाद में कार्यक्रम के दौरान ही नाराज होकर वे चले गए। मामले ने इतना तूल पकड़ा की ग्वालियर के ब्राहम्णों ने मोर्चा खोल दिया। हालांकि बाद में महापौर प्रत्याशी सुमन ष्शर्मा को पता चला तो वे कार्यक्रम स्थगित कर मिश्रा के घर पर पहुंची और पैर पड़कर माफी मांगती रही। मिश्रा को मनाने पहुंची सुमन को काफी देर तक मिन्नतें करनी पड़ी साथ ही आंसू तक बहाने पड़े। बाद में कहीं जाकर मिश्रा माने और गुस्सा छोड़ा। इसके बाद भाजप नेताओं ने चैन की सांस ली। 

गृह मंत्री भी हो चुके हैं नाराज


  • संगठन द्वारा वरिश्ठ नेताओं की उपेक्षा किए जाने का यह कोई पहला अवसर नहीं था। इसके पहले फरवरी माह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पौधारोपण कार्यक्रम को लेकर पार्टी ने एक कार्यक्रम रखा था, जिसमें मंच पर नरोत्तम मिश्रा के लिए कुर्सी नहीं रखी गई थी। मंच पर खुद के लिए कुर्सी नहीं देख मिश्रा नाराज हो गए और जनता के पीछे जाकर बैठ गए थे। इसके बाद भाजपा के जिला अध्यक्ष सुमित पचौरी उन्हें मनाने पहुंचे तो उन्हें भी जमकर फटकार सुनने को मिली।  गृहमंत्री ने मंच पर आने से मना कर दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा तब उनकी नाराजगी दूर हुई और वो मंच पर आकर बैठे। 

सांसद ने भी जताई थी नाराजगी

भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह भी नगरीय निकाय के संकल्प पत्र के विमोचन अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मंच पर कुर्सी न मिलने से नाराज हो गई थी। वे भी बगीचे में लगी बैंच पर


जाकर बैठ गई थी। इस दौरान उनके समीप केवल उनके समर्थक ही नजर आए थे, मगर भाजपा नेताओं ने उनसे दूरी बनाए रखी थी। हालांकि मीडिया ने जब उनसे यह पूछा कि स्वास्थ्य के चलते वे यहां बैठी है, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, मगर उनके चेहरे के हॉव-भाव संगठन के प्रति नाराजगी जताते रहे। 


सोमवार, 30 मई 2022

भाईचारा बनाए रखने निर्विरोध निर्वाचन पर शिवराज का जोर

मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में समरस पंचायतों पर जोर है। वे चाहते हैं कि पंचायतों में चुनाव के दौरान लड़ाई-झगड़े ज्यादा होते हैं, इससे भाईचारा पर प्रभाव पड़ता है। इसके लिए प्रदेश में पंचायत चुनाव में समरस पंचायत याने



निर्विरोध निर्वाचन पर जोर दिया जाए और अधिक से अधिक पंचायतों में पदाधिकारियों का निर्वाचन निर्विरोध हो। मुख्यमंत्री ने इसके लिए ऐसी पंचातयों को पुरस्कृत करने भी की घोषणा की है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में लोगों के बीच प्रेम, भाईचार और समरसता बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। वे इसके लिए लगातार पंचायतों को लेकर चुनाव में समरस पंचायतों पर जोर देकर लोगों को इस बात के लिए प्रेरित कर रहे हैं कि पंचायत चुनाव याने गांव की सरकार में अधिक से अधिक पंचायतों में बिना चुनाव कराए निर्विरोध पदाधिकारियों का निर्वाचन हो। इससे झगड़े तो कम होंगे साथ ही समरसता भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री ने इसके लिए अधिकारियों के साथ बैठक भी की और इस बात पर जोर भी दिया कि समरस पंचायतों को लेकर काम किया जाए।
भाईचारे में न आए कमी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव उत्सव के समान हैं। लोकतंत्र के इस विशाल आयोजन में आपसी भाईचारे, प्रेम और समरसता में किसी भी तरह की कमी नहीं आए, इसलिए निर्विरोध निर्वाचन को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। अतः समरस पंचायतों और विकास की दृष्टि से आदर्श ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन स्वरूप पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। ऐसी ग्राम पंचायतें, जहाँ निर्विरोध और सर्वसम्मति से चुनाव संपन्न होंगे, उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा।
गांवों का भला होगा तो अच्छा होगा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से कहा कि पंचायत के चुनाव में कई बार लड़ाई झगड़ा बहुत बढ़ती है, एक कोशिश यह हो जाए की कुछ पंचायत ऐसी हो जाएं समरस पंचायत वहां चुनाव नहीं होंगे हम मिलकर तय करेंग। ताकि इन समरस पंचायतों में कुछ सुविधाएं हम देंगे। जैसे उस पंचायत में जितने भी हितग्राही हैं विभिन्न योजनाओं के सभी को एक साथ लाभान्वित कर देंगे आउट ऑफ द वे जाकर। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे गांव में हम गरीब कल्याण और बाकी योजनाओं को शत प्रतिशत सैचुरेट कर देंगे, आप इसके लिए उन्हें प्रेरित करें. गांव का भला हो जाएगा तो अच्छा रहेगा।
काम कठिन, पर कोशिश करें
मुख्यमंत्री अधिकारियों से कहा कि मैं मानता हूं कठिन काम है लेकिन, कई जगह हो सकता है और जहां हो सकते हैं वहां आप लोग पूरी कोशिश करिए मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री और विधायकों को भी इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी ताकि वे पंचायतों में निर्विरोध चुनाव के लिए प्रेरित करे सके।  
सरपंच के निर्विरोध निर्वाचन पर 5 लाख रूपए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसी भी पंचायत में सरपंच का निर्वाचन अगर निर्विरोध रूप से किया जाता है तो उस पंचायत को 5 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। संपूर्ण पंचायत अर्थात समस्त पंच और सरपंच निर्विरोध निर्वाचित होते हैं तो पंचायत को 7 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। सरपंच पद के लिए वर्तमान निर्वाचन और पिछला निर्वाचन निरंतर निर्विरोध रूप से होने पर पंचायत को 7 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
सभी पदों पर महिलाओं के निर्विरोध निर्वाचन पर 15 लाख रूपए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि अगर पंचायत में सरपंच एवं पंच के सभी पदों पर महिलाओं का निर्वाचन होता है तो पंचायत को 12 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इसी प्रकार पंचायत में सरपंच एवं पंच के सभी पदों पर महिलाओं का निर्वाचन निर्विरोध रूप से होने पर पंचायत को 15 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

भाजपा मैदान में सक्रिय, कांग्रेस बैठकों तक सीमित

शिवराज, वीडी शर्मा कर रहे कसावट, कमलनाथ दे रही नसीहत

प्रदेश में पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा जहां तैयारियों के मामले में कांग्रेस से काफी आगे नजर आ रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी ष्शर्मा दोनों ही लगातार रणनीति के साथ सरकार और संगठन में कसावट करते नजर आ रहे हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अब तक बैठकों तक सिमट कर रही गई है। बैठकों में कमलनाथ नेताओं को नसीहत देकर मैदान में जाने की बात कह रहे हैं। 

प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखें घोशित हो गई है और नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों की घोशणा होने का इंतजार है। चुनावों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सक्रियता दिखानी तेज कर दी है। भाजपा में लगातार बैठकों के बाद अब बूथ स्तर पर कार्यकर्ता को सक्रिय करने मैदान में उतार दिया है। वहीं  सांसदों, मंत्रियों और विधायकों को जिम्मेदारी देकर सक्रिय कर दिया गया है। संगठन पदाधिकारियों को भी मैदानी सक्रियता दिखाने को कहा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा खुद संगठन में कसावट लाने लगातार कार्यकर्ता और पदाधिकारियों से संपर्क कर रहे है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया। बार बार संगठन द्वारा शिकायत मिलने के बाद उन्होंने जिलों में अधिकारियों की सुबह की बैठकें लेने का दौर तेज कर दिया। इन बैठकों में मुख्यमंत्री अधिकारियों पर नाराजगी भी उतार रहे हैं साथ ही भ्रश्टाचार पर लगाम लगाने की बात कहते हुए योजनाओं के क्रियान्वयन पर जोर दे रहे हैं। मुख्यमंत्री की ये बैठकें भी पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में अधिकारियों पर कसावट का संदेश दे रही है। 

कांग्रेस से आगे निकली भाजपा

चुनावी तैयारियों में अगर देखा जाए तो भाजपा कांग्रेस से काफी आगे निकल चुकी है। पंचायत चुनाव की घोशणा के पहले से ही जब सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा था, तब से भाजपा में बैठकों का दौर तेज हो चला था। संगठन ने पदाधिकारियों के अलावा कार्यकर्ता को मैदान में सक्रिय कर दिया था। वहीं कांग्रेस अब भी बैठकों में सिमट कर रह गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ बैठकें लेकर नेताओं को मैदान में सक्रिय करने नसीहतें दे रहे हैं। वे बार बार यही बात दोहरा रहे हैं कि अगर अब भी एकजुट होकर चुनाव मैदान में नहीं दिखे तो परिणाम आप खुद जान सकते हैं। 

मुख्यमंत्री के साथ दोनों अध्यक्षों की प्रतिश्ठा दाव पर

पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव को एक तरह से विधानसभा 2023 की तैयारियां से जोड़कर देखा जा रहा है। इस लिहाज से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने कसावट करनी भी ष्शुरू कर दी है। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा की प्रतिश्ठा इन चुनावों में दाव पर है। वहीं कांग्रेस की ओर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की प्रतिश्ठा लगी हुई है। वे बार बार 2023 में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, मगर माना जा रहा है कि इन चुनावों का परिणाम ही दोनों दलों को आईना दिखाएगा। 

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

38 साल पहले स्वर कोकिला के नाम स्थापित किया पुरस्कार

अब तक 33 कलाकारों को दिए सम्मान, 2018 के बाद से किसी का नहीं हुआ चयन


मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मी  स्वर कोकिला लता मंगेशर की याद को हमेशा लोगों के दिलों में बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 38 साल पहले उनके नाम पर लता मंगेशकर पुरस्कार देना शुरू किया था। अब तक सरकार 33 कलाकारों को यह सम्मान दे भी चुकी है, मगर 2018 के बाद से इस सम्मान के लिए किसी कलाकार का चयन नहीं हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा लता मंगेशकर की याद को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए इस सम्मान की स्थापना 1984 में की गई थी। सबसे पहला पुरस्कार संगीतकार नौशाद को दिया था। दूसरा पुस्कार मध्यप्रदेश के खंडवा में जन्मे किशोर कुमार को यह पुरस्कार दिया। इसके बाद लगातार यह पुरस्कार दिया जा रहा है। मगर 2018 के बाद से इस पुरस्कार के लिए अभी तक किसी भी कलाकार का चयन नहीं हुआ है।
संगीत के क्षेत्र में दिया है सम्मान
सुगम संगीत के क्षेत्र में पुरस्कार देने के लिए प्रदेश सरकार ने लता मंगेशकर सम्मान की ष्शुरूआत 1984 में की थी। इस पुरस्कार के तहत 2 लाख रूपए की राशि और प्रशस्ति पटिटका दी जाती है। सुगम संगीत के क्षेत्र में देश की किसी भी भाषा के गायक अथवा संगीतकार को उसके सम्पूर्ण कृतित्व पर दिया जाता है, न कि किसी एक कृति के आधार पर। सम्मान केवल सृजनात्मक कार्य के लिए है। शोध अथवा अकादमिक कार्य के लिए नहीं है। सम्मान के लिए चुने जाने के समय कलाकार का सृजन-सक्रिय होना आवश्यक है।
इन्हें मिला है पुरस्कार
प्रदेश सरकार ने पहला लता मंगेशकर पुरस्कार संगीतकार नौशाद को दिया और उसके बाद किशोर कुमार इस सम्मान से सम्मानित किया गया। फिर जयदेव, मन्ना डे, खय्याम, आशा भोंसले, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, यसुदास, राहुल बर्मन, संध्या मुखर्जी, अनिल विश्वास, तलत मेहमूद, कल्याणजी-आनंदजी, जगजीत सिंह, इलैया राजा, एसपी बालसुब्रह्मयम, भूपेन्द्र हजारिका, महेंद्र कपूर, रवींद्र जैन, सुरेश वाडकर, एआर रहमान, कविता कृष्णमूर्ति, ह््रदयनाथ मंगेशकर, नितिन मुकेश, रवि, अनुराधा पौडवाल, राजेश रोशन, हरिहरन, उषा खन्ना, अलका याज्ञनिक, बप्पी लाहिड़ी, उदित नारायण और अनु मलिक सुमन कल्याणपुरी और कुलदीप सिंह को लता मंगेशकर सम्मान मिल चुका है। हालांकि अलका याज्ञनिक और बप्पी लहरी के नाम की घोशणा पुरस्कार के लिए की गई, मगर इन्हें अभी तक यह पुरस्कार दिया नहीं गया है।

बुधवार, 26 जनवरी 2022

शिवराज का वादा, दो लाख को रोजगार, हिन्दी में इंजीनियरिंग, मेडिकल की पढ़ाई

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वादा किया है कि उनकी सरकार हर महीने दो लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएगी। साथ ही इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई भी अब अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी में कराई जाएगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर इंदौर में प्रदेश के नागरिकों से वादा करते हुए कहा कि हमारी सरकार ने समृद्ध, विकसित और आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश बनाने का बीड़ा उठाया है, तमाम योजनाओं के जरिए गरीबों और राज्य के जरूरतमंद लोगों के लिए विकास कार्य एवं सौगातें जारी रहेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले 22 महीने में राज्य की तस्वीर और तकदीर बदलने का काम किया है, चाहे कोरोना वायरस का मामला हो या विकास योजनाएं चलाने का सभी कार्यों में सरकार द्वारा ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। मध्यप्रदेश में वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो रहा है, अब तक 97 प्रतिशत से अधिक लोगों को प्रथम डोज़ और 93 प्रतिशत से अधिक लोगों को कोविड-19 की दोनो डोज लग चुकी है, इस कार्य में मध्यप्रदेश अग्रणी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने के साथ ही आने वाले समय में 1 लाख नौकरियां सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में देने की नीति पर कर रहे काम।
बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए बना रहे सीएम राइजिंग स्कूल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में स्टार्टअप के लिए नई नीति लागू होगी और स्टार्टअप को प्रोत्साहन दिया जाएगा। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के उपयोग में प्रदेश देश में पहले स्थान पर है. राज्य में 38 हजार करोड़ का निवेश आ चुका है। हमारी पूरी कोशिश है कि गरीब और जरूरतमंद बच्चों को भी अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिला सकें, इसलिए सीएम राइजिंग स्कूल बना रहे हैं। उन्होंने कहा अगले साल से मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों की पढ़ाई भी हिंदी में हो सकेगी। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों के मकान बनाएगी। माफियाओं के नहीं, गलत काम करने वालों को बख्शा नहीं जाएंगा।
जल्द ही लाएंगे स्टार्टअप नीति
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बेरोजगारों को रोजगार देने की बात की है। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप के क्षेत्र में इंदौर के नौजवानों ने अद्भुत रेकॉर्ड बनाया है। हम जल्द ही स्टार्टअप की नई नीति लाने वाले हैं। बेटा-बेटियों अगर तुम्हारे पास इनोवेटिव आइडिया हैं, तो उस आईडिया को इंप्लीमेंट करने के लिए हम ऐसी नीति बनाएंगे कि तुम्हें धन की कमी ना हो। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं, इंदौर देश में स्टार्टअप की राजधानी बने। उन्होंने कहा कि आज कुछ बच्चों से मैं बात भी कर रहा हूं, जिन्होंने स्टार्टअप के क्षेत्र में बेहतर काम किया है।
बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा प्रदेश
उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिजली की पूर्ति के लिए एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट लगभग बनकर तैयार हो चुका है. ओंकारेश्वर बांध पर फ्लोटिंग सोलर प्लांट बनाकर बिजली उत्पन्न की जाएगी ताकि प्रदेश बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके. इस मौके पर गणमान्य लोग भी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री की माफिया को चेतावनी
मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि माफिया चाहे किसी भी प्रकार का हो, मध्यप्रदेश की धरती पर कुचल दिया जाएगा। इसलिए पिछले दिनों पूरे मध्यप्रदेश में माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया गया है। चाहे वह जमीन हथियाने वाला माफिया हो, गरीबों के प्लॉट हड़पने वाले माफिया हो, चाहे अलग तरह से समाज को विकृति की ओर ले जाने वाले हो। मध्यप्रदेश की धरती पर हमने इनको कुचल कर समाप्त करने का फैसला किया है।
हर शहर, हर गांव मनाए अपना जन्मदिन
इंदौर में गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नागरिकों से आग्रह किया कि  सबसे आग्रह है कि हर शहर, हर गांव अपना जन्मदिन साल में एक दिन मनाएं। इंदौर भी अपना जन्मदिन मनाए और जब दुनियाभर में रहने वाले इंदौरी यहां आएं तो इसके विकास का संकल्प लें। सब मिलकर इंदौर को और आगे बढ़ायें। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के सभी निवासियों से एक अपील करना चाहता हूं कि एक समरस ग्राम का निर्माण करें। हम इसके लिए समरस ग्राम अभियान चलाएंगे। आपस के मतभेद भी मिल-बैठ कर सुलझा लें। कोशिश ये रहनी चाहिए कि गाँव के मसले थाने तक न जाने पाएं। ग्रामसभा गाँव के विकास का माध्यम बने।
बेटियों के साथ भोजन कर बढ़ाया उत्साह
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  इंदौर स्थित पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने देखा कि बेटियां स्कूल नहीं जाती थीं। जानकारी मिली कि मम्मी-पापा बेटियों को दूसरे गांव के स्कूल नहीं भेजना चाहते। तब हमने स्कूलों को अपग्रेड करना प्रारंभ किया। फिर बेटियों के लिए साइकिल योजना प्रारंभ की, ताकि वह दूसरे गांव जाकर भी पढ़ाई कर सकें।  उन्होंने कहा कि बेटियों से कहना चाहता हूं कि शासकीय सेवा में मौका मिल जाए तो उसकी तैयारी करें। पीएससी, यूपीएससी की तैयारी करें, सेना में जाएं।  हमने तय किया है कि पुलिस में भी 30 प्रतिशत भर्तियां बेटियों की होंगी। शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत बेटियों को मौका देने का निर्णय लिया है। समारोह के बाद मुख्यमंत्री ने सपत्नीक छात्राओं के साथ भोजन भी किया।

बुधवार, 19 जनवरी 2022

धोती-कुर्ता पहन लगाए चौके छक्के

कॉमेंट्री भी संस्कृत में, खिलाड़ी बोले धावनम-धावनम


विश्व स्तर पर जहां कोरोना संक्रमण का भय व्याप्त है, वहीं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में संस्कृत को बचाने के लिए वैदिक ज्ञान अर्जित करने वाले विद्यार्थियों ने अंग्रेजों के खेल क्रिकेट को अपने पुरातन सभ्यता से जोड़कर खेला। क्रिकेट खेल रहे खिलाड़ी धोती-कुर्ता पहने थे, तो संस्कृत में मैंच की कॉमेंट्री भी की जा रही थी। इतना ही नहीं खिलाड़ियों के माथे पर त्रिपुंड था तो गले में रूद्राक्ष की माला थी। खिलाड़ियों के इस मैच को देखते दर्शक भी पहुंचे, जिन्होंने भी खूब आनंद उठाया।
प्राचीन भाषा संस्कृत को  जीवंत करने के लिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक विद्यालय ने अनूठा प्रयोग किया। अंग्रेजों के खेल क्रिकेट में पंडिताई का ज्ञान ले रहे विद्यार्थियों को प्राचीन वेशभूशा में मैदान में उतार दिया। खिलाड़ियों ने भी संस्कृति को बचाने के लिए संस्कृत भाशा में खेल खेलते हुए बातचीत की और मैच को लुत्फ उठाकर संदेश दिया कि संस्कृत का त्याग नहीं करें, बल्कि संस्कृत को भी अन्य भाशाओं की तरह अर्जित करें। संस्कृत ही हमारी वह भाषा है कि जिसमें वेद, पुराण लिखे गए हैं।
दरअसल हुआ यह है कि राजधानी भोपाल महर्शि महेश योगी की जयंती पर वैदिक पंडितों ने संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन किया था। प्रतियोगिता में पंडित और पंडिताई का ज्ञान अर्जित कर रहे विद्यार्थियों ने भाग लिया। पारंपरिक धोती कुर्ता पहने दोनों बल्लेबाज तेजी से रन भागने की कोशिश में और नेपथ्य में धाराप्रवाह संस्कृत में कमेंट्री का आनंद अपने आप में अनूठा ही माना जाएगा।  वैदिक मंत्रों के साथ हुई। धोती-कुर्ता पहनकर क्रिकेट के मैदान में सभी खिलाड़ी उतरे। क्रिकेट की पिच पर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच चित और पट कर टॉस किया गया। । मैच के दौरान शॉट लगाने के बाद बल्लेबाज रन भागते हुए ’धावनम-धावनम’ यानी रन दौड़ो कहते हुए सुनाई दिए। इस मैच की खास बात यह थी कि भले ही  खिलाड़ी आम क्रिकेट खिलाड़ियों से कुछ अलग लग रहे हों, लेकिन उनमें जीत को लेकर जुनून की कोई कमी नहीं थी। वहीं संस्कृत में हो रही कमेंट्री मैच में चार चांद लगा रही थी।
गौरतलब है कि भोपाल में हर वैदिक क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हर दो साल में किया जाता है। इसे लोग लुंगी और धोती क्रिकेट भी कहते हैं। खिलाड़ियों का ड्रेस ऐसा ही होता है। खिलाड़ी लुंगी और धोती पहनकर ही मैदान में खेलते हैं।
संस्कृत को बढ़ावा देने खेला ऐसा खेल
मैच के आयोजकों के अनुसार इस तरह की प्रतियोगिता का  उद्देश्य संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना है।राजधानी भोपाल में दो साल पहले भीं ऐसा मैच खेला गया था, जिसमें खिलाड़ी धोती कुर्ता पहने नजर आए थे। उनके माथे पर त्रिपुंड, टीका, गले में रुद्राक्ष की माला थी। प्रतियोगिता का यह दूसरा साल था।
 नाम भी संस्कृत में
बल्लेबाज को वल्लक, बॉलर को गेंदक, पिच को क्षिप्या, बाल को कुंदुकम, विकेटकीपर को स्तोभरक्षक, छक्के को षठकम, चौक को चतुष्कम, रन को धावनम और फील्डर को क्षेत्ररक्षक नाम दिए गए। इतना ही नहीं मैच की कॉमेंट्री भी संस्कृत में ही की गई।
पुरस्कार के रूप में वेदों की किताब
दो साल पहले खेले पहले क्रिकेट मैच में प्लेयर ऑफ द मैच को वेद की किताब दी गई थी, जबकि प्लेयर ऑफ द सीरीज को पंचांग दिया गया था। इस बार भी विजेता टीमों को नकद पुरस्कार के साथ खिलाड़ियों को वैदिक पुस्तकें और सौ साल का पंचांग दिया गया।
वेदों के अनुसार अनुष्ठान कराने वाले होते हैं खिलाड़ी
संस्कृति बचाओ मंच के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि इस स्पर्धा में वे खिलाड़ी भाग लेंगे जो वेदों के अनुसार अनुष्ठान कराते हैं। उन्होंने बताया कि यह स्पर्धा का दूसरा साल है और सारे प्रतियोगी वैदिक पंडित हैं जो पारंपरिक धोती कुर्ता पहनते हैं। वे एक दूसरे से संस्कृत में बात करते हैं और मैच की कमेंट्री भी संस्कृत में होती है। उन्होंने कहा कि टूर्नामेंट के आयोजन का उद्देश्य संस्कृत भाषा को बढावा देना और वैदिक परिवार में खेल भावना बढाना है। विजेता टीमों को नकद पुरस्कार के साथ खिलाड़ियों को वैदिक पुस्तकें और सौ साल का पंचांग दिया जाएगा।