रविवार, 31 जुलाई 2011
शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
अब मंत्री लगाए उठक-बैठक
राज्य के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन और सिवनी से भाजपा विधायक नीता पटेरिया से आदिवासी समाज खफा हो गया है.पटवारी से उठक-बैठक लगाने के बाद आदिवासी महासंघ ने साफ कह दिया है कि अब मंत्री श्री बिसेन भी आदिवासी समाज के सामने उठक-बैठक लगाए, इसके बाद ही माफी पर विचार किया जाएगा. इतना ही नहीं महासंघ ने विधायक नीता पटेरिया के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है और उनसे भी माफी मांगने की बात कही है.
आदिवासियों के बल पर मिशन २०१३ फतह करने की तैयारी कर रही भाजपा के खिलाफ अब आदिवासी समाज उठ खडा हुआ है. सिवनी जिले में मंत्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा पटवारी को उठक-बैठक लगवाने की घटना को आदिवासी समाज ने अपना अपमान माना है. समाज के लोगों ने इसे दलगत मामले से हटकर समाज को प्रताडित करने वाला मामला बताकर आदिवासी समाज को भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस काम को आदिवासी महासंघ कर रहा है. महासंघ ने मंत्री गौरीशंकर बिसेन के अलावा सिवनी की विधायक नीता पटैरिया को भी घेरा है. आदिवासी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रसाद मसराम ने लोकमत समाचार से चर्चा में कहा कि भाजपा के मंत्री और विधायक आदिवासियों को प्रताडित कर रहे हैं. नीता पटैरिया ने सिवनी जिले में ही फसल नुकसान होने पर राकेश बरकडे नामक आदिवासी युवक के खिलाफ बयान देकर समाज को जलील किया था. अब मंत्री बिसेन ने हमारे समाज के पटवारी को अपमानित किया है. श्री मसराम ने कहा कि इसके खिलाफ वे प्रदेश व्यापी आंदोलन चलाएंगे. इसकी शुरूआत ३ अगस्त से सिवनी जिला मुख्यालय से की जाएगी. इस दिन सिवनी में विधायक और मंत्री दोनों के पुतले जलाए जाएंगे. इसके बाद सभी आदिवासी बहुल जिलों में आदिवासी महासंघ के पदाधिकारी जाकर भाजपा के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि आदिवासी समाज के सामने मंत्री गौरीशंकर बिसेन उठक-बैठक लगाकर माफी मांगे. वहीं विधायक नीता पटैरिया भी समाज के सामने राकेश बरकडे के परिजनों से माफी मांगे.
आदिवासियों के बल पर मिशन २०१३ फतह करने की तैयारी कर रही भाजपा के खिलाफ अब आदिवासी समाज उठ खडा हुआ है. सिवनी जिले में मंत्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा पटवारी को उठक-बैठक लगवाने की घटना को आदिवासी समाज ने अपना अपमान माना है. समाज के लोगों ने इसे दलगत मामले से हटकर समाज को प्रताडित करने वाला मामला बताकर आदिवासी समाज को भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने का काम शुरू कर दिया है. इस काम को आदिवासी महासंघ कर रहा है. महासंघ ने मंत्री गौरीशंकर बिसेन के अलावा सिवनी की विधायक नीता पटैरिया को भी घेरा है. आदिवासी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष शिवप्रसाद मसराम ने लोकमत समाचार से चर्चा में कहा कि भाजपा के मंत्री और विधायक आदिवासियों को प्रताडित कर रहे हैं. नीता पटैरिया ने सिवनी जिले में ही फसल नुकसान होने पर राकेश बरकडे नामक आदिवासी युवक के खिलाफ बयान देकर समाज को जलील किया था. अब मंत्री बिसेन ने हमारे समाज के पटवारी को अपमानित किया है. श्री मसराम ने कहा कि इसके खिलाफ वे प्रदेश व्यापी आंदोलन चलाएंगे. इसकी शुरूआत ३ अगस्त से सिवनी जिला मुख्यालय से की जाएगी. इस दिन सिवनी में विधायक और मंत्री दोनों के पुतले जलाए जाएंगे. इसके बाद सभी आदिवासी बहुल जिलों में आदिवासी महासंघ के पदाधिकारी जाकर भाजपा के खिलाफ आंदोलन की तैयारी करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि आदिवासी समाज के सामने मंत्री गौरीशंकर बिसेन उठक-बैठक लगाकर माफी मांगे. वहीं विधायक नीता पटैरिया भी समाज के सामने राकेश बरकडे के परिजनों से माफी मांगे.
मंत्रियों के कारण घिरी सरकार
प्रदेश की भाजपा सरकार की चिंता एक बार फिर उसके काबिना के सदस्यों ने बढाई है. विवादों में घिरे मंत्रियों के कारण सरकार संगठन के निशाने पर भी है. भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के एक दिन पहले सहकारिता मंत्री के विवादों में घिरने से सरकार की फजीहत तो हो रही है, साथ ही विवादों में रहने वाले मंत्री चिंतित हो गए हैं.
प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच भले ही बेहतर तालमेल की बात कही जा रही हो, लेकिन वास्तविक तौर पर दिखाई कुछ और ही दे रहा है. संगठन अवसर मिलते ही सत्ता पर नकेल कसने से बचता नहीं है. वहीं सरकार के मंत्री किसी न किसी विवाद में उलझ कर सरकार की चिंता को बढा देते हैं. विशेषकर प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के पूर्व ऐसा कुछ विवाद होता है कि सरकार को संगठन का निर्णय स्वीकारना पडता है. रतलाम में हुई प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा के नेतृत्व में पहली कार्यसमिति की बैठक के बाद से कुछ ऐसा ही चल रहा है. इस बैठक के बाद मंत्री अनूप मिश्रा को इस्तीफा देना पडा था. इसके बाद उज्जैन बैठक में पूर्व मंत्री कमल पटेल और विधायक आशारानी सिंह का मामला छाया रहा. अब जबकि सिंगरौली में कल शनिवार से हो रही बैठक के पहले सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन विवादों में घिरकर सत्ता और संगठन दोनों के निशाने पर आ गए हैं. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की फटकार के बाद अब संगठन उन्हें सिंगरौली बैठक में फटकार लगा सकता है. इसके अलावा मामले ने ज्यादा तूल पकडा तो बिसेन की कुर्सी तक जा सकती है.
बिसेन के विवाद में घिरने से पूर्व में विवादों में रहे मंत्रियों में भी चिंता छाने लगी है. कार्यसमिति की बैठक के पूर्व उठे इस विवाद ने मंत्रियों को चिंतित कर दिया है. हाल ही में नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर और जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया के बीच मंत्रिमंडल की बैठक में ही हुए विवाद के चलते श्री गौर चिंतित हो गए हैं, उन्होंने दिल्ली कूच कर दिया है. वे कार्यसमिति की बैठक होने तक दिल्ली में ही रहेंगे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलते रहेंगे. इसके अलावा वित्त मंत्री राघवजी, स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस, आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह, कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया, खा मंत्री पारस जैन, गृह और जेल राज्यमंत्री नारायण कुशवाह की चिंता कुछ ज्यादा बढी हुई है. इन सबकों इस बात को लेकर चिंता होने लगी है कि अगर कार्यसमिति के बाद मंत्रिमंडल विस्तार का मन सत्ता और संगठन ने बना लिया तो इनकी छुट्टी हो सकती है. ये मंत्री कभी भ्रष्टाचार तो कभी बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं. कांग्रेस भी इनमें से अधिकांश को अपना निशाना बनाती रही है. माना जा रहा है कि कार्यसमिति की बैठक में बिसेन का मुद्दा उठने के बाद इन मंत्रियों पर भी संगठन उंगली उठाएगा. इनके अलावा उोग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को लेकर भी विवाद उठा, मगर सत्ता और संगठन के बीच उन्होंने तालमेल बैठाकर मामले को तब शांत कर दिया था. मगर हाल में उठे विवाद की वजह से वे भी चिंतित बताए जाते हैं.
प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच भले ही बेहतर तालमेल की बात कही जा रही हो, लेकिन वास्तविक तौर पर दिखाई कुछ और ही दे रहा है. संगठन अवसर मिलते ही सत्ता पर नकेल कसने से बचता नहीं है. वहीं सरकार के मंत्री किसी न किसी विवाद में उलझ कर सरकार की चिंता को बढा देते हैं. विशेषकर प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के पूर्व ऐसा कुछ विवाद होता है कि सरकार को संगठन का निर्णय स्वीकारना पडता है. रतलाम में हुई प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा के नेतृत्व में पहली कार्यसमिति की बैठक के बाद से कुछ ऐसा ही चल रहा है. इस बैठक के बाद मंत्री अनूप मिश्रा को इस्तीफा देना पडा था. इसके बाद उज्जैन बैठक में पूर्व मंत्री कमल पटेल और विधायक आशारानी सिंह का मामला छाया रहा. अब जबकि सिंगरौली में कल शनिवार से हो रही बैठक के पहले सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन विवादों में घिरकर सत्ता और संगठन दोनों के निशाने पर आ गए हैं. मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की फटकार के बाद अब संगठन उन्हें सिंगरौली बैठक में फटकार लगा सकता है. इसके अलावा मामले ने ज्यादा तूल पकडा तो बिसेन की कुर्सी तक जा सकती है.
बिसेन के विवाद में घिरने से पूर्व में विवादों में रहे मंत्रियों में भी चिंता छाने लगी है. कार्यसमिति की बैठक के पूर्व उठे इस विवाद ने मंत्रियों को चिंतित कर दिया है. हाल ही में नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर और जल संसाधन मंत्री जयंत मलैया के बीच मंत्रिमंडल की बैठक में ही हुए विवाद के चलते श्री गौर चिंतित हो गए हैं, उन्होंने दिल्ली कूच कर दिया है. वे कार्यसमिति की बैठक होने तक दिल्ली में ही रहेंगे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलते रहेंगे. इसके अलावा वित्त मंत्री राघवजी, स्कूल शिक्षा मंत्री अर्चना चिटनीस, आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह, कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया, खा मंत्री पारस जैन, गृह और जेल राज्यमंत्री नारायण कुशवाह की चिंता कुछ ज्यादा बढी हुई है. इन सबकों इस बात को लेकर चिंता होने लगी है कि अगर कार्यसमिति के बाद मंत्रिमंडल विस्तार का मन सत्ता और संगठन ने बना लिया तो इनकी छुट्टी हो सकती है. ये मंत्री कभी भ्रष्टाचार तो कभी बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं. कांग्रेस भी इनमें से अधिकांश को अपना निशाना बनाती रही है. माना जा रहा है कि कार्यसमिति की बैठक में बिसेन का मुद्दा उठने के बाद इन मंत्रियों पर भी संगठन उंगली उठाएगा. इनके अलावा उोग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को लेकर भी विवाद उठा, मगर सत्ता और संगठन के बीच उन्होंने तालमेल बैठाकर मामले को तब शांत कर दिया था. मगर हाल में उठे विवाद की वजह से वे भी चिंतित बताए जाते हैं.
गुरुवार, 28 जुलाई 2011
मंत्री ने पटवारी से लगवाई उठक-बैठक
राज्य के सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने शासकीय कार्यक्रम के दौरान पटवारी की शिकायत मिली तो उससे उठक-बैठक लगाकर लोगों के बीच दंड दिया. इस मामले को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी आदिवासी के साथ मंत्री के इस व्यवहार को लेकर विरोध की रणनीति बना रही है.वहीं इस मामले में मंत्री श्री बिसेन का कहना है कि पटवारी के साथ दुर्भावनावश नहीं, बल्कि परिस्थितिवश यह कदम उठाया था. अगर उसे बुरा लगा होगा तो मैं स्वयं चर्चा कर लूंगा. इस मामले को कांग्रेस राजनीतिक मुद्दा बना रही है. वहीं कलेक्टर भी इस मामले में मिले हुए हैं.
बयानों और अधिकारियों-कर्मचारियों को धौंस देने को लेकर चर्चा में रहने वाले सहाकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन इस बार पटवारी को शिकायत मिलने पर उठक-बैठक लगवाकर चर्चा में आ गए हैं. हुआ यह कि बीते दो दिनों से बालाघाट-सिवनी-छिंदवाडा प्रवास पर गए मंत्री ने सिवनी जिले की केवलारी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम छींदा चौकी में शासकीय स्कूल के उद्घोषणा समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. इस समारोह में लोगों ने मंत्री से पटवारी देवेन्द्र मसर्कोले को लेकर शिकायत की. इस पर मंत्री ने तुरंत ही पटवारी को समारोह स्थल पर ही बुलवाया और सबके सामने उठक-बैठक लगवाकर शिकायतकर्ताओं को प्रसन्न कर दिया. इस दौरान अनुविभागीय अधिकारी भी उपस्थित थे, मगर वे यह सब कुछ देखकर शांत रहे. इस समारोह में राज्य के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री नानाभाऊ मोहोड और विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंशसिंह भी उपस्थित थे.
कार्यक्रम के बाद जब आदिवासियों को इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने मंत्री पर नाराजगी जताई. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की सिवनी जिला इकाई के प्रवक्ता विवेक डेहरिया कहा कि पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इस संबंध में ३ अगस्त को सिवनी में पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है. बैठक में मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की रणनीति तय की जाएगी.
इस मुद्दे पर मंत्री गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि उन्हें जब कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों ने पटवारी द्वारा भ्रष्टाचार करने की शिकायत की तो पहले मैंने एसडीएम और तहसीलदार से चर्चा की. इसके बाद पटवारी से यह कहा कि वह क्षमा मांगकर चला जाए. यह सच है कि पटवारी ने कान पकडकर क्षमा मांगी और चला गया. मैंने दुर्भावनावश ऐसा नहीं किया. मेरी मंशा शिकायत लेकर आए लोगों को न्याय दिलाने की थी, न कि किसी समाज को आहत करने की. इस मामले में कांग्रेस राजनीति कर रही है. कांग्रेस के नेताओं को मेरे बढते कद से चिंता हो रही है. उन्होंने कहा कि अफसर विशेषकर कलेक्टर भी इस मामले में तूल दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं स्वयं कल से कलेक्टर से संपर्क करना चाह रहा हूं, मगर वह है कि बात ही नहीं कर रहा है. इसकी मैं शिकायत भी करूंगा.
बयानों और अधिकारियों-कर्मचारियों को धौंस देने को लेकर चर्चा में रहने वाले सहाकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन इस बार पटवारी को शिकायत मिलने पर उठक-बैठक लगवाकर चर्चा में आ गए हैं. हुआ यह कि बीते दो दिनों से बालाघाट-सिवनी-छिंदवाडा प्रवास पर गए मंत्री ने सिवनी जिले की केवलारी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम छींदा चौकी में शासकीय स्कूल के उद्घोषणा समारोह में शामिल होने पहुंचे थे. इस समारोह में लोगों ने मंत्री से पटवारी देवेन्द्र मसर्कोले को लेकर शिकायत की. इस पर मंत्री ने तुरंत ही पटवारी को समारोह स्थल पर ही बुलवाया और सबके सामने उठक-बैठक लगवाकर शिकायतकर्ताओं को प्रसन्न कर दिया. इस दौरान अनुविभागीय अधिकारी भी उपस्थित थे, मगर वे यह सब कुछ देखकर शांत रहे. इस समारोह में राज्य के स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री नानाभाऊ मोहोड और विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंशसिंह भी उपस्थित थे.
कार्यक्रम के बाद जब आदिवासियों को इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने मंत्री पर नाराजगी जताई. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की सिवनी जिला इकाई के प्रवक्ता विवेक डेहरिया कहा कि पार्टी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इस संबंध में ३ अगस्त को सिवनी में पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है. बैठक में मंत्री के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की रणनीति तय की जाएगी.
इस मुद्दे पर मंत्री गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि उन्हें जब कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों ने पटवारी द्वारा भ्रष्टाचार करने की शिकायत की तो पहले मैंने एसडीएम और तहसीलदार से चर्चा की. इसके बाद पटवारी से यह कहा कि वह क्षमा मांगकर चला जाए. यह सच है कि पटवारी ने कान पकडकर क्षमा मांगी और चला गया. मैंने दुर्भावनावश ऐसा नहीं किया. मेरी मंशा शिकायत लेकर आए लोगों को न्याय दिलाने की थी, न कि किसी समाज को आहत करने की. इस मामले में कांग्रेस राजनीति कर रही है. कांग्रेस के नेताओं को मेरे बढते कद से चिंता हो रही है. उन्होंने कहा कि अफसर विशेषकर कलेक्टर भी इस मामले में तूल दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि मैं स्वयं कल से कलेक्टर से संपर्क करना चाह रहा हूं, मगर वह है कि बात ही नहीं कर रहा है. इसकी मैं शिकायत भी करूंगा.
झा कराएंगे कार्यकाल की समीक्षा
प्रदेश भाजपा की सिंगरौली में होने जा रही दो दिवसीय कार्यसमिति की बैठक में इस बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वयं अपने कार्यकाल की समीक्षा सदस्यों से कराएंगे. इसके अलावा राजनेताओं की जनता में घटती विश्वसनीयता पर भी बैठक में गंभीरता से विचार किया जाएगा.
प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की सिंगरौली में ३० जुलाई से शुरू होने वाली दो दिवसीय बैठक एक बार फिर चर्चा में आ गई है. इस बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वे अपने एक वर्ष दो माह और बाइस दिन के कार्यकाल की समीक्षा समिति के सदस्यों से कराएंगे. श्री झा ऐसा कराकर इस बात का संकेत देना चाहते हैं कि स्वयं के कार्यकाल में संगठन की स्थिति मजबूत हुई है या कमजोर रही है. श्री झा के इस कदम से पार्टी पदाधिकारियों को छोड सत्ता में बैठे लोगों की चिंता बढ गई है. विशेषकर मंत्रियों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं बैठक में उनके रिपोर्ट कार्ड का मामला नहीं उठ जाए. मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड को लेकर भोपाल में हुए विधायकों के प्रशिक्षण सत्र के दौरान प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार और स्वयं भाजपा अध्यक्ष यह कह चुके थे कि रिपोर्ट कार्ड के आधार पर जो मंत्री का कार्य अच्छा होगा वहीं सरकार में बना रहेगा. इस मामले को लेकर इस कार्यसमिति में फिर सवाल उठ सकते हैं.रतलाम, उज्जैन की कार्यसमिति के बाद भोपाल में हुए विधायकों के प्रशिक्षण वर्ग में भी जिस तरह से मंत्रियों पर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी बोले थे उससे मंत्रियों में चिंता बढना स्वाभाविक है. रतलाम बैठक के बाद तो अनूप मिश्रा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पडा था. इसके बाद भोपाल में अनंत कुमार द्वारा मंत्रियों को लेकर दिए बयान ने पार्टी में हडकंप मचा दिया था.
कार्यसमिति की बैठक में पार्टी अगले तीन माह की रणनीति बनाने के अलावा अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होगी, जिसमें विधायकों द्वारा की गई नौकरशाहों की शिकायतों पर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा. बैठक में इस मामले को लेकर मिशन २०१३ की रणनीति के तहत नौकरशाहों पर कसावट करने की बात मुख्यमंत्री से कही जाएगी. इसके अलावा इस बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव भी लाए जाएंगे. कृषि पर केन्द्रित प्रस्ताव महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसके अलावा महिलाओं और अल्पसंख्यकों को लेकर पार्टी की आगे की रणनीति पर भी विचार किया जाएगा. इन मुद्दों के अलावा दो दिवसीय इस बैठक में खुले सत्र के दौरान राजनेताओं की जनता के बीच खो रही विश्वसनीयता पर चिंतन किया जाएगा. इस मुद्दे पर पदाधिकारी आगामी विधानसभा की तैयारी के लिए जनप्रतिनिधियों को जनता बीच पहुंचकर सत्ता और संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी देने की बात भी कहेंगे. कार्यसमिति की बैठक के पहले कल २९ जुलाई को पदाधिकारियों की बैठक होगी, जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी शामिल होंगे.
अनंत पर संशय
रतलाम, उज्जैन कार्य समिति की बैठक के बाद भोपाल में हुए विधायकों के प्रशिक्षण वर्ग में जनप्रतिनिधियों विशेषकर मंत्रियों पर नाराजगी जताकर हीरो बने रहे मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार के सिंगरौली कार्यसमिति की बैठक में पहुंचने पर संशय जताया जा रहा है. श्री कुमार को बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है, परन्तु उनके गृह राज्य में मचे बवाल के चलते फिलहाल यह माना जा रहा है कि वे नहीं आएंगे. वैसे इसकी पुष्टि हुई नहीं है.
प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की सिंगरौली में ३० जुलाई से शुरू होने वाली दो दिवसीय बैठक एक बार फिर चर्चा में आ गई है. इस बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वे अपने एक वर्ष दो माह और बाइस दिन के कार्यकाल की समीक्षा समिति के सदस्यों से कराएंगे. श्री झा ऐसा कराकर इस बात का संकेत देना चाहते हैं कि स्वयं के कार्यकाल में संगठन की स्थिति मजबूत हुई है या कमजोर रही है. श्री झा के इस कदम से पार्टी पदाधिकारियों को छोड सत्ता में बैठे लोगों की चिंता बढ गई है. विशेषकर मंत्रियों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि कहीं बैठक में उनके रिपोर्ट कार्ड का मामला नहीं उठ जाए. मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड को लेकर भोपाल में हुए विधायकों के प्रशिक्षण सत्र के दौरान प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार और स्वयं भाजपा अध्यक्ष यह कह चुके थे कि रिपोर्ट कार्ड के आधार पर जो मंत्री का कार्य अच्छा होगा वहीं सरकार में बना रहेगा. इस मामले को लेकर इस कार्यसमिति में फिर सवाल उठ सकते हैं.रतलाम, उज्जैन की कार्यसमिति के बाद भोपाल में हुए विधायकों के प्रशिक्षण वर्ग में भी जिस तरह से मंत्रियों पर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी बोले थे उससे मंत्रियों में चिंता बढना स्वाभाविक है. रतलाम बैठक के बाद तो अनूप मिश्रा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पडा था. इसके बाद भोपाल में अनंत कुमार द्वारा मंत्रियों को लेकर दिए बयान ने पार्टी में हडकंप मचा दिया था.
कार्यसमिति की बैठक में पार्टी अगले तीन माह की रणनीति बनाने के अलावा अन्य मुद्दों पर भी चर्चा होगी, जिसमें विधायकों द्वारा की गई नौकरशाहों की शिकायतों पर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा. बैठक में इस मामले को लेकर मिशन २०१३ की रणनीति के तहत नौकरशाहों पर कसावट करने की बात मुख्यमंत्री से कही जाएगी. इसके अलावा इस बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव भी लाए जाएंगे. कृषि पर केन्द्रित प्रस्ताव महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इसके अलावा महिलाओं और अल्पसंख्यकों को लेकर पार्टी की आगे की रणनीति पर भी विचार किया जाएगा. इन मुद्दों के अलावा दो दिवसीय इस बैठक में खुले सत्र के दौरान राजनेताओं की जनता के बीच खो रही विश्वसनीयता पर चिंतन किया जाएगा. इस मुद्दे पर पदाधिकारी आगामी विधानसभा की तैयारी के लिए जनप्रतिनिधियों को जनता बीच पहुंचकर सत्ता और संगठन द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी देने की बात भी कहेंगे. कार्यसमिति की बैठक के पहले कल २९ जुलाई को पदाधिकारियों की बैठक होगी, जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी शामिल होंगे.
अनंत पर संशय
रतलाम, उज्जैन कार्य समिति की बैठक के बाद भोपाल में हुए विधायकों के प्रशिक्षण वर्ग में जनप्रतिनिधियों विशेषकर मंत्रियों पर नाराजगी जताकर हीरो बने रहे मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार के सिंगरौली कार्यसमिति की बैठक में पहुंचने पर संशय जताया जा रहा है. श्री कुमार को बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है, परन्तु उनके गृह राज्य में मचे बवाल के चलते फिलहाल यह माना जा रहा है कि वे नहीं आएंगे. वैसे इसकी पुष्टि हुई नहीं है.
मंगलवार, 26 जुलाई 2011
स्टे' को लेकर सक्रिय सरकार और कर्मचारी
सरकारी कागजों में भले ही सडक परिवहन को प्रदेश सरकार बंद कर चुकी है, लेकिन सपनि अब भी सरकार के लिए मुसीबत ही बना हुआ है. हाल ही में उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ द्वारा दिए फैसले ने सरकार को परेशानी में डाल दिया है. अब सरकार इस निर्णय को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाकर स्टे लाने की तैयारी में जुटी है, वहीं कर्मचारी सरकार को स्टे न मिले इसके लिए प्रयास कर रहे हैं.
राज्य सरकार द्वारा सडक परिवहन निगम को भले ही बंद करने की बात कहकर कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी तो कुछ को निकाल दिया, मगर कर्मचारी संघ अब भी सपनि को लेकर अदालती कार्यवाही में सरकार को घेरे हुए है. बीते दिनों कर्मचारियों की पहल तब रंग लाई जब उच्च न्यायालय जबलपुर की इंदौर खंडपीठ ने याचिका क्रमांक १२४५/०७ पर सुनवाई कर यह फैसला सुनाया कि १ जनवरी १९९८ से सपनि के कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का लाभ दिया जाए. न्यायालय के निर्णय से करीब १६ हजार कर्मचारी जो वर्ष १९९८ में सपनि में कार्यरत थे, लाभांवित होंगे. इनमें विभाजन के बाद जो छत्तीसगढ चले गए वे कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके अलावा अदालत ने याचिका क्रमांग १५१६६/०७ पर अपना फैसला सुनाया कि सपनि की संपत्ति के विक्रय पर जो रोक लगी है, वह हटा दी जाए साथ ही जिन १७१ राष्ट्रीकृत मार्गों को लेकर विवाद बना था, उस पर पविहन विभाग अब अपने परमिट जारी कर सकेगा. इस दो मामलों में विभाग को जहां राहत मिली, वहीं महंगाई भत्ते वाले मामले में सपनि की परेशानी बढती नजर आ रही है. अब इस मामले को लेकर अफसर विधि सलाहकारों से सलाह ले रहे हैं.
सूत्रों की माने तो इस मामले को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर सरकार इस मामले में स्टे लाना चाहती है, ताकि कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के भुगतान करने से वह बच सके. वहीं सडक परिवहन निगम कर्मचारी संघ भी इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गया है. संघ द्वारा हाल ही में एक बैठक में लेकर यह निर्णय लिया गया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उसके पहले वे वहां याचिका लगाकर अपना पक्ष मजबूत कर लें. जिससे मामले में सरकार को स्टे न मिल सके. बैठक में कर्मचारियों की ओर से वकील करने और छत्तीसगढ के कर्मचारियों से चर्चा करने का भी फैसला मध्यप्रदेश के सडक परिवहन निगम के सेवानिवृत्त हो चुके और कार्यरत कर्मचारियों ने लिया है. कर्मचारी संघ किसी भी तरह से अब इस मामले में सरकार के पक्ष में फैसला जाने नहीं देना चाहता है. यही वजह है कि कर्मचारी अब हर मामले में वकीलों की सलाह पर ही कदम बढा रहे हैं. इन कर्मचारियों की अब अगली बैठक रविवार ३१ जुलाई को भोपाल में रखी गई है.
राज्य सरकार द्वारा सडक परिवहन निगम को भले ही बंद करने की बात कहकर कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी तो कुछ को निकाल दिया, मगर कर्मचारी संघ अब भी सपनि को लेकर अदालती कार्यवाही में सरकार को घेरे हुए है. बीते दिनों कर्मचारियों की पहल तब रंग लाई जब उच्च न्यायालय जबलपुर की इंदौर खंडपीठ ने याचिका क्रमांक १२४५/०७ पर सुनवाई कर यह फैसला सुनाया कि १ जनवरी १९९८ से सपनि के कर्मचारियों को महंगाई भत्ते का लाभ दिया जाए. न्यायालय के निर्णय से करीब १६ हजार कर्मचारी जो वर्ष १९९८ में सपनि में कार्यरत थे, लाभांवित होंगे. इनमें विभाजन के बाद जो छत्तीसगढ चले गए वे कर्मचारी भी शामिल हैं. इसके अलावा अदालत ने याचिका क्रमांग १५१६६/०७ पर अपना फैसला सुनाया कि सपनि की संपत्ति के विक्रय पर जो रोक लगी है, वह हटा दी जाए साथ ही जिन १७१ राष्ट्रीकृत मार्गों को लेकर विवाद बना था, उस पर पविहन विभाग अब अपने परमिट जारी कर सकेगा. इस दो मामलों में विभाग को जहां राहत मिली, वहीं महंगाई भत्ते वाले मामले में सपनि की परेशानी बढती नजर आ रही है. अब इस मामले को लेकर अफसर विधि सलाहकारों से सलाह ले रहे हैं.
सूत्रों की माने तो इस मामले को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रही है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर सरकार इस मामले में स्टे लाना चाहती है, ताकि कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के भुगतान करने से वह बच सके. वहीं सडक परिवहन निगम कर्मचारी संघ भी इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हो गया है. संघ द्वारा हाल ही में एक बैठक में लेकर यह निर्णय लिया गया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे उसके पहले वे वहां याचिका लगाकर अपना पक्ष मजबूत कर लें. जिससे मामले में सरकार को स्टे न मिल सके. बैठक में कर्मचारियों की ओर से वकील करने और छत्तीसगढ के कर्मचारियों से चर्चा करने का भी फैसला मध्यप्रदेश के सडक परिवहन निगम के सेवानिवृत्त हो चुके और कार्यरत कर्मचारियों ने लिया है. कर्मचारी संघ किसी भी तरह से अब इस मामले में सरकार के पक्ष में फैसला जाने नहीं देना चाहता है. यही वजह है कि कर्मचारी अब हर मामले में वकीलों की सलाह पर ही कदम बढा रहे हैं. इन कर्मचारियों की अब अगली बैठक रविवार ३१ जुलाई को भोपाल में रखी गई है.
पृथक गोंडवाना राज्य को लेकर सक्रिय हुई गोंगपा
पृथक गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी एक बार फिर सक्रिय हो गई है. पार्टी ने विदर्भ और महाकौशल में नौ अगस्त को रेल रोको आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है. गोंगपा की मांग है कि पृथक गोंडवाना राज्य बनाकर उसकी राजधानी नागपुर बनाई जाए.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने पृथक गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर महाराष्ट्र के विदर्भ के ९ जिलों और महाकौशल के २४ जिलों में रेल रोको आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है. गोंगपा द्वारा इस आंदोलन का निर्णय दिल्ली और नागपुर में हुई दो अलग-अलग बैठकों में लिया गया. इन बैठकों में पार्टी पदाधिकारियों के अलावा गोंडवाना महासभा के धर्माचार्य भी शामिल हुए. बैठक में पृथक गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर ९ अगस्त का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि आदिवासी लोग इस दिन अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस ङङ्गक्रांति दिवस' के रूप में मनाते हैं. इस लिहाज से यह निर्णय लिया गया कि आदिवासियों के हक की लडाई पृथक गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर जो आंदोलन चलाया जाए वह इसी दिन से शुरू किया जाए. क्रांति दिवस से शुरू किए जाने वाले इस आंदोलन को आदिवासी समाज का गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को अच्छा समर्थन मिलने की उम्मीद है.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम मरकाम ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि नागपुर और दिल्ली में हुई बैठक में रेल रोको आंदोलन की रणनीति तय कर ली गई है. राज्य के महाकौशल के २४ जिलों को मिलाकर पृथक गोंडवाना राज्य की जो मांग की जा रही है, उसके तहत मध्यप्रदेश के महाकौलश और विंध्य अंचल में ९ अगस्त को छह स्थानों पर रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा. इसके तहत जबलपुर संभाग में जबलपुर के आसपास, शहडोल संभाग में शहडोल के आसपास, रीवा संभाग में सीधी, सिंगरौली के लोग निवास रोड पर, बालाघाट, सिवनी जिले के लोग केवलारी के आसपास, छिंदवाडा, बैतूल, होशंगाबाद जिले के लोग बैतूल के आसपास रेल रोको आंदोलन कर रेल रोकेंगे. इसी तरह महाराष्ट्र के विदर्भ के गढचिरौरी, वर्धा, चंदपुर, गोंदिया, अमरावती, नागपुर सहित विदर्भ के सभी नौ जिलों के लोग नागपुर के आसपास रेल रोकेंगे. उन्होंने बताया कि इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा छत्तीसगढ राज्य में ३२ प्रतिशत आरक्षण की मांग और निजी उोगों में नौकरी की मांग को लेकर भी बिलासपुर एवं रायगढ जिले में रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने पृथक गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर महाराष्ट्र के विदर्भ के ९ जिलों और महाकौशल के २४ जिलों में रेल रोको आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है. गोंगपा द्वारा इस आंदोलन का निर्णय दिल्ली और नागपुर में हुई दो अलग-अलग बैठकों में लिया गया. इन बैठकों में पार्टी पदाधिकारियों के अलावा गोंडवाना महासभा के धर्माचार्य भी शामिल हुए. बैठक में पृथक गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर ९ अगस्त का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि आदिवासी लोग इस दिन अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस ङङ्गक्रांति दिवस' के रूप में मनाते हैं. इस लिहाज से यह निर्णय लिया गया कि आदिवासियों के हक की लडाई पृथक गोंडवाना राज्य की मांग को लेकर जो आंदोलन चलाया जाए वह इसी दिन से शुरू किया जाए. क्रांति दिवस से शुरू किए जाने वाले इस आंदोलन को आदिवासी समाज का गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को अच्छा समर्थन मिलने की उम्मीद है.
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम मरकाम ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि नागपुर और दिल्ली में हुई बैठक में रेल रोको आंदोलन की रणनीति तय कर ली गई है. राज्य के महाकौशल के २४ जिलों को मिलाकर पृथक गोंडवाना राज्य की जो मांग की जा रही है, उसके तहत मध्यप्रदेश के महाकौलश और विंध्य अंचल में ९ अगस्त को छह स्थानों पर रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा. इसके तहत जबलपुर संभाग में जबलपुर के आसपास, शहडोल संभाग में शहडोल के आसपास, रीवा संभाग में सीधी, सिंगरौली के लोग निवास रोड पर, बालाघाट, सिवनी जिले के लोग केवलारी के आसपास, छिंदवाडा, बैतूल, होशंगाबाद जिले के लोग बैतूल के आसपास रेल रोको आंदोलन कर रेल रोकेंगे. इसी तरह महाराष्ट्र के विदर्भ के गढचिरौरी, वर्धा, चंदपुर, गोंदिया, अमरावती, नागपुर सहित विदर्भ के सभी नौ जिलों के लोग नागपुर के आसपास रेल रोकेंगे. उन्होंने बताया कि इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी द्वारा छत्तीसगढ राज्य में ३२ प्रतिशत आरक्षण की मांग और निजी उोगों में नौकरी की मांग को लेकर भी बिलासपुर एवं रायगढ जिले में रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा.
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