सोमवार, 26 दिसंबर 2016
मंगलवार, 20 दिसंबर 2016
बुधवार, 23 नवंबर 2016
बिखराव के चलते हारी कांग्रेस
शहडोल और नेपानगर उपचुनाव ेमें कांग्रेस को एक बार फिर बिखराव के चलते हार का सामना करना पड़ा.वहीं भाजपा नेताओं की एकजुटता का भाजपा प्रत्याशी को यहां पर फायदा मिला है.
उपचुनाव के आए परिणामों ने एक बार फिर कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है. प्रयास के बावजूद एक बार फिर कांग्रेस के नेता इन चुनावों में एकजुट नजर नहीं आए. वे चुनाव प्रचार के लिए मैदान में तो उतरे, मगर एकजुट होकर मैदान में दिखाई नहीं दिए. शहडोल में जरुर कांग्रेस के चारों नेता दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं सुरेश पचौरी चुनाव प्रचार के लिए तो पहुंचे, मगर इनमें से कमलनाथ एवं पचौरी ने नेपानगर में दूरी बनाए रखी. दोनों स्थानों पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव जरुर दोनों ही स्थानों पर चुनाव प्रचार करते रहे, मगर वे कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय पदाधिकारियों को संगठित नहीं कर पाए. कांग्रेस का संगठन यहां पर पूरी तरह से बिखरा रहा.
दूसरी ओर भाजपा ने यहां पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के भरोसे चुनाव जीता. चौहान के साथ केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर फिर साथ नजर आए. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत लगातार कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का फायदा भाजपा को यहां मिला. इसके अलावा स्थानीय नेताओं पर भाजपा ने जिस तरह से भरोसा जताया वह भी उसकी जीत में उसे फायदा दिला गई. भाजपा को शहडोल के अलावा नेपानगर में भी संगठनात्मक रुप से चुनाव लड़ने का फायदा मिला. यहां पर भाजपा की खण्डवा, बुरहानपुर जिला इकाई के अलावा इंदौर संभाग के पदाधिकारियों की सक्रियता ने जीत को मजबूती प्रदान की.
गोंगपा ने भाजपा शहडोल में दिलाया फायदा
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंंह मरकाम यहां पर गोंगपा के प्रत्याशी थे. वे इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस की हार का मूल कारण वे भी एक रहे. मरकाम के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की यहां हुई सभाओं ने कांग्रेस को और भी कमजोर किया. शहडोल संसदीय क्षेत्र में आदिवासियों के बीच हीरासिंंह के अलावा अजीत जोगी की भी खासा पैठ है. जोगी यहां पर कलेक्टर रहे हैं. जोगी का गोंगपा के साथ आना प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को भविष्य में भी नुकसान पहुंचा सकता है.
उपचुनाव के आए परिणामों ने एक बार फिर कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है. प्रयास के बावजूद एक बार फिर कांग्रेस के नेता इन चुनावों में एकजुट नजर नहीं आए. वे चुनाव प्रचार के लिए मैदान में तो उतरे, मगर एकजुट होकर मैदान में दिखाई नहीं दिए. शहडोल में जरुर कांग्रेस के चारों नेता दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं सुरेश पचौरी चुनाव प्रचार के लिए तो पहुंचे, मगर इनमें से कमलनाथ एवं पचौरी ने नेपानगर में दूरी बनाए रखी. दोनों स्थानों पर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव जरुर दोनों ही स्थानों पर चुनाव प्रचार करते रहे, मगर वे कार्यकर्ताओं एवं स्थानीय पदाधिकारियों को संगठित नहीं कर पाए. कांग्रेस का संगठन यहां पर पूरी तरह से बिखरा रहा.
दूसरी ओर भाजपा ने यहां पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के भरोसे चुनाव जीता. चौहान के साथ केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर फिर साथ नजर आए. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत लगातार कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का फायदा भाजपा को यहां मिला. इसके अलावा स्थानीय नेताओं पर भाजपा ने जिस तरह से भरोसा जताया वह भी उसकी जीत में उसे फायदा दिला गई. भाजपा को शहडोल के अलावा नेपानगर में भी संगठनात्मक रुप से चुनाव लड़ने का फायदा मिला. यहां पर भाजपा की खण्डवा, बुरहानपुर जिला इकाई के अलावा इंदौर संभाग के पदाधिकारियों की सक्रियता ने जीत को मजबूती प्रदान की.
गोंगपा ने भाजपा शहडोल में दिलाया फायदा
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंंह मरकाम यहां पर गोंगपा के प्रत्याशी थे. वे इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस की हार का मूल कारण वे भी एक रहे. मरकाम के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की यहां हुई सभाओं ने कांग्रेस को और भी कमजोर किया. शहडोल संसदीय क्षेत्र में आदिवासियों के बीच हीरासिंंह के अलावा अजीत जोगी की भी खासा पैठ है. जोगी यहां पर कलेक्टर रहे हैं. जोगी का गोंगपा के साथ आना प्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को भविष्य में भी नुकसान पहुंचा सकता है.
नहीं मिल रही मजदूरी
* आदिवासी अंचलों में नोटबंदी ने बढ़ाया संकट
नोट बंदी का खासा असर राज्य के आदिवासी अंचलों में दिखाई पड़ रहा है. यहां आदिवासी किसान से लेकर मजदूर वर्ग तक परेशान नजर आ रहा है. मजदूर को मजदूरी करने के बाद रुपए नहीं मिल रहे हैं, तो किसानी करने वाले आदिवासियों के सामने उनकी फसल मक्का के दाम अचानक गिर जाने से संकट आ खड़ा हुआ है.
राज्य के आदिवासी अंचलों खासकर बैतूल एवं खण्डवा जिले के आदिवासी ग्रामों में मजदूर वर्ग और वे आदिवासी जो किसानी कर रहे हैं उनके सामने सबसे बड़ा संकट नोट बंदी ने खड़ा कर दिया है. आदिवासी किसानों ने इस सीजन में मक्का की फसल ली थी, इसकी कीमत 12 रुपए प्रति किलो बाजार में थी, मगर नोट बंदी के बाद यह 8 रुपए प्रतिकिलों बिक रही है. आदिवासी किसान मजबूरी में अपनी इस फसल को औने-पौने दामों पर बेच रहा है.आदिवासी किसान के सामने आए इस संकट ने उसके परिवार के लिए समस्या खड़ी कर दी है. किसानी करने वालों को रुपए के अभाव में खाद-बीज के संकट से भी दो-चार होना पड़ रहा है.
समाजवादी जनपरिषद के अनुराम मोदी ने बताया कि आदिवासी अंचलों में मजदूरी करने वालों को दिनभर मजदूरी करने के बाद मजदूरी नहीं मिल रही है. जिनके यहां वे मजदूरी करने जाते हैं, वहां पर वे काम तो करते हैं, मगर शाम को लौटते वक्त उन्हें मजदूरी नहीं दी जा रही है. मोदी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री को इस मामले को गंभीरता लेना चाहिए और आदिवासी अंचलों में नोट बदलवाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ यह तय किया जाए कि आदिवासी मजदूर को मजदूरी समय पर मिल जाया करे. सजप के ही कार्यकर्ता बसंत टेकाम ने बताया कि बैतूल जिले के शाहपुर ब्लाक के डोढरमौउ के 25 मजदूर सीहोर जिले के बाड़ी-बख्तरा में धान कटाई के लिए मजदूरी करने गए थे, वहां पर कटाई का काम होने के बाद मजदूरों को यह कहकर किसानों ने वापस लौटा दिया कि उनके पास रुपए नहीं है, इस वजह से रुपए बाद में दे देंगे. इस स्थिति में परेशान मजदूर वापस लौट आए. उन्होंने बताया कि शाहपुर ब्लाक के आदिवासी ग्रामों में हर घर से एक-दो नौजवान मजदूरी के लिए बाहर जाते हैं, उनका परिवार मजदूरी पर ही आश्रित है. आज उनके सामने घर का खर्च उठाने का संकट खड़ा हो गया है. बैंकों में उनके अकाउंट नहीं है, कुछ लोग आदिवासी मजदूरों को यह कहकर मजदूरी नहीं दे रहे है कि उनके पास रुपए नहीं है, वे चेक देना चाहते हैं. इस स्थिति में अकाउंट के अभाव में मजदूर रुपए लेकर क्या करेगा? उन्होंने बताया कि यह समस्या केवल शाहपुर ब्लाक आदिवासी ग्रामों की नहीं है, बल्कि प्रदेश के आदिवासी अंचल में इसी तरह आदिवासी मजदूर परेशान हो रहे हैं. उनके सामने अब परिवार के लालन-पालन का संकट खड़ा हो रहा है.
आदिवासी नेता राजेन्द्र गढ़वाल ने बताया कि राज्य के खण्डवा जिले के आदिवासी ग्रामों में आदिवासी मजदूर नोटबंदी के बाद रोजी रोटी को लेकर परेशान हो गया है. मजदूरों के पास जो पुराने नोट हैं, उन्हें बदलने के लिए शहरों में जाना पड़ रहा है. डाकघरों में व्यवस्था नहीं की गई है. इस स्थिति में मजदूर हजार, दो हजार रुपए बदलवाने के लिए मजदूरी छोड़कर बैंकों में दिनभर लाइन में लगा रहता है.
आदिवासी मंत्री भी हैं खफा
नोट बंदी के बाद राज्य के आदिवासी मजदूरों के अलावा किसानों को जो समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उससे प्रदेश के मंत्री भी खफा नजर आ रहे हैं. राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा कि नोट बंदी अच्छा कदम है, मगद आदिवासी अंचलों में मजदूरों की परेशानी को देखते हुए कुछ इस तरह के कदम उठाने चाहिए ताकि मजदूर परेशान न हो.मजदूरों के पास ज्यादा संख्या में 5 सौ के नोट नहीं है, मगर उन्हें कम नोट होने के बावजूद बदलवाने में परेशानी हो रही है. डाक घरों पर तुरंत नोट बदलवाने की व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं खाघ मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे भी नोट बंदी के बाद किसानों और आदिवासियों की परेशानी से चिंतित है. उन्होंने अपनी बात मंगलवार को कैबिनेट बैठक में उठानी भी चाही, मगर मुख्यमंत्री शिवराजसिंंह चौहान ने उन्हें रोक दिया.
नोट बंदी का खासा असर राज्य के आदिवासी अंचलों में दिखाई पड़ रहा है. यहां आदिवासी किसान से लेकर मजदूर वर्ग तक परेशान नजर आ रहा है. मजदूर को मजदूरी करने के बाद रुपए नहीं मिल रहे हैं, तो किसानी करने वाले आदिवासियों के सामने उनकी फसल मक्का के दाम अचानक गिर जाने से संकट आ खड़ा हुआ है.
राज्य के आदिवासी अंचलों खासकर बैतूल एवं खण्डवा जिले के आदिवासी ग्रामों में मजदूर वर्ग और वे आदिवासी जो किसानी कर रहे हैं उनके सामने सबसे बड़ा संकट नोट बंदी ने खड़ा कर दिया है. आदिवासी किसानों ने इस सीजन में मक्का की फसल ली थी, इसकी कीमत 12 रुपए प्रति किलो बाजार में थी, मगर नोट बंदी के बाद यह 8 रुपए प्रतिकिलों बिक रही है. आदिवासी किसान मजबूरी में अपनी इस फसल को औने-पौने दामों पर बेच रहा है.आदिवासी किसान के सामने आए इस संकट ने उसके परिवार के लिए समस्या खड़ी कर दी है. किसानी करने वालों को रुपए के अभाव में खाद-बीज के संकट से भी दो-चार होना पड़ रहा है.
समाजवादी जनपरिषद के अनुराम मोदी ने बताया कि आदिवासी अंचलों में मजदूरी करने वालों को दिनभर मजदूरी करने के बाद मजदूरी नहीं मिल रही है. जिनके यहां वे मजदूरी करने जाते हैं, वहां पर वे काम तो करते हैं, मगर शाम को लौटते वक्त उन्हें मजदूरी नहीं दी जा रही है. मोदी ने मांग की है कि मुख्यमंत्री को इस मामले को गंभीरता लेना चाहिए और आदिवासी अंचलों में नोट बदलवाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ यह तय किया जाए कि आदिवासी मजदूर को मजदूरी समय पर मिल जाया करे. सजप के ही कार्यकर्ता बसंत टेकाम ने बताया कि बैतूल जिले के शाहपुर ब्लाक के डोढरमौउ के 25 मजदूर सीहोर जिले के बाड़ी-बख्तरा में धान कटाई के लिए मजदूरी करने गए थे, वहां पर कटाई का काम होने के बाद मजदूरों को यह कहकर किसानों ने वापस लौटा दिया कि उनके पास रुपए नहीं है, इस वजह से रुपए बाद में दे देंगे. इस स्थिति में परेशान मजदूर वापस लौट आए. उन्होंने बताया कि शाहपुर ब्लाक के आदिवासी ग्रामों में हर घर से एक-दो नौजवान मजदूरी के लिए बाहर जाते हैं, उनका परिवार मजदूरी पर ही आश्रित है. आज उनके सामने घर का खर्च उठाने का संकट खड़ा हो गया है. बैंकों में उनके अकाउंट नहीं है, कुछ लोग आदिवासी मजदूरों को यह कहकर मजदूरी नहीं दे रहे है कि उनके पास रुपए नहीं है, वे चेक देना चाहते हैं. इस स्थिति में अकाउंट के अभाव में मजदूर रुपए लेकर क्या करेगा? उन्होंने बताया कि यह समस्या केवल शाहपुर ब्लाक आदिवासी ग्रामों की नहीं है, बल्कि प्रदेश के आदिवासी अंचल में इसी तरह आदिवासी मजदूर परेशान हो रहे हैं. उनके सामने अब परिवार के लालन-पालन का संकट खड़ा हो रहा है.
आदिवासी नेता राजेन्द्र गढ़वाल ने बताया कि राज्य के खण्डवा जिले के आदिवासी ग्रामों में आदिवासी मजदूर नोटबंदी के बाद रोजी रोटी को लेकर परेशान हो गया है. मजदूरों के पास जो पुराने नोट हैं, उन्हें बदलने के लिए शहरों में जाना पड़ रहा है. डाकघरों में व्यवस्था नहीं की गई है. इस स्थिति में मजदूर हजार, दो हजार रुपए बदलवाने के लिए मजदूरी छोड़कर बैंकों में दिनभर लाइन में लगा रहता है.
आदिवासी मंत्री भी हैं खफा
नोट बंदी के बाद राज्य के आदिवासी मजदूरों के अलावा किसानों को जो समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उससे प्रदेश के मंत्री भी खफा नजर आ रहे हैं. राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह ने कहा कि नोट बंदी अच्छा कदम है, मगद आदिवासी अंचलों में मजदूरों की परेशानी को देखते हुए कुछ इस तरह के कदम उठाने चाहिए ताकि मजदूर परेशान न हो.मजदूरों के पास ज्यादा संख्या में 5 सौ के नोट नहीं है, मगर उन्हें कम नोट होने के बावजूद बदलवाने में परेशानी हो रही है. डाक घरों पर तुरंत नोट बदलवाने की व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं खाघ मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे भी नोट बंदी के बाद किसानों और आदिवासियों की परेशानी से चिंतित है. उन्होंने अपनी बात मंगलवार को कैबिनेट बैठक में उठानी भी चाही, मगर मुख्यमंत्री शिवराजसिंंह चौहान ने उन्हें रोक दिया.
रविवार, 14 अगस्त 2016
सोमवार, 6 जून 2016
तेज हुए सियासी दांव-पेंच
* भाजपा ने बढ़ाई सक्रियता, मंत्री नरोत्तम पहुंचे भाजपा कार्यालय, बोले देखा आगे-आगे क्या होगा
राज्यसभा में मतदान के पहले वोटों के लिए सियासी दांव-पेंच तेज हो गए हैं. कांग्रेस को बसपा का समर्थन मिलने से भाजपा में वरिष्ठ नेताओं की बैठकों का दौर तेज हो गया है. वहीं कांग्रेस भी इस मामले में विधायकों पर कसावट कर रही है. भाजपा ने एक बार फिर जोड़-तोड़ में माहिर स्वास्थ्य मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा पर भरोसा जताया और आज उन्हें प्रदेश कार्यालय बुलाकर चर्चा की.
भाजपा ने निर्दलीय प्रत्याशी विनोद गोटिया के पक्ष में मतदान कराने और उन्हें विजय बनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकें कर रणनीति बनानी शुरु कर दी है. हालांकि प्रदेश संगठन फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कोयम्बटूर से आने का इंतजार कर रहा है. वहीं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र तोमर खुद बुधवार से राजधानी में डेरा डालेंगे. तोमर के आने के बाद बैठकों का दौर तेज होगा. आज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान से स्वास्थ्य मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचकर मुलाकात की. हालांकि मिश्रा ने इस मुलाकात को सामान्य बताया. उन्होंने कहा कि वे जब भोपाल रहते हैं, तो प्रदेश कार्यालय जाते हैं. मगर सूत्रों की माने तो डा. मिश्रा गोटिया के पक्ष में जमावट की रणनीति पर चर्चा करके आए हैं. वैसे भी उन्हें ग्वालियर-चंबल के अलावा महाकौशल की जिम्मेदारी सौंपी गई है. मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि वे सामान्य चर्चा के लिए आए थे, राज्यसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि देखा आगे-आगे क्या होता है. सब सामने आएगा. वहीं सामान्य प्रशासन मंत्री लाल सिंह आर्य भी आज निर्दलीय प्रत्याशी के पक्ष में मैदान में उतरे. उन्होंने कहा कि बसपा का कांग्रेस को समर्थन आंबेडकर के नाम पर दलित प्रेम की नौटंी है. कांग्रेस ने आंबेडकर को 1952-53 का उपचुनाव हराया. बसपा का लक्ष्य आंबेडकर की नीतियों पर चलना नहीं बल्कि सत्ता पाना रह गया है. भाजपा में आज गोटिया के पक्ष में रणनीतिकारों से चर्चा कर असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में लाने पर चर्चा होती रही.
बसपा विधायकों से चर्चा करेंगे राजाराम
भाजपा द्वारा यह बात कहने पर कि बसपा विधायक दल में विभाजन होगा, इसके बाद मायावती ने अपने विश्वसनीय और मध्यप्रदेश के बसपा प्रभारी राजाराम को भोपाल जाने का निर्देश दिया है. राजाराम 8 जून को भोपाल आएंगे और प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के अलावा चारों विधायकों से अलग-अलग चर्चा करेंगे. सूत्रों की माने तो राजाराम विधायकों को एकजुट होकर केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश का पालन करने को कहेंगे. वे इस दिन व्हीप भी जारी करेंगे. सूत्रों की माने तो राजाराम और दूसरे प्रदेश प्रभारी सुमरतसिंह दोनों ही 11 जून तक भोपाल में डेरा डाले रहेंगे.
बैठक में नहीं पहुंचे कांग्रेस के पूरे विधायक
* अहिरवार की अनुपस्थिति ने गोटिया के पक्ष में जाने के दिए संकेत
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में दिल्ली से भोपाल पहुंचे दिग्गज तो शामिल हुए, मगर पार्टी के 5 विधायक अनुपस्थित रहे. इनमें एक जतारा से कांग्रेस विधायक दिनेशचंद्र अहिरवार की अनुपस्थिति चर्चा में रही. माना जा रहा है कि वे निर्दलीय प्रत्याशी विनोद गोटिया के पक्ष में मतदान करेंगे. बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली से दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, मोहनप्रकाश दोपहर को भोपाल पहुंचे. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव भी बैठक में शामिल हुए.
राज्यसभा के चुनाव के लिए कांग्रेस विधायकों की बैठक आज राजधानी में बुलाई गई. बैठक में 5 विधायकों के शामिल न होने की बात सामने आई हैं. इन पांच विधायकों में जतारा विधायक दिनेश चंद्र अहिरवार, सिरोंज विधायक गोर्वधन उपाध्याय, नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे, बड़वानी विधायक रमेश पटेल और नागौद विधायक यादवेन्द्र सिंह अनुपस्थित रहे. कटारे का इलाज मुंबई में चल रहा है, इस कारण वे बैठक से दूर रहे, जबकि पटेल जेल में बंद हैं. वहीं उपाध्याय इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती है, जहां उनका इलाज चला रहा है. वहीं यादवेन्द्र सिंह अपने पिता के निधन होने के कारण बैठक में नहीं पहुंचे. जबकि जतारा विधायक लोकसभा चुनाव से ही भाजपा के पक्ष में चल रहे हैं. उनके बैठक में न पहुंचने से इस बात का साफ संकेत मिला है कि कांगे्रस प्रत्याशी को मतदान नहंी करेंगे. बैठक करीब ढ़ाई घंटे से ज्यादा समय तक चली.
उल्लेखनीय है कि कांगे्रस प्रत्याशी विवेक तन्खा को जीतने के लिए 58 वोट की जरुरत है और कांग्रेस के पास 57 वोट हैं. मगर इनमें अहिरवार के अलावा कटारे एवं पटेल को डाकमत पत्र से मतदान कराने के लिए आयोग ने अपनी स्वीकृति नहीं दी है. इस कारण कांगे्रस के 3 वोट कम हो कसते है, मगर कटारे और पटेल के मामले में कांग्रेस अदालत की शरण में पहुंची है. अदालत के फैसले पर ही कांग्रेस के पक्ष में ये दो वोट जा सकेंगे.
गुरुवार, 2 जून 2016
विधायकों के मौन ने बढ़ाई चिंता
भाजपा, कांगे्रस दिल्ली में बना रही रणनीति
राज्यसभा के लिए मतदान की स्थिति निर्मित होने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए निर्दलीय और बसपा के विधायकों का मौन चिंता बन गया है. दोनों ही दल दिल्ली में बैठकर चुनाव फतह करने की रणनीति बना रहे हैं.
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 1 सीट के लिए मतदान की स्थिति निर्मित हो जाने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सक्रियता बढ़ा दी है. भाजपा इस मामले में ज्यादा चिंतित है और वह संगठन पदाधिकारियों के अलावा मंत्रियों को सक्रिय कर कांग्रेस के विधायकों पर नजरें टिकाए हुए है. इसके अलावा बसपा एवं निर्दलियों पर भी उसकी नजर टिकी हुई है. भाजपा ने पहले संगठन पदाधिकारियों को सक्रिय कर अंचलवार उनकी तैनाती कर विधायकों की जोड़-तोड़ के लिए काम शुरु किया, वहीं अब प्रदेश के आधा दर्जन मंत्रियों को इस काम में लगा दिया है, जिन मंत्रियों को सक्रिय किया गया है, उनमें डा. नरोत्तम मिश्रा, राजेन्द्र शुक्ला, रामपालसिंह, भूपेन्द्र सिंह और लाल सिंह आर्य हैं. इनमें नरोत्तम मिश्रा को महाकौशल अंचल की कमान सौंपी है, जबकि भूपेन्द्र सिंह को बुंदेलखंड और राजेन्द्र शुक्ला को विंध्य में सक्रिय किया है. भाजपा ने जीत के लिए रणनीति दिल्ली में बैठकर बनानी शुरु कर दी है. आज मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी दिल्ली में थे और संगठन पदाधिकारियों से उनकी चर्चा भी इसी मुद्दे पर हुई है.
भाजपा के अलावा कांगे्रस ने भी दिल्ली में सक्रियता दिखाई है. वरिष्ठ नेताओं दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के बंगले पर बैठकर बुधवार की रात चर्चा की. इस बैठक में विवेक तन्खा भी थे. इसके बाद आज भी दिन में ये नेता दिल्ली में सक्रिय रहे और रणनीति बनाते रहे. सूत्रों की माने तो इन नेताओं ने पहले कांग्रेस विधायकों को विश्वास में लेकर कदम बढ़ाने की बात कही है. इसके अलावा बसपा और निर्दलीय विधायकों को किस तरह से कांग्रेस के पक्ष में लाया जाए इसका गुणा-भाग भी किया है. कुल मिलाकर कांग्रेस के दिग्गिज नेता पहली बार दिल्ली में इस तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं. फिलहाल तो इन नेताओं ने पत्ते नहीं खोले हैं, मगर वे अब अपने समर्थकों को कांग्रेस विधायकों पर नजरें रखने के लिए सक्रिय कर रहे हैं.
भाजपा का बढ़ा एक वोट
राज्यसभा चुनाव के लिए एक-एक वोट की जुगाड़ कर रही भाजपा के लिए घोड़ाडोंगरी की जीत ने एक वोट बढ़ा दिया है. अभी तक भाजपा के खाते में 165 वोट थे और उसे 9 वोट की आवश्यकता थी, मगर आज जब चुनाव परिणाम आया तो उसके एक वोट बढ़ा और अब 8 वोट के लिए उसे जद्दोजहद करनी है. भाजपा के संपर्क में कांग्रेस के जतारा से जीते विधायक पहले से ही हैं, वहीं आधा दर्जन विधायकों को भाजपा तोड़ने की योजना में भी जुट गई है.
राज्यसभा के लिए मतदान की स्थिति निर्मित होने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए निर्दलीय और बसपा के विधायकों का मौन चिंता बन गया है. दोनों ही दल दिल्ली में बैठकर चुनाव फतह करने की रणनीति बना रहे हैं.
मध्यप्रदेश में राज्यसभा की 1 सीट के लिए मतदान की स्थिति निर्मित हो जाने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने सक्रियता बढ़ा दी है. भाजपा इस मामले में ज्यादा चिंतित है और वह संगठन पदाधिकारियों के अलावा मंत्रियों को सक्रिय कर कांग्रेस के विधायकों पर नजरें टिकाए हुए है. इसके अलावा बसपा एवं निर्दलियों पर भी उसकी नजर टिकी हुई है. भाजपा ने पहले संगठन पदाधिकारियों को सक्रिय कर अंचलवार उनकी तैनाती कर विधायकों की जोड़-तोड़ के लिए काम शुरु किया, वहीं अब प्रदेश के आधा दर्जन मंत्रियों को इस काम में लगा दिया है, जिन मंत्रियों को सक्रिय किया गया है, उनमें डा. नरोत्तम मिश्रा, राजेन्द्र शुक्ला, रामपालसिंह, भूपेन्द्र सिंह और लाल सिंह आर्य हैं. इनमें नरोत्तम मिश्रा को महाकौशल अंचल की कमान सौंपी है, जबकि भूपेन्द्र सिंह को बुंदेलखंड और राजेन्द्र शुक्ला को विंध्य में सक्रिय किया है. भाजपा ने जीत के लिए रणनीति दिल्ली में बैठकर बनानी शुरु कर दी है. आज मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी दिल्ली में थे और संगठन पदाधिकारियों से उनकी चर्चा भी इसी मुद्दे पर हुई है.
भाजपा के अलावा कांगे्रस ने भी दिल्ली में सक्रियता दिखाई है. वरिष्ठ नेताओं दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ के बंगले पर बैठकर बुधवार की रात चर्चा की. इस बैठक में विवेक तन्खा भी थे. इसके बाद आज भी दिन में ये नेता दिल्ली में सक्रिय रहे और रणनीति बनाते रहे. सूत्रों की माने तो इन नेताओं ने पहले कांग्रेस विधायकों को विश्वास में लेकर कदम बढ़ाने की बात कही है. इसके अलावा बसपा और निर्दलीय विधायकों को किस तरह से कांग्रेस के पक्ष में लाया जाए इसका गुणा-भाग भी किया है. कुल मिलाकर कांग्रेस के दिग्गिज नेता पहली बार दिल्ली में इस तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं. फिलहाल तो इन नेताओं ने पत्ते नहीं खोले हैं, मगर वे अब अपने समर्थकों को कांग्रेस विधायकों पर नजरें रखने के लिए सक्रिय कर रहे हैं.
भाजपा का बढ़ा एक वोट
राज्यसभा चुनाव के लिए एक-एक वोट की जुगाड़ कर रही भाजपा के लिए घोड़ाडोंगरी की जीत ने एक वोट बढ़ा दिया है. अभी तक भाजपा के खाते में 165 वोट थे और उसे 9 वोट की आवश्यकता थी, मगर आज जब चुनाव परिणाम आया तो उसके एक वोट बढ़ा और अब 8 वोट के लिए उसे जद्दोजहद करनी है. भाजपा के संपर्क में कांग्रेस के जतारा से जीते विधायक पहले से ही हैं, वहीं आधा दर्जन विधायकों को भाजपा तोड़ने की योजना में भी जुट गई है.
वोटों के गणित में उलझे नेता
बसपा को मायावती के फैसले का इंतजार, दो निर्दलियों पर तन्खा को भरोसा
राज्यसभा के लिए एक सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन भरने के बाद निर्मित हुई मतदान की स्थिति को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल मतों के गणित में उलझ गए हैं. दोनों ही दलों ने विधायकों को लेकर जमावट शुरु कर दी है.
विनोद गोटिया के नामांकन भरने के बाद कांग्रेस नेताओं की चिंता कुछ ज्यादा बढ़ी है. खुद प्रत्याशी विवेक तन्खा स्वयं अब विधायकों से संपर्क कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस संगठन भी वरिष्ठ नेताओं के जरिए विधायकों को साध रहा है. कांग्रेस को वैसे तो जतारा के दिनेश अहिरवार को छोड़कर सभी विधायकों पर भरोसा है, मगर इसके बाद भी वह किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रही है. वहीं तन्खा को तीन निर्दलीय विधायकों में से एक को छोड़कर निर्दलीय विधायकों पर यह भरोसा है कि वे उनके पक्ष में जाएंगे. वहीं मंगलवार को बसपा ने जिस तरह से इस बात के संकेत दिए थे कि वह भाजपा को समर्थन दे सकती है, उसके सुर भी आज बदले नजर आए. बसपा के विधायकों को मंगलवार की शाम को ही मायावती का संदेश मिल गया है कि वे बहनजी के कहने के बाद ही कोई कदम उठाएं. जब तक मायावती का निर्देश नहीं मिले, तब तक किसी तरह से किसी दल के संपर्क में न रहें. इस निर्देश के बाद बसपा के चारों विधायकों ने एक तरह से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से दूरी बना ली है.
भाजपा ने क्षेत्रवार सौंपी जिम्मेदारी
भारतीय जनता पार्टी ने गोटिया को मैदान में उतार कर खुद का संकट बढ़ा लिया है. भाजपा के प्रदेश संगठन पर अब मैदान फतह करने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व का दबाव बढ़ता जा रहा है. भाजपा जिस तरह से मतदान कराकर जीत को आसान मान रही थी, वहीं उसके लिए अब मुसीबत भी बन रही है. बसपा के विधायक अगर भाजपा का साथ नहीं देंगे तो उसके लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. भाजपा को पहले यह उम्मीद थी कि मैहर उपचुनाव में जिस तरह से बसपा ने प्रत्याशी उतारकर भाजपा प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी को मदद की थी, उसी तर्ज पर इस बार भी उसे मदद मिलेगी, मगर इस बार मायावती ने संदेश के बाद बसपा विधायक मौन हो गए हैं. इसे देखते हुए भाजपा ने अब क्षेत्रवार संगठन नेताओं को जिम्मेदारी देकर कहा है कि जीत के आंकड़े को छूने के लिए विधायकों को अपने पक्ष में करें. सूत्रों की माने तो बुंदेलखंड की जिम्मेदारी शैलेन्द्र बरुआ, ग्वालियर, चंबल की जिम्मेदारी चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, वेदप्रकाश शर्मा, को सौंपी है. इसके अलावा कांग्रेस विधायकों को तोड़ने के लिए भी संगठन पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं. वहीं विंध्य में अजय प्रतापसिंह के अलावा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और सतना सांसद गणेश सिंह को सक्रिय किया गया है. इसके अलावा मालवा अंचल में केन्द्रीय नेतृत्व कैलाश विजयवर्गीय को सक्रिय कर रहा है.
यह है वोटों का गणित
भाजपा के विधायक- 166
कांगे्रस के विधायक- 57
बसपा के विधायक- 04
निर्दलीय विधायक-03
कांग्रेस को बगावत की आशंक-01
भाजपा को चाहिए - 08 विधायक
कांग्रेस को चाहिए- 02
--------------------
नोट: कांग्रेस के एक विधायक दिनेश अहिरवार लोकसभा चुनाव से ही भाजपा के साथ हैं, उनके खिलाफ दल-बदल कानून का मामला विस में दिया, मगर फैसला बाकी है.
राज्यसभा के लिए एक सीट पर भाजपा के प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया द्वारा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन भरने के बाद निर्मित हुई मतदान की स्थिति को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल मतों के गणित में उलझ गए हैं. दोनों ही दलों ने विधायकों को लेकर जमावट शुरु कर दी है.
विनोद गोटिया के नामांकन भरने के बाद कांग्रेस नेताओं की चिंता कुछ ज्यादा बढ़ी है. खुद प्रत्याशी विवेक तन्खा स्वयं अब विधायकों से संपर्क कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस संगठन भी वरिष्ठ नेताओं के जरिए विधायकों को साध रहा है. कांग्रेस को वैसे तो जतारा के दिनेश अहिरवार को छोड़कर सभी विधायकों पर भरोसा है, मगर इसके बाद भी वह किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रही है. वहीं तन्खा को तीन निर्दलीय विधायकों में से एक को छोड़कर निर्दलीय विधायकों पर यह भरोसा है कि वे उनके पक्ष में जाएंगे. वहीं मंगलवार को बसपा ने जिस तरह से इस बात के संकेत दिए थे कि वह भाजपा को समर्थन दे सकती है, उसके सुर भी आज बदले नजर आए. बसपा के विधायकों को मंगलवार की शाम को ही मायावती का संदेश मिल गया है कि वे बहनजी के कहने के बाद ही कोई कदम उठाएं. जब तक मायावती का निर्देश नहीं मिले, तब तक किसी तरह से किसी दल के संपर्क में न रहें. इस निर्देश के बाद बसपा के चारों विधायकों ने एक तरह से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों से दूरी बना ली है.
भाजपा ने क्षेत्रवार सौंपी जिम्मेदारी
भारतीय जनता पार्टी ने गोटिया को मैदान में उतार कर खुद का संकट बढ़ा लिया है. भाजपा के प्रदेश संगठन पर अब मैदान फतह करने के लिए केन्द्रीय नेतृत्व का दबाव बढ़ता जा रहा है. भाजपा जिस तरह से मतदान कराकर जीत को आसान मान रही थी, वहीं उसके लिए अब मुसीबत भी बन रही है. बसपा के विधायक अगर भाजपा का साथ नहीं देंगे तो उसके लिए बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा. भाजपा को पहले यह उम्मीद थी कि मैहर उपचुनाव में जिस तरह से बसपा ने प्रत्याशी उतारकर भाजपा प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी को मदद की थी, उसी तर्ज पर इस बार भी उसे मदद मिलेगी, मगर इस बार मायावती ने संदेश के बाद बसपा विधायक मौन हो गए हैं. इसे देखते हुए भाजपा ने अब क्षेत्रवार संगठन नेताओं को जिम्मेदारी देकर कहा है कि जीत के आंकड़े को छूने के लिए विधायकों को अपने पक्ष में करें. सूत्रों की माने तो बुंदेलखंड की जिम्मेदारी शैलेन्द्र बरुआ, ग्वालियर, चंबल की जिम्मेदारी चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, वेदप्रकाश शर्मा, को सौंपी है. इसके अलावा कांग्रेस विधायकों को तोड़ने के लिए भी संगठन पदाधिकारी सक्रिय हो गए हैं. वहीं विंध्य में अजय प्रतापसिंह के अलावा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल और सतना सांसद गणेश सिंह को सक्रिय किया गया है. इसके अलावा मालवा अंचल में केन्द्रीय नेतृत्व कैलाश विजयवर्गीय को सक्रिय कर रहा है.
यह है वोटों का गणित
भाजपा के विधायक- 166
कांगे्रस के विधायक- 57
बसपा के विधायक- 04
निर्दलीय विधायक-03
कांग्रेस को बगावत की आशंक-01
भाजपा को चाहिए - 08 विधायक
कांग्रेस को चाहिए- 02
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नोट: कांग्रेस के एक विधायक दिनेश अहिरवार लोकसभा चुनाव से ही भाजपा के साथ हैं, उनके खिलाफ दल-बदल कानून का मामला विस में दिया, मगर फैसला बाकी है.
मंगलवार, 31 मई 2016
तीसरी सीट पर कांग्रेस को चुनौती
भाजपा ने खेला दाव, विवेक तन्खा के मुकाबले मैदान में उतारा विनोद गोटिया को
मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीनों सीटों पर भाजपा अपना कब्जा जमाने के लिए तीसरी सीट पर कांग्रेस को चुनौती दे डाली है. भाजपा ने कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा के खिलाफ मैदान में भाजपा के प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया को उतारा है. गोटिया ने संगठन के हरी झंडी मिलने के बाद दोपहर को भाजपा के उपाध्यक्ष विजेश लुनावत के साथ विधानसभा पहुंचकर अपना नामांकन भर दिया.
राज्यसभा की प्रदेश में रिक्त हो रही तीन सीटों में से एक सीट पर मतदान की स्थिति भाजपा ने निर्मित कर दी है. कांग्रेस के खाते वाली इस सीट पर कांग्रेस ने विवेक तन्खा को मैदान में उतारा था. तन्खा के मैदान में उतरने के साथ ही भाजपा में यह तैयारी शुरु हो गई थी कि तीसरी सीट पर भी चुनाव लड़ा जाए. वैसे तो तीसरी सीट के लिए भाजपा संगठन ने प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में ही यह फैसला कर लिया था कि प्रत्याशी मैदान में उतारा जाए. इसके चलते राष्ट्रीय नेतृत्व को जानकारी भी दे दी थी. इसके बाद सोमवार शाम से भाजपा संगठन ने इस मामले पर सक्रियता दिखाई और पार्टी के प्रदेश महामंत्री विनोद गोटिया को मैदान में उतारने का फैसला कर लिया था, मगर आज सुबह पूर्व सांसद फूलचंद वर्मा द्वारा चुनाव लड़ने की बात कहते हुए दावेदारी करने पर संगठन के सामने संकट खड़ा हुआ. वर्मा ने दलित कार्ड खेलते हुए अपना दावा पेश किया, इसके बाद वर्मा के दावे करने की बात को राष्ट्रीय नेतृत्व को बताया. करीब चार घंटे की मशक्कत के बाद यह तय हुआ कि वर्मा नहीं, बल्कि गोटिया ही नामांकन भरेंगे.राष्ट्रीय नेतृत्व की हरी झंडी मिलने के बाद गोटिया ने प्रदेश उपाध्यक्ष विजेश लुनावत के साथ विधानसभा पहुंचकर दोपहर 2 बजे अपना नामांकन तीसरी सीट के लिए भर दिया. गोटिया के नामांकन फार्म पर दीपक जोशी, सुरेन्द्र नाथ सिंह, विष्णु खत्री, दिव्यराजसिंह, शंकरलाल तिवारी, पुष्पेन्द्र पाठक, केदारनाथ शुक्ला, कैलाश यादव, दिलीपसिंह परिहार प्रस्तावक बने हैं.
गोटिया ने नामांकन भरने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि नामांकन भरना और चुनाव लड़ने का उनका खुद का फैसला है. यह पूछे जाने पर की क्या राष्ट्रीय नेतृत्व ने उन्हें इस मामले में अनुमति दी है. इस पर उन्होंने कहा कि इस मामले में बाद में बात करेंगे.
बसपा ने बिगड़ा वर्मा का समीकरण
देवास से सांसद रहे फूलचंद वर्मा ने आज सुबह जब संगठन द्वारा तीसरी सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला तय होता देखा तो प्रदेश कार्यालय पहुंचकर दलित कार्ड खेलते हुए अपना दावा इस सीट के लिए ठोक दिया. वर्मा के दावे ने संगठन को उलझा दिया. संगठन ने इस मामले में पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से परामर्श किया, फिर बसपा विधायकों से इस मामले में परामर्श किया गया. इस पर बसपा ने वर्मा के नाम पर असहमति जताई. इसके बाद संगठन ने गोटिया के नाम पर मोहर लगाई और उन्हें तीसरी सीट के लिए प्रत्याशी घोषित कर उनका नामांकन भरा दिया.
दवे, अकबर ने सुबह भरा नामांकन
भाजपा के राज्यसभा के लिए घोषित उम्मीदवार अनिल माधव दवे और एम.जे.अकबर ने आज सुबह मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ विधानसभा पहुंचकर अपना नामांकन भरा. आज सुबह दोनों उम्मीदवार पहले प्रदेश भाजपा कार्यालय पहंचे और वहां पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सीधे विधानसभा पहुंचे. यहां पर दोनों उम्मीदवारों ने निर्वाचन अधिकारी भगवानदेव इसरानी के कक्ष में जाकर अपना नामांकन भरा. भाजपा के दोनों प्रत्याशी रैली के रुप में विधानसभा पहुंचे थे. अनिल दवे को भाजपा ने मध्यप्रदेश से ही तीसरी बार राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया है. वहीं अकबर वरिष्ठ पत्रकार होने केअलावा भाजपा के प्रवक्ता भी हैं. उनके नाम की घोषणा भाजपा ने सोमवार की शाम को की थी. हालांकि उनके नाम की घोषणा पर प्रदेश संगठन खुद चकित रह गया था. पहले यह माना जा रहा था कि संघ की पसंद से दूसरी सीट के लिए प्रत्याशी बनाया जाएगा. अकबर आज सुबह ही विमान से भोपला पहुंचे, जहां उनका कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया.
राजनीतिक अनुभव का मिलेगा फायदा
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने विधानसभा परिसर में दोनों प्रत्याशियों के नामांकन भरे जाने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा के दोनों अधिकृत प्रत्याशी अनिल दवे और एम.जे.अकबर अच्छे व्यक्ति है. दोनों ही ने विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है. उनके राजनीतिक अनुभव का पार्टी और प्रदेश की जनता को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि दवे पर्यावरण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं. जबकि अकबर लेखक, चिंतक और पत्रिकारिता से जुड़े हैं. दोनों को प्रत्याशी बनाए जाने पर मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय नेतृत्व का आभार माना.
भाजपा की रणनीति से चिंतित हुए कांग्रेसी
भाजपा द्वारा तीसरी सीट पर उम्मीदवार उतारने के बाद कांग्रेस नेताओं में चिंता होने लगी. सोमवार को ही कांगे्रस के दिग्गज नेताओं के साथ विवेक तन्खा ने अपना नामांकन भरा था. कांग्रेस इस बात से निश्ंिचत थी कि भाजपा पूर्व की भांति उसके लिए मैदान साफ रखेगी, मगर ऐसा नहीं हुआ. आज जब विनोद गोटिया ने तीसरी सीट के लिए अपना नामांकन भरा तो कांग्रेस नेता सक्रिय हो गए. वैसे कांग्रेस ने अपने विधायकों को लेकर तन्खा के नाम की घोषणा होने के साथ ही जमावट शुरु कर दी थी. विधायकों ने फार्म भरवा लिए थे. कांग्रेस के लिए अब तीसरी सीट चुनौति बन गई है. अब कांग्रेस दिग्गज नेताओं को एकजुट होकर इस चुनाव को लड़ने की रणनीति पर काम करेगी. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के सहारे ही तन्खा की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा द्वारा तीसरी सीट के लिए चुनाव लड़ने का जो फैसला लिया गया, वह उचित नहीं है. चुनाव लड़ना प्रजातंत्र का हिस्सा है, मगर भाजपा जिस नियत के तहत यह कर रही है, उससे साफ है कि वह विधायकों की जोड़-तोड़ करेगी. अगर ऐसा होता है तो गलत है.
गुरुवार, 26 मई 2016
भाजपा ने तय किए 12 नाम
भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति की बैठक आज सुबह प्रदेश भाजपा कार्यालय में संपन्न हुई. बैठक में राज्यसभा की दो सीटों के लिए भाजपा की ओर से 12 नामों को हरी झंडी दी गई. इनमें केन्द्रीय मंत्री वैंकैया नायडू और सांसद अनिल माधव दवे काम नाम सबसे ऊपर है. चुनाव समिति द्वारा एक सीट पर छह नामों के तैयार किए गए पैनल में से नाम की घोषणा दिल्ली से की जाएगी.
राज्यसभा की प्रदेश से रिक्त हुई तीन सीटों में से दो सीटों पर भाजपा का दावा मजबूत है, जबकि एक सीट कांगे्रस के खाते में जा रही है. भाजपा ने अपने खाते की दो सीटों के लिए आज चुनाव समिति के पदाधिकारियों से चर्चा कर एक सीट पर छह नामों का पैनल तैयार कर दिल्ली राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजा है. इन नामों में से दो नामों की घोषणा अब दिल्ली में की जाएगी. भाजपा चुनाव समिति में आज तय किए नामों में केन्द्रीय मंत्री वैंकैया नायडू और सांसद अनिल माधव दवे का नाम सबसे ऊपर है. इन नामों के अलावा राममाधव, माखनसिंह, ओम माथुर, अरविंद मेनन, रघुनंदन शर्मा, कृष्णमुरारी मोघे, विक्रम वर्मा, विनोद गोटिया के नाम भी पैनल में होना बताया जा रहा है.
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, भाजपा के प्रदेश प्रभारी डा. विनय सहस्त्रबुद्धे, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के अलावा चुनाव समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे.
प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक रीवा में
प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक इस बार रीवा में होगी. यह बैठक 16 एवं 17 जून को होगी. चुनाव समिति की बैठक के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने यह जानकारी दी. चौहान ने बताया कि आज चुनाव समिति की बैठक में सिंहस्थ 2016 के सफल आयोजन के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को बधाई दी गई. बैठक में जनसंघ के संस्थापक बलराज मधोक, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यख डा. लक्ष्मीनारायण पांडे, कमला आडवानी, वरिष्ठ नेता मोहम्मद गनी अंसारी, गुलशन बाई उंटवाल के अलावा सिंहस्थ के दौरान हुए हादसे में मृत हुए श्रद्धालुओं सहित पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के परिजनों के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.
राज्यसभा की प्रदेश से रिक्त हुई तीन सीटों में से दो सीटों पर भाजपा का दावा मजबूत है, जबकि एक सीट कांगे्रस के खाते में जा रही है. भाजपा ने अपने खाते की दो सीटों के लिए आज चुनाव समिति के पदाधिकारियों से चर्चा कर एक सीट पर छह नामों का पैनल तैयार कर दिल्ली राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजा है. इन नामों में से दो नामों की घोषणा अब दिल्ली में की जाएगी. भाजपा चुनाव समिति में आज तय किए नामों में केन्द्रीय मंत्री वैंकैया नायडू और सांसद अनिल माधव दवे का नाम सबसे ऊपर है. इन नामों के अलावा राममाधव, माखनसिंह, ओम माथुर, अरविंद मेनन, रघुनंदन शर्मा, कृष्णमुरारी मोघे, विक्रम वर्मा, विनोद गोटिया के नाम भी पैनल में होना बताया जा रहा है.
बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, भाजपा के प्रदेश प्रभारी डा. विनय सहस्त्रबुद्धे, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान, प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के अलावा चुनाव समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे.
प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक रीवा में
प्रदेश भाजपा की कार्यकारिणी की बैठक इस बार रीवा में होगी. यह बैठक 16 एवं 17 जून को होगी. चुनाव समिति की बैठक के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने यह जानकारी दी. चौहान ने बताया कि आज चुनाव समिति की बैठक में सिंहस्थ 2016 के सफल आयोजन के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को बधाई दी गई. बैठक में जनसंघ के संस्थापक बलराज मधोक, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यख डा. लक्ष्मीनारायण पांडे, कमला आडवानी, वरिष्ठ नेता मोहम्मद गनी अंसारी, गुलशन बाई उंटवाल के अलावा सिंहस्थ के दौरान हुए हादसे में मृत हुए श्रद्धालुओं सहित पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं के परिजनों के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.
तीनों सीटों पर लड़ें चुनाव
भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह पदाधिकारियों ने एकमत होकर यह फैसला भी लिया कि तीनों सीटों पर चुनाव लड़ा जाए. हालांकि इस फैसले का विरोध तो किसी सदस्य ने नहीं किया, मगर विधायकों की सदस्य संख्या को लेकर सवाल खड़े किए, इस पर तर्क यह दिया गया कि बसपा, निर्दलीय के अलावा कांग्रेस के नाराज विधायकों को हम अपने पक्ष में लाकर यह चुनाव लड़ सकते हैं. इस पर यह फैसला भी केन्द्र पर सौंप दिया. यहां उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पक्ष में उसे 57 विधायक है, जबकि चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को 59 विधायकों का समर्थन चाहिए. वहीं भाजपा को पूरे 59 विधायकों को उसे पक्ष में लाना होगा, जो उसके लिए कठिन है.
अग्रवाल भाईयों के मिले शव
जमीन विवाद को लेकर तीन दिन पहले वकील नवीन अग्रवाल और उनके भाई सुधीर अग्रवाल के अपहरण के बाद उनकी हत्या कर शव जंगल में फेंक दिए. शवों की शिनाख्ती न हो इसके लिए उनके चेहरों को बुरी तरह जला दिया. शव आज सिवनी मालवा के निकट जंगल में पुलिस को मिले हैं.
राजधानी के वरिष्ठ वकील नवीन अग्रवाल और उनके हरदा निवासी भाई सुधीर अग्रवाल के शव आज पुलिस ने होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा के निकट बांदरखोह के जंगल में नहर के किनारे बरामद किए हैं. दोनों की शिनाख्त न हो इस वजह से अपहरण कर हत्या करने वालों ने उनके चेहरों को जला दिया था. इसके बाद उनके पैर बांधकर वहां झाड़ियों में फेंक दिया था. आरोपियों की निशानदेही पर शवों को बरामद किया है.
उल्लेखनीय है कि हरदा के निकट सिराली में अग्रवाल भाईयों ने मोहनपुर गांव में जमीन खरीदी थी. 7 एकड़ जमीन पर जगदीश राजपूत का कब्जा था, विवाद को निपटाने के लिए दोनों भाई अपने साथियों के साथ वहां गए थे, इसके बाद जगदीश और उसके साथियों ने जमकर मारपीट की और दोनों भाईयों का अपहरण कर लिय था. इसके बाद से पुलिस लगातार उन्हें तलाश रही थी. पुलिस ने मामले में सबसे पहले आरोपी जगदीश को हिरासत में लिया. इसके बाद उसके लड़के को हिरासत में लिया. उनसे पूछताछ के बाद बुधवार की शाम को निखिल तिवारी को इंदौर से पकड़ा. तब जाकर कहीं मामले का खुलासा हुआ. इस मामले में एक आरोपी लालू की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को इस मामले की जानकारी मिलती रही. वह सुराग बताता रहा, इसके बाद इंदौर से जब निखिल की गिरफ्तारी हुई तो इसका खुलासा हुआ कि उसी की गाड़ी से शवों को ले जाकर वहां फेंका गया था.
राजधानी में किया प्रदर्शन
राजधानी भोपाल में आज सुबह जैसे ही अग्रवाल भाईयों की हत्या होने की खबर मिली, इसके बाद अग्रवाल समाज खफा हो गया. वहीं कांग्रेस ने भी इस मामले में विरोध जताया. कांग्रेस कार्यकर्ता और अग्रवाल समाज के लोग गृह मंत्री बाबूलाल गौर के निवास पर पहुंचे और प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान पुलिस का कड़ा पहरा रहा. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता गोविंद गोयल और उनके साथियों को गिरफ्तार भी किया.
राजधानी के वरिष्ठ वकील नवीन अग्रवाल और उनके हरदा निवासी भाई सुधीर अग्रवाल के शव आज पुलिस ने होशंगाबाद जिले के सिवनी मालवा के निकट बांदरखोह के जंगल में नहर के किनारे बरामद किए हैं. दोनों की शिनाख्त न हो इस वजह से अपहरण कर हत्या करने वालों ने उनके चेहरों को जला दिया था. इसके बाद उनके पैर बांधकर वहां झाड़ियों में फेंक दिया था. आरोपियों की निशानदेही पर शवों को बरामद किया है.
उल्लेखनीय है कि हरदा के निकट सिराली में अग्रवाल भाईयों ने मोहनपुर गांव में जमीन खरीदी थी. 7 एकड़ जमीन पर जगदीश राजपूत का कब्जा था, विवाद को निपटाने के लिए दोनों भाई अपने साथियों के साथ वहां गए थे, इसके बाद जगदीश और उसके साथियों ने जमकर मारपीट की और दोनों भाईयों का अपहरण कर लिय था. इसके बाद से पुलिस लगातार उन्हें तलाश रही थी. पुलिस ने मामले में सबसे पहले आरोपी जगदीश को हिरासत में लिया. इसके बाद उसके लड़के को हिरासत में लिया. उनसे पूछताछ के बाद बुधवार की शाम को निखिल तिवारी को इंदौर से पकड़ा. तब जाकर कहीं मामले का खुलासा हुआ. इस मामले में एक आरोपी लालू की गिरफ्तारी के बाद पुलिस को इस मामले की जानकारी मिलती रही. वह सुराग बताता रहा, इसके बाद इंदौर से जब निखिल की गिरफ्तारी हुई तो इसका खुलासा हुआ कि उसी की गाड़ी से शवों को ले जाकर वहां फेंका गया था.
राजधानी में किया प्रदर्शन
राजधानी भोपाल में आज सुबह जैसे ही अग्रवाल भाईयों की हत्या होने की खबर मिली, इसके बाद अग्रवाल समाज खफा हो गया. वहीं कांग्रेस ने भी इस मामले में विरोध जताया. कांग्रेस कार्यकर्ता और अग्रवाल समाज के लोग गृह मंत्री बाबूलाल गौर के निवास पर पहुंचे और प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान पुलिस का कड़ा पहरा रहा. इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता गोविंद गोयल और उनके साथियों को गिरफ्तार भी किया.
बुधवार, 25 मई 2016
अब दिग्गज बढ़ाएंगे सक्रियता
राज्य के बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है. चौहान के मोर्चा संभालने के बाद अब कांग्रेस नेता भी सक्रियता दिखाने की तैयारी कर चुके हैं. कांग्रेस की ओर से कमलनाथ सबसे पहले बैतूल पहुंचेंगे. उसके बाद दिग्विजयसिंह और फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी वहां पहुंचकर चुनाव प्रचार करेंगे.
बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी में हो रहे विधानसभा उपचुनाव को लेकर सिंहस्थ के समापन के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मोर्चा संभाल लिया है. वे आज वहां पहुंचे और चुनाव प्रचार अभियान तेज किया. चौहान के अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी वहां पर सक्रिय हैं. संगठन यहां पर पूरी ताकत के साथ जुटा हुआ है. इसके अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की घोड़ाडोंगरी पहुंचकर वहां पर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से की चर्चा भी इन दिनों भाजपा संगठन में चर्चा का विषय बनी है. भगत ने गुपचुप तरीके से वहां पहुंचकर चुनावी रणनीति को समझाया और कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया. भगत वैसे अपनी नियुक्ति के बाद से अभी तक माहौल और मिजाज देख रहे थे, मगर अब उन्होंने मैदानी मोर्चा भी संभाला है. भगत ने मैदान में उतरकर घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से सीधी बात की और संगठित होकर चुनाव मैदान में दिखाई देने को कहा. वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी वहां पर सक्रियता दिखाते हुए पूरे समय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संगठित होकर चुनाव मैदान में दिखाई देने की बात कह रहे हैं. जबकि आज से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने चुनाव प्रचार को गति देते हुए फिर से विकास के मुद्दे को गर्माने का प्रयास किया है.
भाजपा के अलावा कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता आज से वहां बढ़ेगी. कमलनाथ कल सोमवार को वहां पहुंचकर सभाएं लेंगे. इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी प्रतापसिंह उइके को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजयसिंह को समर्थक माना जाता है, इसलिए उनके समर्थन में सिंह भी वहां पहुंचकर चुनाव प्रचार करेंगे. सिंह को घोड़ाडोंगरी पहुंचकर दो दिनों तक चुनाव प्रचार करने की बात कही जा रही है. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 25 मई को घोड़ाडोंगरी पहुंचेंगे. इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव वहां पर खुद मोर्चा संभाले हुए है.
भोपाल, 22 मई
बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी में हो रहे विधानसभा उपचुनाव को लेकर सिंहस्थ के समापन के बाद अब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मोर्चा संभाल लिया है. वे आज वहां पहुंचे और चुनाव प्रचार अभियान तेज किया. चौहान के अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी वहां पर सक्रिय हैं. संगठन यहां पर पूरी ताकत के साथ जुटा हुआ है. इसके अलावा प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की घोड़ाडोंगरी पहुंचकर वहां पर कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से की चर्चा भी इन दिनों भाजपा संगठन में चर्चा का विषय बनी है. भगत ने गुपचुप तरीके से वहां पहुंचकर चुनावी रणनीति को समझाया और कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया. भगत वैसे अपनी नियुक्ति के बाद से अभी तक माहौल और मिजाज देख रहे थे, मगर अब उन्होंने मैदानी मोर्चा भी संभाला है. भगत ने मैदान में उतरकर घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से सीधी बात की और संगठित होकर चुनाव मैदान में दिखाई देने को कहा. वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान भी वहां पर सक्रियता दिखाते हुए पूरे समय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को संगठित होकर चुनाव मैदान में दिखाई देने की बात कह रहे हैं. जबकि आज से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने चुनाव प्रचार को गति देते हुए फिर से विकास के मुद्दे को गर्माने का प्रयास किया है.
भाजपा के अलावा कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता आज से वहां बढ़ेगी. कमलनाथ कल सोमवार को वहां पहुंचकर सभाएं लेंगे. इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी प्रतापसिंह उइके को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजयसिंह को समर्थक माना जाता है, इसलिए उनके समर्थन में सिंह भी वहां पहुंचकर चुनाव प्रचार करेंगे. सिंह को घोड़ाडोंगरी पहुंचकर दो दिनों तक चुनाव प्रचार करने की बात कही जा रही है. वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया भी 25 मई को घोड़ाडोंगरी पहुंचेंगे. इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव वहां पर खुद मोर्चा संभाले हुए है.
भोपाल, 22 मई
रास के लिए तेज हुई राजनीति
मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए रिक्त हो रही तीन सीटों के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में राजनीति तेज हो गई है. कांग्रेस के दावेदारों की संख्या की ही तरह भाजपा में भी अब दावेदारों की संख्या अधिक हो गई है, जिससे उसकी चिंता बढ़ गई है. भाजपा के पक्ष में दो सीटें है, जबकि कांग्रेस के खाते में एक सीट जा रही है. दोनों ही दलों के दावेदार इन सीटों पर अपना गुणा-भाग लगाकर दावेदारी को मजबूत कर रहे हैं.
जून माह में होने वाले राज्यसभा के चुनाव हेतु भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में सक्रियता बढ़ गई है. मध्यप्रदेश से रिक्त हो रही तीन सीटों में से भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिलना तय माना जा रहा है. पहले भाजपा में यह माना जा रहा था कि यहां पर दावेदारों की संख्या कम होगी, मगर जैसे-जैसे निर्वाचन की तारीख नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे भाजपा में दावेदार अपनी रणनीति के तहत काम करते हुए दावेदारी कर भाजपा संगठन के लिए संकट खड़ा कर रहे हैं. पूर्व में यह माना जा रहा था कि भाजपा के पक्ष में जाने वाली एक सीट पर राज्यसभा सदस्य अनिल माधव दवे का नाम तय है, मगर अब उनके नाम का विरोध करने वाले भी सक्रिय होते नजर आ रहे हैं. दवे को तीसरा मौका मिलना दूसरे दावेदारों को नहीं भा रहा है. दवे के नाम पर भाजपा के वरिष्ठ नेता संकट बन सकते हैं. इन नेताओं में विक्रम वर्मा, रघुनंदन शर्मा, कृष्णमुरारी मोघे के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी का नाम भी शामिल है. जोशी इस बात से आहत है कि उन्हें पूर्व में लोकसभा का टिकट यह आश्वासन देकर काटा गया कि उन्हें राज्यपाल बनाया जाएगा. मगर ऐसा अब तक नहीं हुआ. इस वजह से खुद जोशी अब राज्यसभा जाने की इच्छा रखते हैं. वे 26 मई को भाजपा की चुनाव समिति की होने वाली बैठक में इस बात का विरोध कर सकते हैं. जोशी के अलावा एक नया नाम दावेदारों में भाजपा की ओर से और उभरा है. यह नाम प्रदेश के पूर्व संगठन मंत्री अरविंद मेनन का है. मेनन खुद मध्यप्रदेश से राज्यसभा जाने के प्रयास कर रहे हैं.
भाजपा की दूसरी सीट पर केन्द्रीय नेतृत्व नाम तय करेगा. मगर इस सीट पर भी दावेदारों की संख्या बढ़ रही है. पहले संघ के राम माधव और प्रदेश भाजपा के प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे का नाम लिया जाता रहा, मगर अब तीसरा नाम वैंकैया नायडू के रुप में उभरा है. सूत्रों की माने तो नायडू या फिर राम माधव में से किसी एक नाम पर केन्द्रीय नेतृत्व भरोसा जताएगा.
कांग्रेस में भी उलझन
कांग्रेस में पूर्व से ही एक सीट के लिए दावेदारों की संख्या ज्यादा थी. इसके अलावा अब और भी दावेदार बढ़ रहे हैं. कांग्रेस में पूर्व में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा, पूर्व सांसद मिनाक्षी नटराजन, वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा दावेदारी कर रहे थे. इसके अलावा खुद डा. विजय लक्ष्मी साधौ अपनी दावेदारी करते हुए दोबारा राज्यसभा जाने की तैयारी कर रही थीं. मगर अब कांग्रेस में कपिल सिब्बल का नाम भी तेजी से आगे आया है. हालांकि फिलहाल यह माना जा रहा है कि तन्खा को कांग्रेस इस बार मौका दे सकती है. माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से उम्मीदवार का चयन बहुत कुछ घोंडाडोंगरी के उपचुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा. परिणाम अगर कांग्रेस के पक्ष में जाता है तो कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजयसिंह अपने समर्थक को राज्यसभा पहुंचाने में सफल होंगे. वे विवेक तन्खा को टिकट दिलाने में सफल हो सकते हैं. अगर परिणाम विपरित जाता है तो फिर वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ सक्रितयता दिखाकर अपने समर्थक के लिए प्रयास करेंगे. वहीं अन्य दावेदारी दिल्ली दरबार में अपने नाम पर मोहर लगवाने का पूरा प्रयास करेंगे.
शुक्ला हो सकते हैं नये डीजीपी!
राजेन्द्र पाराशर। भोपाल, 24 मई
राज्य के नये पुलिस महानिदेशक के पद पर पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार शुक्ला के नाम पर मोहर लग सकती है. शुक्ला का नाम करीब-करीब तय माना जा रहा है. वैसे उनके अलावा सरबजीत सिंह का भी नाम लिया जा रहा था, मगर शुक्ला के लिए संघ से जुड़े पदाधिकारियों की सक्रियता ज्यादा नजर आ रही है.
राज्य के पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह को 30 जून को सेवानिवृत्त होना है. उनके उत्तराधिकारी के लिए आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी सक्रिय हैं, मगर पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार शुक्ला के नाम पर मोहर लगना तय माना जा रहा है. शुक्ला के नाम के लिए संघ ने भी सक्रियता दिखाई है. बताया जाता है कि संघ ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन को इस बात का संकेत दे दिया है कि प्रदेश में संघ की पसंद शुक्ला होंगे. इसके बाद शुक्ला के नाम को नये पुलिस महानिदेशक के रुप में तय माना जा रहा है. 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी शुक्ला के हाथ अगर कमान मिलती है तो उनका कार्यकाल वर्ष 1920 तक होगा. इस बीच प्रदेश में विधानसभा के अलावा लोकसभा के चुनाव भी होने हैं. वैसे पूर्व में शुक्ला के स्थान पर पुलिस महानिदेशक इंटेलिजेंस सरबजीत सिंह के नाम पर मोहर लगने की बात कही जा रही थी, मगर शुक्ला की कार्यशैली को देखते हुए वे पिछड़ते नजर आ रहे हैं. हालांकि सरबजीतसिंह को अगर पुलिस महानिदेशक की कमान मिलती तो उनका कार्यकाल 2017 में ही समाप्त हो जाता. सरबजीतसिंह के अलावा इस पद के लिए पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण रिना मित्रा और उनके पति डी.एम.मित्रा जो की केन्द्र में प्रति नियुक्ति पर हैं का नाम भी सामने आया, मगर डी.एम.मित्रा प्रदेश आना नहीं चाहते हैं. वहीं 1983 बैच की रीना मित्रा इस पद की होड़ में पिछड़ती नजर आई. कुल मिलाकर इस पद के लिए शुरु से ही सरबजीतसिंह और ऋषिकुमार शुक्ला का नाम लिया जा रहा था, मगर अब सत्ता और संगठन दोनों ही शुक्ला के नाम पर सहमत नजर आ रहे हैं. सूत्रों की माने तो शुक्ला के नाम पर सहमति बनी है, जल्द ही उन्हें ओएसडी बनाने के आदेश भी सरकार द्वारा कर दिए जाएंगे.
सूत्रों के अनुसार दो साल पहले शुक्ला जब केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर जा रहे थे, तब उन्हें सरकार की ओर से पुलिस महानिदेशक पद की कमान संभालने का आश्वासन देकर रोका गया था. शुक्ला को तेज-तर्रार और ईमानदार अधिकारी के रुप में महकमें में पहचान मिली है, यही वजह है कि उनकी यह छवि संघ और सरकार को भी पसंद आई है.
भोपाल, 24 मई
राज्य के नये पुलिस महानिदेशक के पद पर पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार शुक्ला के नाम पर मोहर लग सकती है. शुक्ला का नाम करीब-करीब तय माना जा रहा है. वैसे उनके अलावा सरबजीत सिंह का भी नाम लिया जा रहा था, मगर शुक्ला के लिए संघ से जुड़े पदाधिकारियों की सक्रियता ज्यादा नजर आ रही है.
राज्य के पुलिस महानिदेशक सुरेन्द्र सिंह को 30 जून को सेवानिवृत्त होना है. उनके उत्तराधिकारी के लिए आधा दर्जन आईपीएस अधिकारी सक्रिय हैं, मगर पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष ऋषि कुमार शुक्ला के नाम पर मोहर लगना तय माना जा रहा है. शुक्ला के नाम के लिए संघ ने भी सक्रियता दिखाई है. बताया जाता है कि संघ ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन को इस बात का संकेत दे दिया है कि प्रदेश में संघ की पसंद शुक्ला होंगे. इसके बाद शुक्ला के नाम को नये पुलिस महानिदेशक के रुप में तय माना जा रहा है. 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी शुक्ला के हाथ अगर कमान मिलती है तो उनका कार्यकाल वर्ष 1920 तक होगा. इस बीच प्रदेश में विधानसभा के अलावा लोकसभा के चुनाव भी होने हैं. वैसे पूर्व में शुक्ला के स्थान पर पुलिस महानिदेशक इंटेलिजेंस सरबजीत सिंह के नाम पर मोहर लगने की बात कही जा रही थी, मगर शुक्ला की कार्यशैली को देखते हुए वे पिछड़ते नजर आ रहे हैं. हालांकि सरबजीतसिंह को अगर पुलिस महानिदेशक की कमान मिलती तो उनका कार्यकाल 2017 में ही समाप्त हो जाता. सरबजीतसिंह के अलावा इस पद के लिए पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण रिना मित्रा और उनके पति डी.एम.मित्रा जो की केन्द्र में प्रति नियुक्ति पर हैं का नाम भी सामने आया, मगर डी.एम.मित्रा प्रदेश आना नहीं चाहते हैं. वहीं 1983 बैच की रीना मित्रा इस पद की होड़ में पिछड़ती नजर आई. कुल मिलाकर इस पद के लिए शुरु से ही सरबजीतसिंह और ऋषिकुमार शुक्ला का नाम लिया जा रहा था, मगर अब सत्ता और संगठन दोनों ही शुक्ला के नाम पर सहमत नजर आ रहे हैं. सूत्रों की माने तो शुक्ला के नाम पर सहमति बनी है, जल्द ही उन्हें ओएसडी बनाने के आदेश भी सरकार द्वारा कर दिए जाएंगे.
सूत्रों के अनुसार दो साल पहले शुक्ला जब केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर जा रहे थे, तब उन्हें सरकार की ओर से पुलिस महानिदेशक पद की कमान संभालने का आश्वासन देकर रोका गया था. शुक्ला को तेज-तर्रार और ईमानदार अधिकारी के रुप में महकमें में पहचान मिली है, यही वजह है कि उनकी यह छवि संघ और सरकार को भी पसंद आई है.
भोपाल, 24 मई
रविवार, 24 जनवरी 2016
रविवार, 3 जनवरी 2016
आश्वस्त चौहान, दावेदार मौन
मुख्यमंत्री पर भरोसा है नंदु भैया को, कुलस्ते सहित अन्य दावेदार नहीं खोल रहे पत्ते
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए कल सोमवार को होने वाले चुनाव को लेकर वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान दोबारा ताजपोसी को लेकर आश्वस्त हैं, वहीं अन्य दावेदार इस मामले पर अब मौन साधे हुए हैं. वे कल ही अपने पत्ते खोलेंगे.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए कल होने वाले चुनाव को लेकर वैसे तो गहमागहमी का माहौल शांत नजर आ रहा है. दावेदार भी दो दिनों से मौन रहकर अपनी जमावट में जुटे हैं, मगर इंदौर में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुई मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश संगठन मंत्री अरविंद मेनन के अलावा अन्य पदाधिकारियों की बैठक के बाद करीब-करीब यह तय माना जा रहा है कि चौहान के नाम पर सहमति बनाई गई है. अमित शाह खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष के होने वाले चुनाव को देखते हुए प्रदेशों में फिलहाल किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं. शाह की सहमति के बाद मुख्यमंत्री की ओर से नंदकुमार सिंह चौहान को करीब-करीब यह आश्वासन मिल गया है कि अध्यक्ष पद के लिए उनकी दोबारा ताजपोशी तय है. यही वजह है कि चौहान अपने अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे और समर्थकों के साथ खण्डवा में धुनिवाले दादा के दरबार पहुंचकर मत्था टेका और चादर भी चढ़Þाई. यहां पर उन्होंने अपने समर्थकोें के साथ चर्चा भी की.
दावेदार हुए मौन
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी करने वाले दावेदार अब शांत हो गए हैं. इन दावेदारों ने मौन रहकर अपनी जमावट शुरु की है,अब सोमवार को ही वे अपने पत्ते खोलेंगे. मण्डला से सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते प्रमुख दावेदारों में से थे, मगर आज वे मौन हैं. कुलस्ते ने लोकमत समाचार से चर्चा में कहा कि वे कल भोपाल पहुंचेंगे, इसके बाद क्या स्थिति बनती है, तभी वे कुछ कह पाएंगे. कुलस्ते के अलावा अन्य दावेदारों राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल, अरविंद भदोरिया भी मौन है. वहीं परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह और राजस्व मंत्री रामपाल सिंह का नाम भी इस पद के लिए चला है. इसके अलावा पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने भी संकेत दिए हैं कि वे भी इस पद के लिए दावेदार है. भार्गव ने जिला अध्यक्ष चयन प्रक्रिया के दौरान सागर जिला अध्यक्ष को लेकर नाराजगी जताई थी और कहा था कि संगठन चाहे तो वे अध्यक्ष बन जाएंगे.
तोमर हैं नाराज, झा ने किया समर्थन
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नंदकुमार चौहान के नाम पर खुलकर सहमत नजर नहीं आ रहे हैं. वे अरविंद भदोरिया के लिए प्रयासरत थे. मगर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के यह कहने पर की भविष्य की स्थिति को देखते हुए उनकी पसंद का अध्यक्ष वे चाहते हैं. इसके बाद भी उन्होंने अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया पर नाराजगी जाहिर की. इस मतदाता सूची से राष्ट्रीय नेताओं के नाम दूर रखे जाने से तोमर खफा है. वहीं झा ने चौहान को अपना समर्थन दिया है, मगर सोमवार को परिस्थिति क्या निर्मित होती है, इसे देखकर झा भी अंमित झणों में अपना फैसला बदल सकते हैं. यहां उल्लेखनीय है कि 2012 में जब झा का नाम भी चौहान की तरह तय माना जा रहा था, तब तोमर का चयन कर सभी को चौंका दिया था. इसके बाद से झा खुद नाराज हैं.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए कल सोमवार को होने वाले चुनाव को लेकर वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान दोबारा ताजपोसी को लेकर आश्वस्त हैं, वहीं अन्य दावेदार इस मामले पर अब मौन साधे हुए हैं. वे कल ही अपने पत्ते खोलेंगे.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए कल होने वाले चुनाव को लेकर वैसे तो गहमागहमी का माहौल शांत नजर आ रहा है. दावेदार भी दो दिनों से मौन रहकर अपनी जमावट में जुटे हैं, मगर इंदौर में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ हुई मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश संगठन मंत्री अरविंद मेनन के अलावा अन्य पदाधिकारियों की बैठक के बाद करीब-करीब यह तय माना जा रहा है कि चौहान के नाम पर सहमति बनाई गई है. अमित शाह खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष के होने वाले चुनाव को देखते हुए प्रदेशों में फिलहाल किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं. शाह की सहमति के बाद मुख्यमंत्री की ओर से नंदकुमार सिंह चौहान को करीब-करीब यह आश्वासन मिल गया है कि अध्यक्ष पद के लिए उनकी दोबारा ताजपोशी तय है. यही वजह है कि चौहान अपने अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे और समर्थकों के साथ खण्डवा में धुनिवाले दादा के दरबार पहुंचकर मत्था टेका और चादर भी चढ़Þाई. यहां पर उन्होंने अपने समर्थकोें के साथ चर्चा भी की.
दावेदार हुए मौन
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी करने वाले दावेदार अब शांत हो गए हैं. इन दावेदारों ने मौन रहकर अपनी जमावट शुरु की है,अब सोमवार को ही वे अपने पत्ते खोलेंगे. मण्डला से सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते प्रमुख दावेदारों में से थे, मगर आज वे मौन हैं. कुलस्ते ने लोकमत समाचार से चर्चा में कहा कि वे कल भोपाल पहुंचेंगे, इसके बाद क्या स्थिति बनती है, तभी वे कुछ कह पाएंगे. कुलस्ते के अलावा अन्य दावेदारों राकेश सिंह, प्रहलाद पटेल, अरविंद भदोरिया भी मौन है. वहीं परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह और राजस्व मंत्री रामपाल सिंह का नाम भी इस पद के लिए चला है. इसके अलावा पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने भी संकेत दिए हैं कि वे भी इस पद के लिए दावेदार है. भार्गव ने जिला अध्यक्ष चयन प्रक्रिया के दौरान सागर जिला अध्यक्ष को लेकर नाराजगी जताई थी और कहा था कि संगठन चाहे तो वे अध्यक्ष बन जाएंगे.
तोमर हैं नाराज, झा ने किया समर्थन
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नंदकुमार चौहान के नाम पर खुलकर सहमत नजर नहीं आ रहे हैं. वे अरविंद भदोरिया के लिए प्रयासरत थे. मगर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के यह कहने पर की भविष्य की स्थिति को देखते हुए उनकी पसंद का अध्यक्ष वे चाहते हैं. इसके बाद भी उन्होंने अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया पर नाराजगी जाहिर की. इस मतदाता सूची से राष्ट्रीय नेताओं के नाम दूर रखे जाने से तोमर खफा है. वहीं झा ने चौहान को अपना समर्थन दिया है, मगर सोमवार को परिस्थिति क्या निर्मित होती है, इसे देखकर झा भी अंमित झणों में अपना फैसला बदल सकते हैं. यहां उल्लेखनीय है कि 2012 में जब झा का नाम भी चौहान की तरह तय माना जा रहा था, तब तोमर का चयन कर सभी को चौंका दिया था. इसके बाद से झा खुद नाराज हैं.
अध्यक्ष के लिए तेज हुईकवायद
नेताओं में बेचैनी, कहीं 2012 जैसी न बन जाए स्थिति
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए 4 जनवरी को होने वाले चुनाव को लेकर दावेदारों ने कवायद तो तेज की है, मगर खुलकर कोईदावेदार सामने नहीं आ रहा है. यही वजह है कि भाजपा नेता बैचेन नजर आ रहे हैं, उन्हें यह लगने लगा है कि कहीं एक बार फिर 2012 के चुनाव की पुनरावृत्ति न हो जाए.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए वैसे तो यह माना जा रहा है कि वर्तमान अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के नाम पर सहमति बना ली जाए, मगर दावेदारों की सक्रियता इस समीकरण को बिगाड.ती नजर आ रही है. दावेदार सक्रिय हैं, वे अपने स्तर पर दावेदारी भी कर रहे हैं, मगर मौन रहकर. अब तक केवल सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते ही एक ऐसे दावेदार सामने आए जिन्होंने खुलकर दावेदारी दिल्ली में राष्ट्रीय नेताओं के सामने की है. उनके अलावा अन्य नेताओं में से कोई भी दावेदार खुलकर सक्रिय नजर नहीं आ रहा है. हालांकि वे दावेदारी कर रहे हैं और वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी बात रख भी रहे हैं. ये दावेदार अधिकतर दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय नेताओं से मेल-मुलाकात कर रहे हैं. वैसे इस मामले में चुनाव अधिकारी की नियुक्ति और मतदान के तारीख तय होने के बाद अब दावेदारों की कवायद भी तेज हुई है. साथ ही खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सक्रिय नजर आ रहे है. इंदौर में राष्ट्रीय संगठन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के निवास पर हुईउनकी करीब 10 मिनटकी मुलाकात को इससे जोड.कर देखा जा रहा है. दोनों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई है, हालांकि किस नाम को लेकर चर्चा हुई इस बात का खुलासा नहीं हुआ है. वैसे फिलहाल मुख्यमंत्री की पसंद नंदकुमार सिंह चौहान ही बने हुए हैं. इसके अलावा संगठन महामंत्री अरविंद मेनन भी उनके साथ हैं, मगर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सांसद प्रभात झा का साथ चौहान को नहीं है, यह माना जा रहा है. झा इस बार मौन रहकर 2012 में मिले झटके से उबरने का प्रयास कर सकते हैं. पिछले चुनाव में झा का नाम भी ठीक चौहान की ही तरह तय माना जा रहा था, मगर ऐन वक्त पर पासा पलटा और तस्वीर बदल गई. झा के स्थान पर तोमर का नाम आ गया. इसी तरह इस बार भी किसी अप्रत्याशित विस्फोट को संगठन के नेता होना मान रहे हैं. इसके पीछे उनका मानना है कि चुनाव प्रक्रिया में जो शांति है, वह किसी तूफान का संकेत भी दे रही है.
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के लिए 4 जनवरी की तारीख तय की है. इस दिन दोपहर 4 से 4.30 बजे तक नामांकन भरने का समय तय किया है. 5 बजे नामांकन वापस लेने का समय तय किया है. इसके बाद यह तय हो जाएगा कि अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन है. वहीं चुनाव अधिकारी रामदास अग्रवाल आज इंदौर प्रवास पर रहे. उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष चुनाव को लेकर प्रदेश के नेताओं से चर्चाकी है. यह माना जा रहा है कि आज इंदौर में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर वरिष्ठ नेताओं के बीच चर्चा के बाद किसी एक नाम पर सहमति बनाने की कवायद भी शुरु हुई है.
क्षेत्रवाद भी बन रहा मुद्दा
भाजपा संगठन में एक बार फिर प्रदेश अध्यक्ष को लेकर क्षेत्रवाद का मामला उठते नजर आ रहा है. पिछले दिनों दिल्ली पहुंचे महाकौशल के नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा कुछ और नेताओं से चर्चाकी. इस चर्चा में उन्होंने वरिष्ठ नेताओं से कहा कि लंबे समय से चंबल-ग्वालियर, मालवा, निमाड. को अध्यक्ष पद प्रतिनिधित्व मिला है. इस बार महाकौलश के अलावा विंध्य या बुंदेलखंड से अध्यक्ष पद के लिए किसी एक व्यक्ति के नाम पर सहमति बनाईजाए. वैसे महाकौशल से विनोद गोटिया इस पद के लिए दावेदार के रुप में सामने भी आए हैं. इसके अलावा विंध्य एवं बुंदेलखंड के नेता मौन रहकर दावेदारी कर हैं. |
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