रविवार, 1 सितंबर 2013

सर्व समाज की ओर बरैया

बहुजन संघर्ष दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष फूलसिंह बरैया ने भी अब प्रदेश में सर्वसमाज का नारा देते हुए विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में ताकत दिखानी शुरु कर दी है़ उन्होंने अब दूसरे दलों के साथ संपर्क करने के अलावा जोड़-तोड़ भी शुरु कर दी है़ कभी उमा भारती की टीम में युवा संगठन के रुप में उभरे जागो हिंद संगठन को अपने दल में मिलाकर बरैया ने भाजपा के लिए संकट खड़ा कर दिया है़ फूल सिंह बरैया इन दिनों पूरी ताकत के साथ विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में ताकत दिखा रहे हैं़ ग्वालियर-चंबल अंचल के अलावा वे मालवा और महाकौशल में भी अपने कदम बढ़Þा रहे हैं़ भाजपा छोड़ने के बाद श्री बरैया ने अपना अलग दल बहुजन संघर्ष दल बनाकर खुद संघर्ष किया और अब वे इस दल में दूसरे दलों को विलय करने में जुट गए हैं़ बरैया ने इस बार विधानसभा चुनाव में सर्वसमाज का नारा देते हुए सभी समाज को अपनी ओर आकर्षित किया है़ उन्होंने इसके लिए सबसे पहले अपने दल में कभी उमा भारती के समर्थक के रुप में युवा ब्रिगेड की कमान संभाल चुके दामोदर यादव के जागो हिन्द संगठन को अपने दल में मिलाकर युवाओं की फौज तैयार कर ली है़ इस संगठन को मिलाकर उन्होंने एक ओर जहां युवाओं को महत्व दिया है, वहीं सर्वसमाज का नारा देते हुए भाजपा के लिए संकट भी खड़ा कर दिया है़ दामोदर यादव उमा भारती की पार्टी भारतीय जनशक्ति में शामिल होकर कार्य कर चुके हैं़ इसके साथ ही उन्होंने अपना संगठन खड़ा किया था, और उमा भारती के निर्देश पर क्षिप्रा नदी के उत्थान के लिए अभियान की शुरुआत की थी़ इसके बाद जब उमा भारती भाजपा में शामिल हुई तो उन्होंने भाजपा में जाने के बजाए बहुजन संघर्ष दल की राह पकड़ी, जहां उन्हें राष्ट्रीय महासचिव तो बनाया ही साथ ही सेवढ़Þा विधानसभा क्षेत्र से उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया गया़ श्री बरैया ने अब भाजपा और कांग्रेस की तर्ज पर युवाओं के सहारे युवाओं को आकर्षित करने का काम शुरु कर दिया है़ इसके साथ ही अब उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए बड़ी सभाएं लेना भी शुरु कर दिया है़ फिलहाल उनकी सभाएं ग्वालियर-चंबल अंचल के अलावा मालवा में चल रही है़ राजधानी भोपाल में वे सितंबर माह की 21 तारीख को भाजपा और कांग्रेस के लिए शक्ति प्रदर्शन कर चुनावी शंखनाद फंूकने की तैयारी कर चुके हैं़ 21 सितंबर को भोपाल के दशहरा मैदान पर श्री बरैया की एक बड़ी सभा होने जा रही है़ बरैया ने साफ संकेत दिए हैं कि वे सर्व समाज के नारे को बुलंद करते हुए प्रदेश में सभी समाज को समान रुप से महत्व देते हुए टिकट का वितरण करेंगे़ बरैया के इस सर्वसमाज के नारे के साथ ही उनके संपर्क में अब राज्य के कुछ अन्य छोटे दल भी हैं, जो जल्द ही उनके साथ गठबंधन कर या फिर विलय की रणनीति को अंजाम देंगे़

गुरुवार, 20 जून 2013

अन्ना की यात्रा, भाजपा में हड़कंप

समाजसेवी अन्ना हजारे की जनतंत्र यात्रा को लेकर मध्यप्रदेश भाजपा में हड़कंप सा मच गया है़ सत्ता और संगठन दोनों ही ने उनकी इस यात्रा से दूरी बना ली है़ संगठन की दूरी को देखते हुए भोपाल में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए जनतंत्र मोर्चा को मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक ने अपने भवन ‘समन्वय भवन’ देने से मना कर दिया है़ वहीं राज्य मंत्रिमंडल के एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों में इस बात की बैचेनी हो रही है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर अन्ना की यह यात्रा उनके क्षेत्रों से गुजरेगी तो उनके लिए मुसीबत न बन जाए़
मध्यप्रदेश में समाजसेवी अन्ना हजारे की 4 जुलाई से निकलने वाली जनतंत्र यात्रा को लेकर एक ओर जहां जनतंत्र मोर्चा तैयारी में जुटा है, वहीं उसके लिए भाजपा संगठन और सत्ता परेशानी के कारण भी बन रहे हैं़ जनतंत्र यात्रा की स्वागत समिति के संयोजन डा़सुनीलम इन दिनों मध्यप्रदेश के उन स्थानों पर पहुंच रहे हैं, जहां से यह यात्रा निकलनी है़ वे वहां पर यात्रा की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं़ यात्रा के लिए उन्होंने भोपाल में राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) के भवन ‘समन्वय भवन’ को अन्ना के इस यात्रा के दौरान भोपाल आगमन पर आयोजन के लिए मांगा तो उन्हें मना कर दिया़ बैंक के अध्यक्ष भंवरसिंह शेखावत ने उन्हें साफ कह दिया कि अन्ना के कार्यक्रम के लिए यह भवन नहीं मिल सकता है़
अन्ना के लिए संगठन के इशारे पर समन्वय भवन तो नहीं मिला, वहीं उन क्षेत्रों में भी यात्रा को लेकर भाजपा चिंतित हैं, जिन क्षेत्रों में भाजपा विधायक या मंत्री हैं़ यात्रा के तय मार्ग के मुताबिक राज्य के करीब एक दर्जन मंत्री ऐसे हैं जो इस यात्रा को लेकर चिंतित हैं़ अन्ना की यात्रा के दौरान मोर्चा से भ्रष्टाचार को लेकर जनसंगठनों से साक्ष्य सहित मामले अन्ना को देने की बात कही है़ बस यही बात मंत्रियों की चिंता का कारण है़ इसी वजह से भाजपा सत्ता और संगठन दोनों ही अन्ना की यात्रा से दूरी बनाए हुए हैं़ भाजपा संगठन इस मामले में पूरी तरह से मौन है़ न तो यात्रा को लेकर भाजपा का समर्थन दिया जा रहा है, न ही खुलकर विरोध किया जा रहा है, मगर अब तक जो भी कदम संगठन द्वारा उठाए जा रहे हैं वे इस मामले में यात्रा विरोधी ही नजर आ रहे हैं
यात्रा की भोपाल यात्रा के दौरान समन्वय भवन उपलब्ध न कराने को लेकर राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष भंवरसिंह शेखावत का कहना है कि जनमोर्चा की ओर से डा़सुनीलम ने उनसे दूरभाष पर चर्चा की थी़ मगर हम भवन राजनीति कार्यक्रमों के लिए उपलब्ध नहीं कराते हैं हमें इस मामले में रिजर्व बैंक के नियमों का पालन करना होता है़ यह पूछे जाने पर की पूर्व में यहां राजनीतिक कार्यक्रम हुए हैं, अन्ना   की टीम ने ही एक कार्यक्रम समन्वय भवन में किया है़ उन्होंने कहा कि यह सच है, मगर फिलहाल बार हमने रिजर्व बैंक के नियमों के तहत भवन देने से मना किया है़

वे मंत्री जो हैं चिंतित* उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय
* राज्य सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा
* ऊर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ल
* पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री गोपाल भार्गव
* चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा
* सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन
* वन मंत्री सरताज सिंह
* नगरीय प्रशासन मंत्री बाबूलाल गौर
* वित्त मंत्री राघवजी
* गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता
* मंत्री बिना विभाग तुकोजीराव पवार
* सामान्य प्रशासन मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल
* खाद्य राज्यमंत्री पारस जैन
* गृह राज्य मंत्री नारायण सिंह कुशवाह
* स्वास्थ्य राज्य मंत्री महेन्द्र हार्डिया
* शिक्षा राज्य मंत्री नानाभाऊ मोहोड़
* नगरीय प्रशासन राज्यमंत्री मनोहर ऊंटवाल
* आदिम जाति कल्याण राज्यमंत्री हरीशंकर खटीक
* कृषि राज्य मंत्री बृजेन्द्र प्रतापसिंह
 

दिल्ली से प्रदेश की नब्ज टटोल रहे मोहन प्रकाश


कांग्रेस में हुए फेरबदल के बाद मध्यप्रदेश के प्रभारी बनाए गए मोहन प्रकाश ने दिल्ली से ही प्रदेश की नब्ज जानने की कवायद शुरु कर दी है़ उन्होंने आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया से मुलाकात कर प्रदेश के पूर्व प्रभारी हरिप्रसाद द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी ली़ वे प्रदेश  अगली रणनीति तय करने के बाद प्रदेश के दौरे पर आएंगे़ राजस्थान के रहने वाले मोहन प्रकाश के प्रदेश आते ही कांग्रेस के कर्नाटक पैटर्न पर चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई   है़
कर्नाटक में कांग्रेस की विजय के शिल्पकार माने जाने वाले मोहन प्रकाश को मध्यप्रदेश की कमान सौंपकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ संकेत दिए हैं केन्द्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश को गंभीरता से ले रहा है़ राहुल गांधी के निकट माने जाने वाले मोहन प्रकाश को प्रदेश की कमान सौंपकर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को भी यह संदेश दिया है कि वे एकजुट होकर पहले विधानसभा फिर लोकसभा चुनाव के लिए पूरी ताकत के साथ मैदान में दिखाई दें़ हालांकि मोहन प्रकाश की नियुक्ति के पीछे भी बिखरे नेताओं को एक करने की कवायद माना जा रहा है़ पूर्व में हरिप्रसाद को लेकर गुटबाजी के आरोप लगते रहे, जिसे राहुल गांधी ने स्वीकार किया और उन्हें हटाकर अपने निकटतम मोहन प्रकाश को प्रदेश की कमान सौंपी़ कहा यह भी जा रहा है कि नाराज कमलनाथ को भी इस नियुक्ति के सहारे साधा गया है़ कमलनाथ कैंप के सज्जन वर्मा और बाला बच्चन को भी राष्ट्रीय स्तर पर सचिव का प्रभार देकर कमलनाथ को प्रदेश में सक्रिय करने के प्रयास किए गए हैं, वहीं इस बात के कयास भी शुरु हो गए हैं कि इस नियुक्ति के साथ राहुल गांधी ने सभी बड़े नेताओं को भी इस बात का संकेत दे दिया है कि चुनाव में वे कर्नाटक की तर्ज पर नया कुछ करेंगे़ साथ ही प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव प्रचार अभियान तक में वे अपने स्तर पर कमान की जिम्मेदारी सौंपेंगे़
मोहन प्रकाश की नियुक्ति के साथ आज प्रदेश के नेता इस बात खोज में लगे रहे कि ये किस नेता के खेमें से हैं़ प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं दिग्विजयसिंह, कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया या फिर सुरेश पचौरी के निकट हैं, मगर नेता इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए कि मोहन प्रकाश किस खेमे से हैं़ कोई कमलनाथ तो कोई दिग्विजय सिंह को इस नियुक्ति के लिए जिम्मेदार बता रहा है़ वहीं मोहन प्रकाश ने दिल्ली से प्रदेश कांग्रेस की नब्ज टटोलना शुरु कर दी है़ उन्होंने आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया से करीब आधा घंटे तक दिल्ली में चर्चा की और प्रदेश कांग्रेस के बारे में जाना़ उन्होंने पूर्व प्रभारी हरीप्रसाद द्वारा बनाई रणनीति के बारे में भी जाना़ बताया जाता है कि मोहन प्रकाश प्रदेश को लेकर रणनीति तय कर, उसके बाद मध्यप्रदेश के दौरे पर आएंगे़ वे इस वर्ष होने वाले चुनाव को लेकर जल्द ही अपने स्तर पर रणनीति तय कर उसी के अनुरुप संगठन को सक्रिय करेंगे़

शपथ पत्र देकर पाएं अन्ना का समर्थन

 मध्यप्रदेश यात्रा के दौरान जनसंगठनों से मांगेंगे भ्रष्टाचार के मामलेअन्ना हजारे मध्यप्रदेश में अपनी यात्रा के दौरान जहां जनसंगठनों से भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी लेंगे, वहीं वे लोकसभा चुनाव में उनका समर्थन मांगने वालों से एक शपथ पत्र भी लेंगे़ इस शपथ पत्र में प्रत्याशी को जीत के बाद संसद पहुंचने के पूर्व उस क्षेत्र की जनता को इस्तीफा देने की बात कहेंगे, जहां से वे विजय हुए हैं इस शपथ पत्र में प्रत्याशी को यह भी कहना होगा कि अगर संसद में अन्ना के 25 सूत्री कार्यक्रम के तहत वो बात नहीं उठा सका या सरकार से वे बात नहीं मनवा सका जनता उसका इस्तीफा स्वीकार कर ले़
समाजसेवी अन्ना हजारे की जनतंत्र यात्रा का मध्यप्रदेश में 5 चरण 5 जुलाई से शुरु होगा़ इस चरण में वे मध्यप्रदेश के 26 जिलों में यात्रा के दौरान घूमेंगे़ अन्ना के साथ पूर्व जनरल बीक़े़सिंह, जनतंत्र यात्रा के संयोजक विनोद सिंह और जनतंत्र यात्रा स्वागत समिति के प्रदेश संयोजक डा़ सुनीलम उपस्थित रहेंगे़ अन्ना की यात्रा का उद्देश्य व्यवस्था परिवर्तन के 25 कार्यक्रमों को लागू कराने के लिए जन जागरण करना है़ इसके अलावा लोगों से स्वयं जाकर मिलना है़ अन्ना की यात्रा मध्यप्रदेश में रीवा जिले से शुरु होगी, जो पूरी 26 जिलों में 15 दिनों तक चलेगी़ इस यात्रा के दौरान वे अपने 25 सूत्री कार्यक्रम के बारे में लोगों को बताएंगे और उनमें जागरुकता भी लाएंगे़ इसके अलावा भ्रष्टाचार का मुद्दा उनका मुख्य है, साथ ही प्रदेश के किसानों, मजदूरों, छोटे व्यापारियों, युवाओं, छात्रों, सूचना के अधिकार कार्यकर्ताओं एवं भूतपूर्व सैनिकों से वे मिलेंगे और उनकी बात सुनेंगे़ अन्ना हजारे प्रदेश में अपनी यात्रा के दौरान जनसंगठनों के पदाधिकारियों से भी मुलाकात कर उनसे प्रदेश में हुए भ्रष्टाचारों के बारे में जानकारी लेंगे और इन भ्रष्टाचारों को उठाने के लिए तमाम दस्तावेज भी वे लेंगे़ अन्ना ने जनसंगठनों से अपील भी की है कि वे उनकी यात्रा के दौरान भ्रष्टाचार के मुद्दे तो उन्हें दें ही साथ ही जिस क्षेत्र में वे कार्य कर रहे हैं, उस क्षेत्र की वास्तविक स्थिति भी वे बताएं
अन्ना अपनी इस यात्रा के दौरान सभी वर्ग के लोगों के बीच पहुंचेंगे और लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में जानेंगे़ इसके अलावा उन्होंने यह भी साफ कह दिया है कि लोकसभा चुनाव के लिए जो प्रत्याशी उनका समर्थन चाहते हैं उन्हें उनके 25 सूत्री कार्यक्रम के लिए एक शपथ पत्र उस क्षेत्र की जनता को देना होगा, जिस क्षेत्र से वे चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं़ इस शपथ पत्र में इन कार्यक्रमों को लागू कराने के लिए संसद में दबाव बनाने की बात कहनी होगी, साथ ही जनता को अपना इस्तीफा भी सौंपना होगा़ इसमें यह स्पष्ट करना होगा कि अगर वह 25 सूत्री कार्यक्रम के लिए संसद में दबाव नहीं बना पाए तो जनता उसका इस्तीफा स्वीकार कर लें़ ऐसे प्रत्याशियों को ही अन्ना की टीम समर्थन करेगी और उसके क्षेत्र में चुनाव प्रचार कर उस प्रत्याशी को विजयी बनाने का भरसक प्रयास करेगी़


झंडे, बैनर टोपी से स्वागत नहीं जनतंत्र यात्रा स्वागत समिति के प्रदेश संयोजक डा़ सुनीलम ने कहा कि अन्ना की जनतंत्र यात्रा के दौरान स्वागतकर्ताओं से यह साफ कहा जा रहा है कि पार्टीगत झंडे, बैनर और टोपियों से उनका स्वागत नहीं किया जाए़ इसके अलावा राष्ट्रीय झंडे से उनका स्वागत किया जाए तो उचित होगा़ उन्होंने बताया कि अन्ना के स्वागत के लिए सभी जिलों में स्वागत समितियों का गठन किया गया है, इसके अलावा अन्ना की यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करने वे स्वयं आज भोपाल से सीधी के लिए रवाना हो रहे हैं़ सीधी से वे उन सभी जिलों में जाएंगे, जहां अन्ना की यात्रा होगी़ इस यात्रा के तैयारियों की वे समीक्षा करेंगे़

अखिलेश के बल पर सीट बढ़Þाने की कोशिश

 सपा अध्यक्ष चुनाव के पूर्व  प्रदेश में उत्तरप्रदेश के नेताओं की कराना चाहते हैं सभाएंसमाजवादी पार्टी प्रदेश में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करिश्माई चेहरे के बल पर मध्यप्रदेश में अपनी सीटें बढ़ाने का प्रयास कर रही है़ समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गौरी यादव इस संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह से मिलकर इस आशय की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं
मध्यप्रदेश विधानसभा के हो रहे इस वर्ष के अंत में चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गौरी यादव हर तरह से यह प्रयास कर रहे हैं कि इस बार सपा की विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटें हों़ इसके लिए उन्होंने जहां छोटे दलों के सहारे तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ने की कवायद शुरु की है, वहीं वे अब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करिश्माई चेहरे के बल पर प्रदेश के युवा मतदाता को पार्टी की ओर मोड़ना चाहते हैं़ इसके लिए उन्होंने बकायदा कवायद भी शुरु कर दी है़ गौरी यादव ने पिछले दिनों अपने उत्तरप्रदेश प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह से चर्चा कर इस बात के लिए उन्हें मना लिया है कि वे अखिलेश यादव को मध्यप्रदेश में सक्रिय करें इतना ही नहीं मुलायम से उन्होंने एक दर्जन मंत्रियों को भी मध्यप्रदेश में लगातार दौरे कर संगठन और कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए कहा है़
श्री यादव की बात पर   मुलायम सिंह ने अपनी सहमति दे दी है, मगर अभी अखिलेश से इस संंबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है़ बताया जाता है कि प्रदेश अध्यक्ष श्री यादव ने स्वयं इस संबंध में अखिलेश से चर्चा न कर इस संबंध में मुलायम सिंह को आगे लाने का प्रयास किया है़ बताया जाता है कि श्री यादव अपने इस कार्यकाल को अच्छा कार्यकाल साबित करने के प्रयास में जुटे हैं़ वे चाहते हैं कि उनके इस कार्यकाल में पार्टी के ज्यादा से ज्यादा विधायक विधानसभा पहुंचे तो संगठन में उनकी स्थिति और मजबूत हो साथ ही राष्ट्रीय नेतृत्व के सामने वे ताकतवर दिखें़
सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरी यादव ने कहा कि उनकी मुलाकात पिछले दिनों पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह से हुई है़ उन्होंने अखिलेश यादव को मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अधिक से अधिक समय देने को कहा है़ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष इस संंबंध में गंभीर है और जल्द ही अखिलेश यादव से चर्चा करेंगे़

दागी अफसर को पीसीसीएफ बनवाने अड़े वन मंत्री सरताज

 शासन को भेजा प्रस्ताव, अफसरों ने रुकवायाराज्य के वन मंत्री सरताज सिंह वन महकमें के दागी अफसर आऱएऩ सक्सेना को पीसीसीएफ वाइल्ड बनाने मामले में अफसर और मंत्री आमने-सामने हो गए हैं़ अफसर नहीं चाहते कि सक्सेना को यह पद मिले, जबकि मंत्री ने शासन को प्रस्ताव भेजकर अपनी मंशा जता दी है़ फिलहाल मामला शासन के पाले में अटक गया है़ मुख्यसचिव और प्रमुख सचिव वन भी मंत्री के फैसले के खिलाफ हैं
वन विभाग के 1978 बैच के अधिकारी आऱएऩसक्सेना की पदोन्नति के मामले में वन मंत्री सरताज सिंह और शासन आमने-सामने हो गया है़ पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के पद पर पीक़े़शुक्ला के स्थान पर वन मंत्री अपने चहेते अफसर आऱएऩसक्सेना को पदोन्नत कर यह कुर्सी दिलाना चाहते हैं उन्होंने इसके लिए वन विभाग की ओर से प्रमुख सचिव वन के माध्यम से मुख्य सचिव आऱपरशुराम को एक प्रस्ताव भी भेज दिया है, मगर यह प्रस्ताव लेकर गए प्रमुख सचिव खुद इसका विरोध मुख्य सचिव के सामने कर आए़  बताया जाता है कि प्रमुख सचिव वन खुद सक्सेना को पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ नहीं बनाना चाहते हैं उसके पीछे उनका तर्क साफ है कि सक्सेना से वरिष्ठता के आधार पर और भी अफसर हैं, जिन्हें यह मौका दिया जाना चाहिए़ मगर मंत्री सक्सेना को ही यह पद दिलाना चाहते हैं, उन्होंने मुख्य सचिव को भी अपनी मंशा से अवगत करा दिया है़
वन विभाग के अफसर भी इस मामले को लेकर अब लामबंद हो गए हैं इन अफसरों ने भी मुख्य सचिव को  अपनी मंशा से अवगत करा दिया है़ अफसरों ने सक्सेना के लोकायुक्त में चल रहे प्रकरण के बारे में भी शासन को जानकारी दे दी है़ अफसरों द्वारा यह बताया गया है कि सक्सेना जब डीएफओ के पद पर पदस्थ थे, तब वे आर्थिक अनियमितताओं के मामले में फंसे थे और मामला लोकायुक्त गया था जांच के बाद उन पर शासन को कार्यवाही के लिए लिखा गया था, मगर अब तक शासन ने कोई कदम नहीं उठाया़ इसके अलावा सक्सेना द्वारा अपनी पत्नी सुनीता सक्सेना डब्ल्यूडब्ल्यू एफ की छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश की प्रमुख को ग्रीन इंडिया मिशन के तहत गलत तरीके से अनुदान देने के मामले में भी फंसे हैं यह मामला भी लोकायुक्त के पास है़
 जल्दबाजी क्यों कर रहे मंत्रीराज्य में इस वर्ष हो रहे विधानसभा के चुनाव को लेकर लगने वाली आचार संहिता को देख मंत्री सरताज सिंह इस मामले को जून माह में ही निपटाना चाहते हैं़ शुक्ला सितम्बर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इस कारण सक्सेना को उनके स्थान पर सक्सेना को पदस्थ कर अपने चहेते अफसर को मंत्री यह पद दिलाना चाहते हैं़ अगर आचार संहिता के पूर्व वे ऐसा नहीं कर पाए तो सक्सेना को यह पद मिलना मुश्किल हैं, क्योंकि उनके रास्ते में उने वरिष्ठ अफसर रोढ़Þा बनेंगे, चुनाव के बाद अगर वन मंत्री हटे तो भी सक्सेना के लिए नुकसान ही होगा़ यही कारण है कि वन मंत्री सरताज सिंह इस मामले को लेकर गंभीर हैं और वे शासन के सामने अड़ गए हैं कि यह मामला जल्द निपटाया जाए, जबकि शासन इस मामले में मंत्री के प्रस्ताव को रोक कर बैठ गया है़

इंतजार जांच रिपोर्ट का, आदिवासी करेंगे विरोध

बैतूल जिले के चिचोली ब्लाक में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में  शादी के पूर्व युवतियों के कराए गए कौमार्य और गर्भ परीक्षण के मामले में आदिवासी लामबंद होने लगे हैं इस मामले में 90 आदिवासी युवतियों के साथ कराए गए इस परीक्षण की प्रशासन द्वारा कराई जा रही जांच का उन्हें इंतजार है़ आदिवासी इस जांच रिपोर्ट के बाद सरकार और जिला प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे़
बैतूल जिले के चिचोली ब्लाक के हर्दू गांव में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत हुई शादी के दौरान युवतियों के कौमार्य और गर्भ परीक्षण के मामले में आदिवासी लामबंद हो रहे हैं आदिवासियों का नेतृत्व करने वाले संगठन इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा की जा रही जांच का इंतजार कर रहे है आदिवासी श्रमिक संगठन और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दोनों ही अपने-अपने स्तर पर इस मामले की जांच भी करा रहे हैं दोनों ही संगठनों ने इस मामले को आदिवासी युवतियों का अपमान माना है़ श्रमिक आदिवासी संगठन से जुड़े मंगलासिंग कोरकू का कहना है कि सरकार एक ओर  तो मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आदिवासी रीति रिवाज के साथ विवाह नहीं कराती है, वहीं इस तरह के परीक्षण कराकर आदिवासी युवतियों का अपमान भी करती है़
समाजवादी जन परिषद के अनुराग मोदी ने कहा कि इस मामले में जांच के आदेश भले ही जिला कलेक्टर ने दिए हैं, मगर यह केवल औपचारिकता का निर्वाह करने जैसा है़ उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के दौरान आदिवासी युवतियों का कौमार्य और गर्भ परीक्षण का कार्य कलेक्टर की मंजूरी के नहीं हो सकता है़ उन्होंने इस घटना में ना सिर्फ जिले के आला अफसरों पर कार्यवाही की मांग की है, बल्कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से भी यह मांग कर डाली है कि वे आदिवासी समाज से इस मामले में माफी मांगे़
 गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गुलजार सिंह   मरकाम ने इस मामले को आदिवासी समाज का अपमान बताया है़ उन्होंने कहा कि इस तरह का परीक्षण आदिवासी युवतियों का अपमान है़ इस योजना के तहत आदिवासी परंपरा के अनुसार विवाह भी नहीं होता है़ जब तक आदिवासी अपनी परंपरा के अनुरुप विवाह नहीं करता, तब तक उसका विवाह होना नहीं माना जाता है़ उन्होंने कहा कि हमने बैतूल जिला इकाई को इस मामले की वास्तविकता जानने को कहा है़ हम अपने स्तर से समाज के लोगों से जांच कराकर फिर अगला कदम उठाएंगे़ हमारा कदम जिला प्रशासन और सरकार के खिलाफ होगा, फिलहाल हम मामले में सरकार द्वारा कराई जा रही जांच का इंतजार कर रहे हैं

भाजपा-कांग्रेस की ताकत का आकलन कर रहे बरैया

 चुनाव के एक माह पूर्व खुलासा करेंगे अपनी रणनीति का

बहुजन संघर्ष दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष फूलसिंह बरैया इन दिनों प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में अपने समर्थकों में जागृति लाने सभाएं कर रहे हैं इस दौरान वे भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की ताकत का आकलन भी कर रहे हैं अब तक आधे से ज्यादा प्रदेश में बड़ी सभाएं कर उन्होंने यह आकलन किया है कि प्रदेश में इस वर्ष होने वाले चुनाव में दोनों ही दलों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा, ऐसे में छोटे दलों विशेषकर उनके दल की भूमिका सरकार बनाने में अह्म रहेगी़
बहुजन संघर्ष दल के फूल सिंह बरैया ने लोकमत समाचार से चर्चा करते हुए कहा कि इन दिनों वे प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में पहुंचकर बड़ी सभाएं कर रहे हैं इन सभाओं के जरिए वे अपने समर्थकों में जागृति लाने का काम कर रहे हैं इसके साथ ही यह संदेश भी दे रहे हैं कि अब बहुजन समाज पार्टी और भाजपा दोनों ही दलों से नाता तोड़कर उन्होंने अपना अलग दल बहुजन संघर्ष दल बना लिया है़ इस दल के साथ वे अपने पुराने मतदाता को जोड़ने का काम कर रहे है बरैया सभाओं में जागृति लाने के लिए मतदाता विशेषकर उनके वोट बैंक को ‘उठो, सो मत जाना, अपनी पार्टी बनाकर आपके पास आया हूं’ का नारा लगा रहे हैं उन्होंने बताया कि वे अब तक प्रदेश के आधे से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में सभाएं ले चुकें हैं इस दौरान उन्होंने अपने दल के लिए दमदार याने विजय हासिल करने वाले प्रत्याशियों का सर्वे भी खुद किया है़ वे इस बार चुनाव में खुद यह फैसला करेंगे कि कहां पर कौन व्यक्ति उनके दल से प्रत्याशी होगा़ उन्होंने बताया कि यह जरुरी नहीं कि वे पूरे 230 विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी खड़े करें, उनका लक्ष्य यह है कि उनके दल का प्रत्याशी विजयी होने की ताकत रखे़ इस लिहाज से वे उन्हें स्थानों पर अपनी ताकत लगाएंगे जहां वे मजबूत होंगे़ श्री बरैया ने कहा कि सभाओं के दौरान वे भाजपा और कांगे्रस दोनों ही दलों की स्थिति का भी आकलन कर रहे हैं अभी तक जो उन्होंने पाया है उस लिहाज से यह स्पष्ट है कि प्रदेश में इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाएगा़ उन्होंने कहा कि  प्रदेश में अगली सरकार बिना उनके सहयोग के नहीं बनेगी़ श्री बरैया ने कहा कि वे अपनी चुनावी रणनीति का खुलासा चुनाव के एक माह पूर्व ही करेंगे़
आदिवासी सीटों पर कर सकते हैं समझौताबहुजन संघर्ष दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष फूलसिंह बरैया ने इस बात के संकेत भी दिए हैं कि वे आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर फिलहाल ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं उन्होंने कहा कि वहां पर उनके दल की स्थिति मजबूत नजर नहीं आ रही है़ इस कारण वे उन सीटों वाले विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादा ध्यान भी नहीं दे रहे हैं अगर वक्त आया तो वे आदिवासी नेतृत्व करने वाले दलों के साथ समझौता कर चुनाव मैदान में उतर सकते हैं फिलहाल समझौते की रणनीति नहीं हैं, मगर प्रत्याशी और समय के अनुसार वे यह निर्णय लेंगे़ उन्होंने कहा कि अभी समझौते के बारे में वे कुछ नहीं कहेंगे़ भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल इस रणनीति पर काम करते हैं कि अगर छोटे दल समझौता कर मैदान में उतरें तो उनमें फूट किस तरह डाली जाए़

सोमवार, 3 जून 2013

असंतुष्ट और उपेक्षितों को मनाएगी भाजपा

मनाने का काम शुरु किया मुख्यमंत्री शिवराज ने

भारतीय जनता पार्टी, संगठन में असंतुष्टों एवं उपेक्षितों को मनाने का काम शुरु कर रही है़ इस काम की शुरुआत मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान स्वयं ने कर दी है़ उन्होंने पहले बीते दो चुनावों में पार्टी को विजय दिलाने का काम करने वाले अनिल माधव दबे और फिर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाने में अह्म भूमिका निर्वाह करने वाली उमा भारती को उनके घर जाकर मनाने प्रयास किया है़
भारतीय जनता पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे में जहां विधायकों एवं मंत्रियों के कारण पार्टी की कमजोर होती स्थिति को देखते हुए संगठन विधायकों पर कसावट कर रहा था, वहीं असंतुष्ट और उपेक्षितों के कारण उनके क्षेत्र में पार्टी को होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए उन्हें मनाने का जिम्मा भी संगठन ने लिया है़ बताया जाता है कि भाजपा के करीब 30 वरिष्ठ नेता ऐसे हैं जो सरकार या संगठन से उपेक्षित या फिर असंतुष्ट हैं. इन सभी के अपने-अपने कारण भी है़ मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर और प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन के बीच हुई चर्चा के बाद इन असंतुष्टों और उपेक्षित नेताओं को मनाने के लिए संगठन ने नीति तय की़ इसके बाद इस नीति पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने स्वयं ही काम शुरु कर दिया़ उन्होंने इस काम की शुरुआत सबसे पहले 2003 और 2008 के विधानसभा चुनाव में चुनाव प्रबंधन की कमान संभाल चुके अनिल माधव दबे के निवास पर पहुंचकर उन्हें मनाकर की़ दबे, प्रभात झा के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से एक तरह से अपने को उपेक्षित से मान रहे थे़ उन्होंने पार्टी कार्यालय दीनदयाल परिसर ने एक तरह से अपना नाता तोड़ सा लिया था़ इसके बाद जब प्रदेश में नरेन्द्र सिंह तोमर को पुन: अध्यक्ष की कमान मिली तो उन्होंने चुनावी वर्ष को देखते हुए इस काम की शुरुआत की कि पार्टी के उपेक्षित नेताओं को मनाकर संगठित किया जाए़ अनिल माधव दबे को मुख्यमंत्री ने मनाकर उन्हें एक बार फिर इस वर्ष होने वाले चुनाव प्रबंधन की कमान सौंप दी़ इसके बाद उन्होंने रविवार को टीकमगढ़ में अटल ज्योति अभियान के शुभारंभ अवसर पर मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती कार्यक्रम के अध्यक्ष के रुप में उपस्थित कराया़ इसके अलावा वे उनके निवास पर भी पहुंचे और करीब 45 मिनट उनसे चर्चा भी की़ इस चर्चा के कई मायने निकाले जा रहे हैं, मगर यह कहा था रहा है कि लंबे समय से जो बात बार-बार उठ रही थी कि उमा भारती की भाजपा में वापसी के बाद से उन्हें अपने प्रदेश में महत्व नहीं मिल रहा है़ इस बात को मुख्यमंत्री ने विराम देने का प्रयास किया है़
इन दोनों नेताओं के यहां पहुंचकर उन्हें मनाने और चुनावी साल होने के नाते सक्रिय करने की मंशा भी मुख्यमंत्री ने जताई़ इसके अलावा हाल ही में ग्वालियर में तीन दिनों तक पालक-संयोजक सम्मेलन का आयोजन कर मुख्यमंत्री ने ग्वालियर में चल रहे नेताओं के बीच अंतर्विरोध को रोकने का काम किया है़ वहां पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, कप्तानसिंह सोलंकी के अलावा  चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनूप मिश्रा और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा समर्थकों को एकजुट करने का प्रयास भी उन्होंने किया है़ इसके अलावा अपने ही काबीना के एक मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को यह संदेश भी दे दिया कि भाजपा के बड़े आयोजन केवल इंदौर में ही ठीक ढंग से नहीं हो सकते हैं, ये कार्यक्रम दूसरे शहरों में भी किए जा सकते हैं


भाजपा के प्रचार का माध्यम बनेगा उमा का अभिनंदन

प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती का सागर में नागरिक अभिनंदन 12 जून की शाम को किया जाना तय हो गया है़ इस अभिनंदन समारोह के आयोजक उमा समर्थक मुकेश जैन ढाना हैं उन्होंने उमा भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने के बाद उनके नागरिक अभिनंदन करने की बात कही, जिसे उमा भारती ने स्वीकार भी कर लिया़ यह अभिनंदन समारोह कई संदेश देगा़ इस समारोह में जहां मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी रहेगी, जो भाजपा के लिए बुंदेलखंड की कमजोर सीटों पर ताकत भी देगी़ वहीं उमा के भाजपा में आने के बाद से उन्हें प्रदेश से दूर रहने की विवशता को भी समाप्त करेगी़ उमा समर्थक मुकेश जैन ढाना इस समारोह को सागर जिला भाजपा के साथ करके यह संदेश दिलवाना चाहते हैं कि उमा भारती और भाजपा का नाता जैसे पूर्व था, वैसे ही अब भी है़

खुली चिकित्सकों की पोल

प्रदेश सरकार का स्वास्थ्य महकमा  नि:शुल्क दवा उपलब्ध कराने का कितना भी प्रयास करें, मगर राज्य के चिकित्सक वरिष्ठों की अनदेखी करने से नहीं चूकते हैं सरकार के आदेशों का पालन न करते हुए अब भी चिकित्सक मरीजों को नि:शुल्क दवा देने के बजाय उन्हें बाजार से दवा खरीदने के लिए मजबूर करते हैं.
यह मामला स्वास्थ्य विभाग के सामने तब आया जब बीते महीनों स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों को अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी देकर निरीक्षण करने को कहा गया़ निरीक्षण का परिणाम यह निकला की मई माह में डेढ़ दर्जन से अधिक चिकित्सकों को दायित्व निर्वहन में लापरवाही बरतने, प्रोटोकाल का पालन न करने, नि:शुल्क दवा उपलब्ध न कराकर बाजार की दवा लिखने जैसी लापरवाही बरतने पर निलंबित किया गया है़ कुछ चिकित्सकों को कारण बताओ नोटिस भी दिए गए हैं़ नोटिस पाने वाले चिकित्सकों की संख्या निलंबित हुए चिकित्सकों से ज्यादा बताई जा रही है़ निरीक्षण करने गए प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के अलावा अन्य अधिकारियों के सामने किसी ने शिकायत नहीं की, बल्कि उन्होंने अपने आंखों से देखा कि किस तरह चिकित्सक सरकारी योजनाओं को पलीता लगा रह हैं. कोई दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहा तो कोई प्रोटोकाल का पालन नहीं कर रहा़ यहां तक की लेबर रुम प्रभारी चिकित्सकों की लापरवाही भी निरीक्षण करने गए अधिकारियों के सामने आई है़ निरीक्षण के बाद मई माह में करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा चिकित्सकों पर निलंबन की कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग ने की है़

जो हुए निलंबित

* ग्वालियर जिले में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी डॉ़ वाचस्पति शर्मा
* प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चिन्नौर, ग्वालियर में पदस्थ डॉ़ श्यामलाल बड़ोदिया़
* मुरार, ग्वालियर में पदस्थ डा़ सुरेन्द्र कुमार वर्मा़
* हस्तिपुर स्वास्थ्य केन्द्र, ग्वालियर में पदस्थ डा़ पवन जैऩ
* सागर में पदस्थ डॉ़ दयाराम़
* ग्वालियर में पदस्थ डॉ़ रेनू चौहाऩ
* मुरार, ग्वालियर में पदस्थ डा़ विपिन गोस्वामी़
* चिकित्सा अधिकारी विदिशा डॉ़ श्रीमती संध्या मौर्य़
* गढ़कोटा, सागर में पदस्थ डॉ़ दुर्गाप्रसाद कोरी़
* कुरवाई, विदिशा में पदस्थ डॉ़ रवीन्द्र कुमार जैऩ
* कुरवाई, विदिशा में पदस्थ डॉ़ एक़े़श्रीवास्तव़
* रहली सागर में पदस्थ डॉ़ मुकेश जैऩ
* सिविल अस्पताल बीना में पदस्थ डॉ़ मंजू कथीरिया़
* टीकाकरण अधिकारी डॉ़ वीक़ेख़रे सागऱ

योजनाओं का बखान करेगी ‘खिड़की मेहंदी वाली’

बीबीसी के रेडियो कार्यक्रम का प्रसारण होगा आकाशवाणी और सामुदायिक रेडियो केन्द्र पर
राज्य का स्कूल शिक्षा विभाग अब बीबीसी के रेडियो कार्यक्रम ‘खिड़की मेहंदी वाली’ के माध्यम से सरकार की स्वास्थ्य, शिक्षा और बेटी बचाओ, घरेलू हिंसा जैसी योजनाओं की जानकारी बालिकाओं एवं महिलाओं को देगा़ इस कार्यक्रम शिक्षा विभाग आकाशवाणी एवं सामुदायिक रेडियो केन्द्रों पर 3 जून से सप्ताह में तीन दिनों तक कराएगा़ राज्य शिक्षा केन्द्र ने सभी जिला परियोजना अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि छात्राओं को यह कार्यक्रम सुनवाने की व्यवस्था करे, ताकि वे अपने घर-परिवार वालों को भी इस कार्यक्रम के प्रसारण को सुनने के लिए उत्सुक हों़
राज्य शिक्षा केन्द्र ने हाल ही में राज्य के सभी जिला समन्वयकों को आदेश जारी कर कहा है कि वे अपने जिले के सभी कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय एवं बालिका छात्रावास की बालिकाओं को बीबीसी के द्वारा बालिकाओं और महिलाओं पर केन्द्रित रेडियो कार्यक्रम ‘खिड़की मेहंदी वाली’ के प्रसारण को सुनवाने की व्यवस्था करें़ इतना ही नहीं बालिकाओं को इसके बारे में जानकारी दें, ताकि वे अपने घर-परिवार वालों को भी इससे अवगत कराएं और उन्हें यह कार्यक्रम सुनने लिए प्रेरित करें़ यह आदेश राज्य शिक्षा केन्द्र की आयुक्त रश्मि अरुण शमी ने जारी किए हैं़
बीबीसी के इस कार्यक्रम का प्रसारण अब राज्य शिक्षा केन्द्र बालिकाओं के माध्यम से घर-घर तक पहुंचाने का काम कर रहा है़ स्कूल शिक्षा विभाग ने सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंंचाने का एक माध्यम यह भी निकाला है, जिसका स्कूल शिक्षा विभाग राज्य शिक्षा केन्द्र के माध्यम से पूरा करने जा रहा है़ इस कार्यक्रम का प्रसारण 3 जून से सप्ताह में सोमवार, बुधवार और शुक्रवार की शाम 6.35 से 6.50 बजे तक किया जाएगा़ इसका पुन: प्रसारण भी मंगलवार, गुरुवार और शनिवार की दोपहर को 1.15 से 1.30 बजे तक होगा़

प्रदेश की सामाजिक पृष्ठभूमि पर है कार्यक्रम

बीबीसी के कार्यक्रम ‘खिड़की मेहंदी वाली’ मध्यप्रदेश की सामाजिक पृष्ठभूमि को आधार बनाकर गढ़ा गया है़ इनकी भाषा और शैली मध्यप्रदेश के जनमानस को ध्यान में रखकर निर्धारित की गई है़ कार्यक्रम में डा़अनीता एक महत्वपूर्ण पात्र है, जो महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े प्रमुख व्यवहारों पर जानकारी प्रदान करता है़   इस कार्यक्रम में महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े प्राथमिक व्यवहारों की जानकारी देने के साथ-साथ सेवाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ने का प्रयास किया गया है़ कार्यक्रम में महिलाओं और बच्चों की बेहतरी से संबंधित प्रदेश सरकार की प्रमुख योजनाओं को भी समुचित स्थान दिया गया है़

तीसरे मोर्चे में टिकट को लेकर चिकचिक

मध्यप्रदेश में सपा के नेतृत्व में बन रहे तीसरे मोर्चे में एक बार फिर विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है़ इस बार विवाद की वजह टिकट पर सहमति का न बन पाना है़ विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल में समाजवादी पार्टी जहां अपना प्रत्याशी खड़ा करना चाहती है, वहां पर माकपा और भाकपा के बीच सहमति नहीं बन पा रही है़ अब सहमति बनाने के लिए एक बार फिर 4 जून को बैठक होना तय किया गया है, जबकि इस तारीख को सपा ने 50 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने की बात भी कही है़
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गौरी यादव के नेतृत्व में तीसरे मोर्चा के गठन को लेकर छोटे दल उत्साहित तो नजर आ रहे थे, मगर जैसे-जैसे इन दलों के बीच हुई बैठकें होती गई, मतभेद भी उभरते गए़ इन मतभेदों के चलते गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने तो दूरी ही बना ली, इसके अलावा कुछ और भी दल दूर होते गए़ अब तीसरे मोर्चे में सपा के अलावा समानता दल, माकपा, भाजपा और लालू प्रसाद यादव का जनता दल शामिल है़ इन दलों के बीच सब कुछ तो ठीक-ठाक चल रहा था, मगर बीते तीन बैठकों से टिकट वितरण को लेकर विवाद भी उभरा़ माकपा जहां ग्वालियर-चंबल अंचल में विधानसभा क्षेत्र को लेकर सपा के तर्कों पर सहमत नहीं है, वहीं भाकपा विंध्य में सपा की बातों पर सहमत नजर नहीं आ रही है़ बताया जाता है कि ग्वालियर-चंबल अंचल और विंध्य में कुछ विधानसभा क्षेत्रों में माकपा और भाकपा अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहते हैं, मगर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गौरी यादव इन सीटों पर सपा का प्रत्याशी खड़ा करना चाहते हैं. श्री यादव माकपा और भाकपा को यह तर्क देते हैं कि ये क्षेत्र उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं. इस कारण इन क्षेत्रों में सपा की स्थिति मजबूत हैं, वे भाकपा और माकपा से इन क्षेत्रों की करीब एक दर्जन सीटों पर समझौता नहीं करना चाहते हैं़ इस मुद्दे पर तीनों दलों में बीते तीन बैठकों से टकराव के चलते समझौता नहीं हो पा रहा है़
वहीं सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरी यादव ने 50 विधानसभा क्षेत्रों में 4 जून को प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने की बात कहकर विवाद को और गहरा दिया है़ श्री यादव ने यहां तक कह दिया कि ये सभी प्रत्याशी विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल के उन विधानसभा क्षेत्रों से होंगे जो विधानसभा क्षेत्र उत्तरप्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं़ इस बात को लेकर माकपा के बादल सरोज कुछ खफा नजर आ रहे हैं. अब सपा ने बादल सरोज सहित भाकपा के पदाधिकारियों को मनाने के लिए 4 जून को प्रत्याशियों की घोषणा करने के पूर्व सुबह एक बैठक और करने की रणनीति तय की है़ इस बैठक में अगर गीले-शिकवे दूर होते हैं तो ठीक नहीं तो तीसरे मोर्चे में दरार पड़  सकती है़ बताया जाता है कि तीसरा मोर्चा बनने के पहले ही बिखर सकता है़

बुधवार, 29 मई 2013

छग में नक्सली वारदातों से घटाई आदिवासी जनसंख्या

गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा आदिवासियों को सरकार, नक्सली और नक्सली मानते हैं मुखबिर


छत्तीसगढ़ में बीते एक दशक में नकस्ली वारदातों के कारण आदिवासियों की संख्या कम हो गई है़यह संख्या करीब डेढ़ फीसदी कम हुई है़ यहां से आदिवासी दूसरे राज्यों में पलायन कर गए हैं यहां तक की आंध्रप्रदेश में तो छत्तीसगढ़ के नाम से ही एक कालोनी बनाकर छग के आदिवासी रह रहे हैं, मगर वे वहां भी सुविधाविहीन जीवन, जी रहे हैं छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों को नक्सली बताती है, तो नक्सली आदिवासियों को सरकार का मुखबिर बता कर मार देते हैं़ यह आरोप गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम ने लोकमत समाचार से चर्चा करते हुए लगाए़ उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में विशेषकर बस्तर संभाग में आदिवासियों की स्थिति ठीक नहीं है़ इस संभाग के करीब 75 गांवों में आदिवासी पुरुष रह ही नहीं रहे हैं़ उन्हें कभी सरकार की ओर से नक्सली मानकर परेशान किया जाता है तो कभी नक्सली रात के अंधेर में उन्हें उठाकर ले जाया जाता है और सरकार का मुखबिर बताकर मारा जाता है़ श्री मरकाम ने बताया कि राज्य में नक्सलियों की गतिविधियां जब से बढ़ी है तब से छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की परेशानी भी बढ़Þी है़ उन्होंने बताया कि राज्य सरकार आदिवासियों के नाम पर योजनाएं चलाने का दावा करती है, मगर यहां के आदिवासी आज भी सुविधाओं के अभाव में जीवन जी रहे हैं उन्होंने बताया कि सरकार का सहयोग न मिलने और नक्सलियों के द्वारा लगातार आदिवासियों को परेशान किए जाने के कारण यहां से लगातार आदिवासियों का पलायन होता जा रहा है़ आज यह स्थिति निर्मित हो गई है कि बीते एक दशक में राज्य में आदिवासियों की संख्या करीब डेढ़ फीसदी कम हो गई है़ श्री मरकाम ने बताया कि छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में पलायन हुआ है़ यह पलायन महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश में हुआ है़ उन्होंने बताया कि आंध्रप्रदेश के खम्माम जिले में तो छत्तीसगढ़Þ के आदिवासियों ने एक कालोनी बनाकर रहना शुरु कर दिया है,मगर वे वहां पर आज भी सुविधाओं से जूझ रहे हैं वहां की सरकार उनकी सुध तक नहीं ले रही है़ उन्होंने इन सब परेशानियों ने आदिवासी समाज को आज उसकी संस्कृति से दूर कर दिया है़ हटाएं राज्यपाल को, लगाएं राष्ट्रपति शासन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम ने हाल ही में हुए नक्सली हमले में कांग्रेस नेताओं की मौत को लेकर छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार को दोषी बताया है़ साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के राज्यपाल शेखर दत्त का भी आदिवासियों के प्रति उपेक्षित व्यवहार रहा है, इस कारण यहां पर आदिवासियों की सुनवाई ही नहीं होती है़ उन्होंने कहा कि केन्द्र को छत्तीसगढ़ राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाकर तुरंत ही यहां के राज्यपाल शेखर दत्त को हटा देना चाहिए़ श्री मरकाम ने कहा कि छग की सरकार आदिवासियों के हित में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है इस कारण यहां का आदवासी परेशान हैं

वारदात में मप्र के नक्सली भी शामिल

छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले में मध्यप्रदेश के नक्सलियों के भी शामिल होने की आशंका प्रदेश की पुलिस और खुफिया विभाग को है़ सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में काफी समय से नक्सलियों की गतिविधियां शांत देखी जा रही हैं खुफिया विभाग का मानना है कि नक्सली जब किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं तो समीपवर्ती राज्यों में बसे उनके साथियों का सहयोग भी लेते हैं़ इसके चलते यह आशंका है कि मध्यप्रदेश के नक्सली लंबे समय से छत्तीसगढ़Þ में रहकर इस वारदात को अंजाम देने में वहां के नक्सलियों का सहयोग कर रहे होंगे़ राज्य के पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने भी इस बात को मंगलवार को स्वीकार किया कि राजय में नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सली गतिविधियां लंबे समय से शांत हैं उन्होंने इस बात की आशंका जताई थी कि राज्य के नक्सली भी छत्तीसगढ़ में हुई इस वारदात में शामिल हुए होंगे़ वैसे राज्य में इस वारदात के बाद से सुरक्षा के इंतजाम बढ़Þा दिए हैं नक्सल प्रभावित जिलों में चौकसी भी बढ़Þा दी है़ इसके अलावा 31 मई को पुलिस और प्रशासनिक अफसरों का एक दल भी नक्सल प्रभावित जिलों का दौरा करने की तैयारी कर चुका है़

चुटका परमाणु बिजली परियोजना का विरोध, गोंगपा के नेतृत्व में होगा बड़ा आंदोलन

नर्मदा पर बने बरगी बांध के किनारे प्रस्तावित ‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना’ के विरोध में महाकौशल अंचल के आदिवासी अब लामबंद हो रहे हैं़ आदिवासियों ने यह तय कर लिया है कि यह परियोजना को यहां नहीं लगाया जाए़ आदिवासी 2 जून को एक बार फिर एकत्रित होकर विरोध की रणनीति तय करेंगे़ विरोध का नेतृत्व कर रही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और अन्य संगठन इस मुद्दे पर एक बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में हैं़ मध्यप्रदेश के मण्डला जिले के चुटका में प्रस्तावित ‘चुटका मध्यप्रदेश परमाणु विद्युत परियोजना’ का विरोध अब तेज हो गया है़ परियोजना से प्रभावित मंडला जिले के बीजाडांडी , नारायणगंज विकासखंड और सिवनी जिले के घंसौर विकासखंड के करीब 54 गांव प्रभावित हो रहे हैं़ इन प्रभावित गांवों को बचाने के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, चुटका संघर्ष समिति, बरगी विस्थापित संघ के अलावा दर्जनों संगठनों ने विरोध तेज कर दिया है़ प्रशासन द्वारा वहां पर प्रस्तावित जनसुनवाई को विरोध को देखते हुए स्थगित कर दिया, मगर आदिवासियों का यह विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है़ आदिवासियों ने इस परियोजना का विरोध करने के लिए अब 2 जून को जबलपुर में एक बैठक आयोजित की है़ इस बैठक में विरोध की रणनीति तय की जाएगी़ इसके बाद अगर प्रशासन ने जनसुनवाई का प्रयास किया तो उसे फिर विफल किया जाएगा़ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश महामंत्री बजारीलाल यादव ने बताया कि 2 जून की बैठक के बाद हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरासिंह मरकाम से चर्चा कर यहां पर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं़ राष्ट्रीय अध्यक्ष से चर्चा के बाद यह तय किया जाएगा कि आंदोलन किस रूप में और किस तरह से किया जाए़ विरोध का कारण * 1400 मेगावाट बिजली बनाने के लिए बरगी जलाशय से पानी लिया जाएगा एवं पुन: उस पानी को जलाशय में छोड़ा जाएगा़ इससे पानी प्रदूषित होगा और मनुष्यों सहित इस पर आश्रित सभी जैवित घटकों का जीवन खतरें में पढ़Þेगा़ * न्यूक्लियर पावर, कॉर्पोरेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड की गाइड लाइन के अनुसार परमाणु विद्युत परियोजनाओं को भूकंप वाले क्षेत्र में स्थापित नहीं किया जा सकता, किंतु इस महत्वपूर्ण बिन्दु को नजरअंदाज करते हुए हाई रिस्क जोन में यह परियोजना बड़ा खतरा उत्पन्न कर सकती है़ * पूर्व में बरगी बांध के कारण क्षेत्र के लोगों को हुए नुकसान की भरपाई हुई नहीं, अब इस परियोजना के कारण प्रभावित लोग और नुकसान झेलेंगे़ * परियोजना के मसौदे की तैयार 2000 पेज की रिपोर्ट अंग्रेजी में है़ इस रिपोर्ट को हिन्दी में देने की मांग़ मगर प्रशासन ने इस रिपोर्ट को मात्र 65 पन्नों में समेट दिया़ * वन क्षेत्र के दोहन से आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को बाहरी खतरा उत्पन्न होगा़ बरगी बांध की पीड़ा छेलने वाले आदिवासी अब दोबारा इस तरह की पीड़ा नहीं छेलना चाहते हैं़ विरोध में शामिल संगठन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, चुटका संघर्ष समिति, बरगी विस्थापित संघ, सद्भावना विचार मंच, नागरिक अधिकार मंच, अभिनय थियेटर मंच, रंग अभियान, त्रिवेणी परिषद, आदिवासी अधिकार जबलपुर, आजादी बचाओ आंदोलन, हमारा अधिकार अभियान,जनसंघर्ष मोर्चा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी लेनिनवादी, पीपल्स इंनिशियेटिव अगेंस्ट न्युक्लियर पावर, आॅल इंडिया स्टूडेंट्स मध्यप्रदेश, क्रांतिकारी नौजवान भारत सभा, अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन मध्यप्रदेश, गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन भोपाल, मध्यप्रदेश महिला मंच, शिक्षा अधिकार मंच भोपाल, वुमेन अगेंस्ट सेक्शुअल वॉयलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन मध्यप्रदेश़

खोये ‘गढ़’ की तलाश में जद यू

मध्यप्रदेश में नब्बे के दशक के बाद मालवा अंचल के झाबुआ और रतलाम में कमजोर हुआ जनता दल यू अब एक बार फिर अपने खोये ‘गढ़Þ’ को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है़ जनता दल यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव 26 मई को रतलाम जिले के सैलाना विधानसभा क्षेत्र में व्यस्था परिवर्तन अभियान की शुरुआत कर पार्टी में विधानसभा चुनाव का एलान करते हुए आदिवासियों को फिर से क्रांतिकारियों की याद दिलाने हुए समाजवाद का नारा बुलंद करेंगे़ जनता दल यू ने मध्यप्रदेश में 26 मई से व्यवस्था परिवर्तन अभियान चलाकर चुनावी शंखनाद फूंकने की तैयारी कर ली है़ तैयारी का अंतिम चरण चल रहा है़ इस अभियान की शुरुआत जद यू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा क्षेत्र से करेंगे़ वे 26 मई को यहां पर एक बड़ी सभा का आयोजन करने जा रहे हैं़ इस सभा का आयोजन कर वे झाबुआ और रतलाम जिले के आदिवासियों को एक बार फिर उनके क्रांतिकारी रूप की याद दिलाएंगे जिसके तहत आदिवासियों ने हमेशा क्रांति की राह पकड़कर परिवर्तन किया है़ बताया जाता है कि इस स्थान को पार्टी ने इसलिए भी चुना है क्योंकि नब्बे के दशक के बाद से यहां पर पार्टी का जनाधार लगातार कम होता गया है़ क्रांतिकारियों की कर्मभूमि रहे इस अंचल में पार्टी विशेषकर समाजवाद के नारे के कमजोर होने से पार्टी नेता चिंतित हो रहे थे़ इस कारण इस अंचल के सैलाना को पार्टी नेतृत्व ने चुना और यहां से व्यवस्था परिवर्तन अभियान चलाते हुए प्रदेश में होने वाले वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव के लिए शंखनाद फंूकने की तैयारी कर ली़ पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद यादव ने बताया कि लंबे समय से हमारे प्रयासों के बावजूद यहां पर हम पार्टी का खोया जनाधार नहीं पा रहे थे, इस कारण हमने यहां पर राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में व्यवस्था परिवर्तन अभियान चलाने का फैसला किया है़ वैसे यह अभियान राजस्थान और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों में चलाया जाएगा़ राजस्थान के बांसवाड़ा में इस अभियान की शुरुआत 25 मई को राष्ट्रीय अध्यक्ष करेंगे़ उसके बाद 26 मई को मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के सैलाना में इस अभियान की शुरुआत की जाएगी़ श्री यादव ने बताया कि इस अभियान के तहत हम मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में एक बार फिर समाजवाद का नारा बुलंद करते हुए पार्टी की ताकत को बढ़Þाएंगे़ 25 एवं 26 मई को दोनों ही दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव दो अलग-अलग बड़ी सभाओं को संबोधित कर दोनों ही राज्यों में विधानसभा चुनाव का शंखनाद फूंकेंगे़

गुरुवार, 9 मई 2013

भाजपा करेगी साधने का काम

कर्नाटक में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश इकाई चिंता में आ गई है़ संगठन के पदाधिकारियों विशेषकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, संगठन महामंत्री और मुख्यमंत्री के बीच इस मुद्दे पर लंबे समय तक बैठक कर मंथन किया गया़ इसके बाद यह तय हुआ कि नेता और कार्यकर्ताओं में असंतोष को रोका जाए और जल्द ही गैर राजनीतिक पदों पर नियुक्तियां की जाएं़ कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार के बाद प्रदेश भाजपा की चिंता बढ़Þ गई है़ राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने का सपना देख रही भाजपा के सामने अब अपने नेता और कार्यकर्ताओं को साधने की चिंता सताने लगी है़ भाजपा ने इस संबंध में बुधवार रात को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर, संगठन महामंत्री अरविंद मेनन और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने घंटों बैठक कर इस मुद्दे पर मंथन किया़ बैठक में तय किया गया कि प्रशासनिक और संगठन के बीच तालमेल कुछ इस तरह बैठाया जाए जिससे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी नहीं बढ़Þे़ इसके अलावा सरकार की योजनाओं को अब लोगों तक पहुंचाने के काम में अधिकारियों की मदद कार्यकर्ता और नेता करें़ इससे सरकार और संगठन दोनों के बीच तालमेल बना रहेगा और कार्यकर्ता की नाराजगी से भी बचा जाएगा़ इस बैठक में निगम मंडलों एवं प्राधिकरणों में रिक्त पड़े पदों पर जल्द ही नियुक्तियां किए जाने का फैसला भी किया गया़ सूत्रों के अनुसार इस फैसले पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की ग्रामीण अंचलों की यात्राओं के बाद अमल किया जाएगा़ श्री चौहान ने संगठन के साथ चर्चा में नियुक्तियां जल्द ही करने की बात कही है़

चुनौती है बाल विवाह रोकना

राज्य सरकार के सामने बाल विवाह होना कड़ी चुनौती है़ सरकार द्वारा लोगों को सजग करने और समझाइश देने जैसे उठाए गए कदम से लोगों में कोई बदलाव नहीं आया है़ सरकार भले ही बाल विवाह न होने की बात कहे, मगर बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों को मिल रही शिकायतें इस बात का संदेश दे रही है कि सरकार के सार बाल विवाह को चाह कर भी नहीं रोक पा रही है़ राज्य सरकार भले ही बाल विवाह को रोकने के लिए ढिंढोरा पीटे, मगर यह प्रथा प्रदेश में चाहकर भी वह रोक नहीं पा रही है़ इस वर्ष 13 मई को अक्षय तृतीया पर बड़ी संख्या में होने वाले सामूहिक विवाहों को देखते हुए सरकार का महिला एवं बाल विकास विभाग काफी सक्रिय नजर आ रहा है, लेकिन विभाग द्वारा उठाए गए कदमों का अब तक लोगों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है़ लंबे समय से चल रही बाल विवाह प्रथा अब भी नहीं रुक रही है़ बाल विवाह को लेकर राज्य में बाल संरक्षण आयोग की सदस्यों को लगातार तीन दिनों से बाल विवाह होने की शिकायतें मिल रही है़ इन शिकायतों पर आयोग की सदस्यों ने गंभीरता दिखाई है और अब तक दो बाल विवाह रुकवाने का दावा भी किया जा रहा है़ आयोग की महाकौशल क्षेत्र की प्रभारी सदस्य श्रीमती रीना गुजराल ने बताया कि उनके पास अब तक शिकायतें तो नहीं आई हैं, मगर उन्होंने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों से कहा है कि महाकौशल में कहां-कहां पर सामूहिक विवाह हो रहे हैं, वहां की जानकारी उन्हें उपलब्ध कराई जाए़ जानकारी के अलावा वे बाल विवाह को रोकने के लिए कड़े कदम भी उठाएं़ उज्जैन संभाग की प्रभारी श्रीमती आऱएच़ लता ने बताया कि उन्हें लगातार दूरभाष पर शिकायतें मिल रही है़ उनके पास अब तक करीब 50 से ज्यादा शिकायतें आई हैं़ आज ही शाजापुर जिले से एक शिकायत आई कि एक चौकीदार अपनी नाबालिग पुत्री की शादी कर रहा है, उसे आज हल्दी भी लगा दी गई है़ इस मामले में उन्होंने कलेक्टर को निर्देश देकर वहां जांच कर सही बात पता कर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है़ श्रीमती लता ने बताया कि अगर यह सच होगा तो वे लड़की के पिता पर भी कार्यवाही करेंगी़ उन्होंने बताया कि अब तक जो शिकायतें मिली हैं, उनमें दो स्थानों पर तो बाल विवाह को आयोग की सदस्यों ने रुकवाने का काम किया है़ इसी तरह ग्वालियर-चंबल संभाग की प्रभारी श्रीमती विजया शुक्ला ने बताया कि उन्हें आज एक शिकायत मिली इस शिकायत में 13 मई अक्षय तृतीया पर बाल विवाह होने की जानकारी दी गई़ इस शिकायत को उन्होंने इंदौर संभाग की प्रभारी सदस्य डा़रीना उपमन्यु को भेज कर जानकारी लेने को कहा है़ इस मामले में इंदौर प्रभारी जांच करा रही हैं़ रीवा-शहडोल संभाग की प्रभारी आशा यादव ने बताया कि उन्हें भी कुछ शिकायतें मिली है, इस संबंध में कलेक्टरों के अलावा महिला एवं बाल विकास अधिकारियों को सख्त कार्यवाही के निर्देश उन्होंने दिए हैं़ उन्होंने बताया कि समाज में बदलाव तभी आएगा जब हम शासकीय अधिकारियों के अलावा बाल विवाह करने वाले अभिभावकों पर कड़ी कार्यवाही की जाए़ उन्होंने बताया कि आज ही विदिशा जिले के ग्यारसपुर में बाल विवाह होने की शिकायत उन्हें मिली थी, इस शिकायत को भोपाल संभाग की प्रभारी को सौंप दिया गया है़

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

बदजुबान मंत्री, बढ़ा रहे सरकार का संकट

राज्य के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री ऐसे हैं, जो अपनी बदजुबानी के कारण सरकार के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं़ मंत्रियों द्वारा लगातार कभी महिलाओं को लेकर तो कभी पंडितों और कभी अफसरों को इंगित करते हुए की गई टिप्पणियों के कारण सरकार संगट में खड़ी नजर आने लगी है़ चुनावी वर्ष को देखते हुए संगठन भी अब इन मंत्रियों पर कसावट लाने की मुद्रा में नजर आ रहा है़ राज्य के आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों द्वारा की गई टिप्पणियों ने कांग्रेस को मैदान में उतरने का कारण दिया, तो सरकार के लिए ये टिप्पणियां मुसिबत भी बनती जा रही हैं़ शिवराज सरकार के केबिनेट से लेकर राज्य मंत्री तक के बयानों के कारण सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस को मुद्दा मिलता रहा है़ हाल ही में आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह द्वारा झाबुआ में एक शासकीय कार्यक्रम (लड़कियों के समर कैंप के शुभारंभ) के दौरान लड़कियों को लेकर दिए द्विअर्थी एक बयान ने कांग्रेस को सड़क पर उतार दिया है़ कांग्रेसियों ने राजधानी से लेकर जिला स्तर पर इसका विरोध किया और शाह के पुतले तक जला दिए़ शाह द्वारा यह कोई पहला विवादित बयान नहीं था़ श्री शाह इसके इसके पूर्व अलीराजपुर में लड़कियों के हास्टल की मांग कर रहे अभिभावकों से कुछ इसी तरह के बयान पर विवाद में आए थे़ उन्होंने तब कहा था कि लड़कियों की सुरक्षा की गारंटी अगर अभिभावक लें, तो सरकार हास्टल खोलेगी़ इतना ही नहीं खण्डवा में वे पंडितों को खाना न खिलाने और मालेगांव मेले में एक नृत्य को लेकर भी चर्चा में रहे़ शाह द्वारा अपने मंत्रित्वकाल में करीब आधा दर्जन बार ऐसे बयान दिए गए जिसमें वे स्वयं ही उलझे हैं़ झाबुआ में दिए बयान के बाद तो उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से दूरभाष पर चर्चा कर अपनी सफाई तक दी, इसके अलावा उन्होंने इंदौर में पत्रकार वार्ता बुलाकर सार्वजनिक रुप से माफी भी मांगी़ शाह के अलावा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भी विवादित बयानों से घिरे रहे हैं़ गौर ने राजधानी में एक समारोह के दौरान महिलाओं को मर्यादा में रहने की नसीहत दी़ उन्होंने विश्वामित्र और मेघना का उदाहरण देकर कहा था कि विश्वामित्र का तप भंग करने में मेघना का ही हाथ था़ इसी तरह महिलाएं को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा था कि महिलाओं को पाश्चात्य सभ्यता को छोड़ भारतीय परिधान पहनने चाहिए़ इसे लेकर विरोध भी खूब हुआ और गौर का पुतला तक महिला कांग्रेस ने जलाया़ गौर के अलावा राज्य के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी इंदौर में रामायण का हवाला देते हुए कहा था कि मर्यादा का उल्लंघन होता है, तो सीता-हरण हो जाता है़ लक्ष्मण रेखा हर व्यक्ति की खींची हैं़ उस रेखा को कोई भी पार करेगा तो रावण सामने बैठा है, वह सीता हरण करके ले जाएगा़ पर्यटन मंत्री तुकोजीराव पवार ने पर्यटन दिवस पर आयोजित एक समारोह में मंच के सामने बैठी एक महिला को देख यह बयान दे डाला था कि वे तो टाइगर हैं और महिलाएं टाइग्रेस हैं़ यह कार्यक्रम टूर आपरेटरों का था, जिसमें महिला टूर आपरेटर भी शामिल हुई थी़ उनका यह बयान काफी विवादित रहा, इस पर भी कांग्रेस ने मोर्चा खोला था़ सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन भी इस मामले में पीछे नहीं रहे़ उन्होंने भोपाल में जिला सहकारी बैंक के अध्यक्षों की एक बैठक में सतना जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष कमलाकर चतुर्वेदी को पोंगा पंडित और पन्ना जिले के जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष संजय नगाइच को चोर तक कह डाला था़ इसके बाद वे अपनी ही पार्टी में घिरे नजर आए़ इतना ही नहीं बिसेन ने छिंदवाड़ा में एक आदिवासी बालक शुभम उर्फ छोटू के हाथों जूते की लैस बंधवाकर विवाद में घिर गए थे़ इसके बाद उन्होंने सफाई देते हुए यह कसम भी खाई कि वे अब बिना लेस वाले जूते ही पहनेंगे़ यही नहीं श्री बिसेन ने सार्वजनिक मंच पर सिवनी जिले के छिंदा में एक पटवारी से ऊठक-बैठक और होशंगाबाद में सहकारी बैंक के प्रबंधक आरक़े़दुबे को फटकार तक लगा दी थी, इसके बाद वे काफी विवादों में आ गए थे, और कांग्रेस ने सरकार को इन मुद्दों पर काफी घेरा था़ लंबे समय तक मंत्रिमंडल से बाहर रहे अनूप मिश्रा भी मंत्री पद संभालते ही बद्जुबान हो गए़ श्री मिश्रा ने भिंड जिले के लहार में एक कार्यक्रम में यहां तक कह डाला था कि वे तो खादी वाले गुंडे हैं़ जिले में तो एक ही गुंडा रहता है़ श्री मिश्रा के अलावा राज्य के गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता भी इस मामले में पीछे नहीं रहे़ बीते दिनों दतिया जिले में स्विस महिला के साथ हुए बलात्कार और लूटपाट की घटना पर उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर महिला पूर्व में यहां आने की सूचना देती तो, शायद यह घटना नहीं घटती़ पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव भी अपने विधानसभा क्षेत्र में बुंदेलखंड के राई नृत्य को लेकर विवाद में आए थे़ उन्होंने इस नृत्य का पक्ष लिया और इसे बुंदेलखंड की परंपरा तक बता दिया था़ कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया ने कटनी में महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं द्वारा ब्रिज मांग करने पर यह बयान दिया था कि वे प्रसव पीड़ा का आनंद लें़ इसके अलावा वे किसानों द्वारा आत्महत्या करने पर यह कह चुके हैं कि ये उनके पुराने पापों का फल है बयानों के अलावा राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री रंजना बघेल तो इन मंत्रियों से भी आगे निकल गई़ उन्होंने वर्ष 2009 के लोक सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मुकाम सिंह किराडेÞ के समर्थन में चुनाव प्रचार के दौरान मनावर विधानसभा क्षेत्र के पलासी गांव में एक महिला गंगा बाई को थप्पड़ तक रसीद कर दिया था़ गंगाबाई कुछ महिलाओं के साथ मंत्री के पास पहुंची थी और विधानसभा चुनाव में सरकार द्वारा 50 हजार रुपए ऋण माफी के बारे में जानकारी लेते हुए यह पूछ रही थी कि सरकार कब तक ऋण माफ करेगी़ इस पर मंत्री को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने महिला को थप्पड़ दे मारा़ हालांकि इस मामले में पुलिस ने शिकायत तक दर्ज कर ली थी़

रविवार, 24 मार्च 2013

संगमा मप्र में हुए सक्रिय

नेशनल पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी़ए़संगमा अब छत्तीसगढ़Þ के बाद मध्यप्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं़ संगमा ने राजधानी में आदिवासी नेताओं और प्रदेश के छोटे दलोें के नेताओं से मुलाकात कर चर्चा की़ इस दौरान उन्हें छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने को लेकर भी छोटे दलों के नेताओं ने सक्रियता दिखाई़ हालांकि संगमा ने अभी अपने पत्ते खोले नहीं हैं, मगर उन्होंने नेताओं को इस बात का संकेत जरुर दिया है कि पहले संयुक्त मोर्चा गठित हो जाए, फिर इस मुद्दे पर विचार करेंगे़ नेशनल पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पी़ए़संगमा इन दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हैं़ संगमा शनिवार से भोपाल में ठहरे हुए हैं़ वे यहां पर आए तो एक राजनीतिक दल के कार्यक्रम में हैं, मगर साथ ही उन्होंने मध्यप्रदेश के छोटे दलों विशेषकर आदिवासी का नेतृत्व करने वाले दलों और आदिवासी नेताओं से अलग-अलग मुलाकात की़ संगमा ने राजधानी आने के बाद छत्तीसगढ़Þ की तर्ज पर संयुक्त मोर्चा बनाने में रुचि दिखाई है़ उनकी इस रुचि को देखते हुए छोटे दलों के नेताओं ने भी स्वीकार किया है कि वे इस मुद्दे पर विचार करेंगे़ हालांकि इन नेताओं की संगमा के साथ हुई चर्चा के बाद संगमा को मध्यप्रदेश में दो तरह के प्रस्ताव दिए हैं़ बताया जाता है कि संगमा को दिए प्रस्ताव में पहला तो मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में वे संयुक्त मोर्चा में जिन दलों को शामिल करने की मंशा दिखा रहे हैं, उनके समर्थन में विधानसभा चुनाव के दौरान उनका नेतृत्व करें और चुनाव प्रचार में अहम भूमिका का निर्वाह करें़ इसके अलावा छोटे दलों के नेताओं द्वारा यह कहा गया कि अगर वे मध्यप्रदेश में सक्रियता दिखाते हैं और भाजपा उनका साथ देती है तो वे छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतरे़ संगमा ने इस प्रस्ताव को गंभीरता से लिया है़ सूत्रों की माने तो संगमा को कहा गया है कि राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जब भाजपा ने उन्हें अपना समर्थन दिया था तो छिंदवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भी वे भाजपा को इस बात के लिए तैयार करें कि वह अपना उम्मीदवार न उतारकर उन्हें समर्थन दे़ संगमा ने इस प्रस्ताव को गंभीरता से लिया और विचार करने की बात कही है़ हालांकि अभी उन्होंने कुछ पत्ते नहीं खोले हैं़ सूत्रों के अनुसार आज संगमा की मुलाकात अरविंद नेताम और दिलीप सिंह भूरिया से हुई़ इस मुलाकात में उन्होंने आदिवासी नेतृत्व को ताकत देने की बात कही़ संगमा ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में आदिवासी नेतृत्व करने वाले दलों के नेताओं से भी मुलाकात कर कहा कि वे संयुक्त मोर्चा के साथ चुनाव लड़े जिससे आदिवासी मजबूत हों और छोटे दलों को भी मजबूती मिले़ सूत्रों की माने तो संगमा ने अब छत्तीसगढ़Þ के बाद मध्यप्रदेश को अपना लक्ष्य बनाकर कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा खड़ा करने के संकेत दिए हैं़ यहां उल्लेखनीय है कि संगमा के साथ फिलहाल प्रजातांत्रिक पार्टी, भारतीय गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेताओं ने आज चर्चा की़ इसके अलावा कुछ और छोटे दलों से भी उनकी चर्चा होना बताया जा रहा है़

‘नाना’ के पास बढ़Þ सोना, बिसेन हुए वाहन विहीन

राज्य के दो मंत्री नानाभाऊ मोहोड़ और गौरीशंकर बिसेन अपनी संपत्ति का नपा-तुला खुलासा करने में माहिर हैं़ संपत्ति के मामले में नाना कर्जदार हैं, तो बिसेन पर वर्तमान में कोई कर्ज नहीं है़ नाना के पास मंत्री बनने के बाद जेवरात बढ़Þे हैं, मगर बिसेन इस मामले में पीछे हैं़ उन्हें शस्त्र रखने का शौक जरुर हो गए है़ साथ ही मंत्री बनने के पहले जहां उनके पास दो-दो वाहन हुआ करते थे, वे अब नहीं रहे हैं़ स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री नानाभाऊ मोहोड़ और सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन संपत्ति का ब्यौरा देने में खासे नपे-तुले अंदाज में चलते हैं़ नानाभाऊ मोहोड़ ने मंत्री बनने के बाद सोने में बढ़Þौत्री की है, जबकि बिसेन इस मामले में पिछड़े हैं़ विधायक का चुनाव लड़ते वक्त बिसेन के पास जितना नगद था उसमें बढ़Þोत्री हुई है, तो नाना इस मामले में पीछे हैं़ नाना को शस्त्र का शौक नहीं है, बल्कि बिसेन ने मंत्री बनने के बाद शस्त्र के रुप में रिवाल्वर रखना शुरु कर दिया है़ नाना अब भी अपनी पैतृक संपत्ति को ही संभाले हुए है, अतिरिक्त संपत्ति क्रय करने के मामले में वे अब भी पीछे हैं़ मंत्री बनने के बाद उन्होंने सौंसर में अपना मकान बनवाया है़ जबकि बिसेन इस मामले में कुछ आगे हैं़ वे अपनी पत्नी और स्वयं के नाम पर भी मकान क्रय कर चुके हैं़ बिसेन और उनकी पत्नी दोनों ही नगद रखने में पीछे नहीं हैं, जबकि नाना नगद रखने में पीछे हैं और उनकी पत्नी तो नगद रुपए रखती ही नहीं हैं़ नानाभाऊ मोहोड़ ने विधायक का चुनाव लड़ते वक्त निर्वाचन आयोग को जो संपत्ति का ब्यौरा दिया था उसके अनुसार उनके पास तब नकद 1,15,000 रुपए था और पत्नी के पास 20,000 रुपए नगद बताए थे़ इसके लिए वाहन के रुप में स्कार्पियो एवं हिरोडोण्डा बताए थे़ साथ ही सोना 25 तोला बताया था़ उन्होंने मांगरली गांव में 0.922 हैक्टेयर कृषि भूमि और यहीं पर एक मकान होना बताया था़ इसके बाद हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र में उन्होंने अपनी संपत्ति का ब्यौरा देते हुए यह बताया कि उनके पास नगद 45,000 रुपए , मांगरुली में 0.922 हैक्टेयर भूमि यही पर एक मकान है़ इसके अलावा एक मकान सौंसर में भी है़ सोना उनके पास 75 ग्राम और पत्नी के पास 470 ग्राम याने कुल साढ़े 54 तोला है़ वाहन के रुप में अब भी उनके पास एक स्कार्पियो है़ घरेलू सामान के रुप में 1,75,000 रुपए का है़ इसके अलावा भवन निर्माण का बैंक लोन 12,25,663 रुपए है़ इस तरह उनकी नगदी तो कम हुई है, मगर सोना के जेवरात बढ़ गए हैं और वे बैंक के कर्जदार भी हो गए हैं़ साथ ही उनकी पत्नी के पास नगद राशि अब कुछ नही है़ सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने निर्वाचन आयोग को जो आय का ब्यौरा दिया था उसके अनुसार उनके पास 5 लाख रुपए नगद और पत्नी के पास 2 लाख रुपए नगद थे़ वाहन के रुप में दो बुलेरो गाड़ी थी़ इसके अलावा सोना 20 ग्राम और चांदी 110 ग्राम थी़ जबकि उनकी पत्नी रेखा बिसेन के पास सोना 50 ग्राम और चांदी 120 ग्राम थी़ बालाघाट के गर्रा में कृषि भूमि और मकान था तो भोपाल के रिवेरा टाउन में भी उनका एक डुप्लेक्स मकान होना उन्होंने बताया था, साथ ही उस वक्त वे भी बैंक के कर्जदार थे़ हाल ही में बिसेन ने जो अपनी संपित्त का ब्यौरा दिया है उसके अनुसार अब उनके पास 4 लाख रुपए नगद एवं आधा दर्जन विभिन्न बैंक खातों में 8 लाख रुपए जमा होना बताया है़ साथ ही डेढ़Þ लाख रुपए की पालिसी 50 ग्राम सोना 110 ग्राम चांदी होना बताया है़ बालाघाट जिले के ग्राम गर्रा में मकान एवं कृषि भूमि बताई है़ जबकि बालाघाट में मकान होना भी बताया है़ इसके अलावा भोपाल के रिवेरा टाउन में डुप्लेक्स मकान के अलावा एक रिवाल्वर होना उन्होंने स्वीकार किया है़ बिसेन की पत्नी के पास अब नगद के रुप में 1.50 लाख रुपए हैं़ दो बैंक खातों में 5 लाख 7 हजार रुपए पौने छह लाख की पालिसी है़ उनके पास 200 ग्राम सोना और 50 ग्राम चांदी है़ बिसेन के पास वर्तमान में उनके नाम पर कोई वाहन नहीं है, लेकिन रिवाल्वर रखने का शौक मंत्री बनने के बाद उन्हें हो गया है़ कुल मिलाकर बिसेन ने निर्वाचन आयोग को जो ब्यौरा दिया था उसके बाद मंत्री बनने के पश्चात उन्होंने सोने-चांदी का लोभ तो नहीं दिखाया, मगर शस्त्र रखने का शौक जरुर वे करने लगे हैं़

जिले के रह गए मंत्री

भारतीय जनता पार्टी के महाजनसंपर्क अभियान प्रभारियों के सामने जो बातें सामने आई उनमें मंत्रियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं में रोष दिखाई दिया़ मंत्रियों के अलावा जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल का अभाव होना और पार्टी विधायकों एवं संगठन पदाधिकारियों के बीच तालमेल न होने की बातें भी सामने आई हैं़ हालांकि महाजनसंपर्क अभियान केवल नगरीय क्षेत्रों तक ही सिमटकर रह गया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यकर्ता और प्रभारी नहीं पहुंच पाए़ भातीय जनता पार्टी द्वारा प्रदेश में 25 फरवरी से चलाए गए महाजनसंपर्क अभियान का समापन कल 20 मार्च को हो गया़ इस अभियान में जिलों के प्रभारियों के सामने जो बातें आई उसने पार्टी संगठन को चिंता में डाल दिया़ प्रभारियों द्वारा अपने प्रभार वाले जिलों की जनसंपर्क के दौरान मिली शिकायतें और उपलब्धियों के बारे में 23 एवं 24 मार्च को होने वाले समीक्षा बैठक में जानकारी देनी है़ इस बैठक में कई जिलों के जिला अध्यक्ष और संगठन महामंत्री की नाराजगी भी सामने आ सकती है़ महाजनसंपर्क अभियान के लिए जिलो के प्रभारियों के सामने जो बातें आई उसमें सबसे चिंता में डालने वाले बात यह रही कि जनप्रतिनिधि, संगठन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता मंत्रियों की कार्यशैली से खासे खफा नजर आए़ इनका सीधा कहना था कि मंत्रियों द्वारा अपने जिलों और विशेषकर अपने विधानसभा क्षेत्रों की सुध ली जाती है़ इसके अलावा जनप्रतिनिधियों एवं कार्यकर्ता उपेक्षित ही रहते हैं़ मंत्रियों के अलावा कार्यकर्ताओं एवं जनप्रतिनिधियों खासकर विधायकों की शिकायतें रही कि अफसर उनकी सुनते ही नहीं हैं़ अफसरों द्वारा कोई कार्यवाही विधायकों के द्वारा की गई अनुशंसा पर नहीं की जाती है़ कुछ जिलों में संगठन पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच गुटबाजी भी सामने आई, जिसके कारण कार्यकर्ता के काम ही नहीं हो पा रहे हैं़ कार्यकर्ता अपने और आम नागरिक के काम के लिए भटकता रहता है, मगर उसकी बात सुनने को कोई तैयार नहीं होता है़ खासकर प्रशासनिक तंत्र और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल का अभाव इस महाजनसंपर्क अभियान के दौरान प्रभारियों को दिखाई दिया़ इस अभाव ने प्रभारियों को चिंता में डाल दिया है़ अब प्रभारियों ने अपने-अपने प्रभार वाले जिलों की रिपोर्ट तैयार करनी शुरु कर दी है़ यह रिपोर्ट वे समीक्षा बैठक में देंगे़ इस बैठक में जिला अध्यक्ष और संगठन मंत्रियों को भी बुलाया गया है़ इस बैठक में प्रदेश संगठन के सामने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच तालमेल न होने के कारण कार्यकर्ता और आम नागरिक को जो परेशानी हो रही है सरकार को आने वाले चुनाव में किस तरह की चुनौती मिलेगी इस बात से रुबरु कराया जाएगा़ बालाघाट की प्रभारी और पूर्व राज्यसभा सदस्य अनुसूईया उइके ने बताया कि उन्हें कार्यकर्ता और आम नागरिक से जो भी शिकायतें मिली हैं, वे उसके बारे में संगठन को बताएंगे़ उन्होंने कहा कि आम आदमी मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कामों से तो संतुष्ट नजर आया, मगर योजनाओं के क्रियान्वयन नहीं होने से उसे योजनाओं को लाभ नहीं मिला है़ उन्होंने बताया कि कुछ स्थानों पर कार्यकर्ता भी अधिकारियों से खफा नजर आए हैं तो कुछ स्थानों पर पार्टी में उभरे असंतोष को भी देखा गया़ मगर यह तो सभी राजनीतिक दलों में होता है़ इस अभियान के जरिए यह बात जरुर हमारे सामने आई कि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और कई क्षेत्रों में सरकार की योजनाओं का सही तरह से क्रियान्वयन नहीं हुआ इसके पीछे क्या कारण है इसके बारे में हम समीक्षा बैठक में बताएंगे़ उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत यह जानकारी एकत्रित करना थी कि लोगों को सरकार की योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है, लोग सरकार के प्रति कैसा रुख रखते हैं़ हमने यह जानकारी ली और संगठन के सामने सारे बात रखेंगे़ बिजली की समस्या भी आई सामने महाजनसंपर्क अभियान के तहत जिला प्रभारियों और संगठन मंत्रियों के सामने बिजली की समस्या भी आई़ किसानों के अलावा आम आदमी ने इसकी शिकायत की़ यह शिकायतें मालवा, महाकौशल, नर्मदांचल, विंध्य, बुंदेलखंड अंचल में सर्वाधिक मिली़ किसानों ने तो बिजली के कारण उनकी फसलों के उत्पादन पर असर पड़ने तक की बात कही़ किसानों ने बताया कि जब उन्हें बिजली की आवश्यकता होती है तो सरकार बिजली उपलब्ध नहीं कराती है़ कई ग्रामीणों ने तो अनाब-शनाब बिजली के बिल दिए जाने और न भरने पर बिजली काटने की बातें भी बताई़ कई क्षेत्रों में सरपंच और सचिवों की शिकायतें भी की गई़ पार्टी कार्यकर्ताओं ने यहां तक आरोप लगाया कि सरपंच और सचिव मिलकर अपने हिसाब से काम करते हैं, उन्हें सरकार की चिंता नहीं है़ मजदूरों के भुगतान का मामला हो या फिर पंचायतों द्वारा कराए जाने वाले कार्यों का मामला वे अपने हिसाब से काम करते हैं़ सरपंच, सचिव के अलावा कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से खफा कार्यकर्ता राज्य के बालाघाट, सिवनी, शिवपुरी, झाबुआ, सागर, दमोह जिलों में दिखाई दिए़ मुख्यमंत्री से संतुष्ट, मगर योजनाओं की जानकारी नहीं महाजनसंपर्क अभियान में जिलो के प्रभारियों के सामने यह बात भी सामने आई कि आम जनता के सामने एक बार फिर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की छवि अच्छी दिखी, मगर उनके द्वारा चलाई गई योजनाओं की जानकारी अब भी ग्रामीण अंचलों में नहीं दिखाई दी़ कई जिलों के ग्रामीणों से जब प्रभारियों ने योजनाओं का नाम लेते हुए यह जानना चाहा कि इस योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं़ इसका जवाब ग्रामीणों द्वारा उन्हें ना में मिला़ विशेषकर अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्रों में तो ऐसे सरकार की कई योजनाओं की जानकारी का अभाव दिखाई दिया़ कुछ जिलों में योजनाओं के क्रियान्वयन न हो पाने की शिकायतें भी मिली़ वहां पर अफसरों को कार्यकर्ता ने निशाने पर रखा़