रविवार, 31 मार्च 2024

कांग्रेस प्रत्याशी ने मांगा चुनाव लड़ने के लिए चंदा

एक नोट, एक वोट अभियान की शुरूआत की पटवारी ने


भोपाल। राजधानी भोपाल में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आज दुकानदारों, रेहड़ी वालों और आम लोगों से चुनाव लड़ने के लिए चंदा मांगा और साथ ही वोट देने की अपील भी की। 

आयकर की ओर से कांग्रेस पार्टी का खाता फ्रीज किए जाने के खिलाफ देशभर में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। ऐसे में कार्यकर्ताओं और नेताओं का प्रदर्शन का दौर जारी हैं। वहीं, इसको बेअसर करने के लिए पार्टी ने नई तरकीब निकाली है। इसके तहत पार्टी एक वोट और एक नोट के नारे के साथ आमजन की बीच जा रही है।  इसी कड़ी में राजधानी भोपाल में कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव के साथ सड़कों पर प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी उतरे। इस दौरान उन्होंने दुकानदारों, रेहड़ी वालों और आम लोगों से एक नोट के साथ एक वोट देने की भी अपील की। इस दौरान भोपाल से लोकसभा प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव ने कहा कि हमारे खातों को फ्रीज कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं है, इसलिए हम जनता से पैसे मांग रहे हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा सरकार ने हमारे खाते फ्रीज़ कर दिए हैं,ऐन मौके पर हमें आयकर के नोटिस दिए जा रहे हैं। मोदी सरकार आर्थिक अराजकता की ओर देश को ले जा रही है। 

कांग्रेस के इस अभियान का सकारात्मक परिणाम भी नजर आया। राजधानी के न्यू मार्केट क्षेत्र से ष्शुरू किए गए इस अभियान के दौरान लोगों ने खुशी स ेचंदा दिया।  कई लोगों ने कांग्रेस को 10 रुपए से 500 रुपयों तक की मदद की है। न्यू मार्केट में सबसे पहले एक महिला ने कांग्रेस के दान पात्र में 500 रुपए का चंदा दिया। 


दिग्विजय सिंह ने शुरू की पदयात्रा, रोज चलेंगे 25 किलोमीटर

पदयात्रा के दौरान मतदाता से करेंगे मुलाकात, वोट देने की करेंगे अपील


भोपाल । पूर्व मुख्यमंत्री और राजगढ़ संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने आज रविवार से अपनी पदयात्रा शुरू कर दी है. दिग्विजय सिंह ने पदयात्रा को ‘वादा निभाओ’ नाम दिया है।  सिंह राजगढ़ संसदीय क्षेत्र में प्रतिदिन 25 किलोमीटर पैदल चलेंगे। रविवार को दिग्विजय सिंह ने मां बगलामुखी की पूजा अर्चना करने के बाद अपनी पदयात्रा शुरू की है। 

राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। सिंह वर्तमान में राज्यसभा सदस्य भी हैं। 33 साल बाद दिग्विजय सिंह अपनी परंपरागत सीट से चुनावी मैदान में है।  सिंह के चुनावी मैदान में उतरने से राजगढ़ संसदीय सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। सिंह ने राजगढ़ संसदीय सीट में लगातार सक्रिय हैं, तो वहीं आज यानी रविवार से उन्होंने पदयात्रा की शुरुआत की है। इस मौके पर उन्होंने मां बगलामुखी की पूजा अर्चना की. जिसके बाद पदयात्रा की शुरुआत की। 

प्रतिदिन चलेंगे 25 किलोमीटर

दिग्विजय सिंह की यह पदयात्रा एक विधानसभा क्षेत्र में करीब 60 किलोमीटर का क्षेत्र कवर करेगी. हालांकि दिग्विजय सिंह आठों विधानसभाओं में औसतन 20 से 25 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे. विधानसभा के बाकी हिस्से में स्थानीय कांग्रेस के नेता पदयात्रा कर जनता को कांग्रेस की रीति नीति से अवगत कराएंगे। 

2017 में की थी 192 दिन नर्मदा परिक्रमा

दिग्विजय सिंह की यह दूसरी पदयात्रा है. इससे पहले उन्होंने 30 सितंबर 2017 को नर्मदा परिक्रम शुरू की थी। इस पदयात्रा के दौरान उन्होंने 110 सीटों को कवर किया था. नर्मदा परिक्रमा 192वें दिन में पूरी की थी। इस यात्रा का सियासी दृष्टिकोण से सकारात्मक परिणाम सामने आया। साल 2018 के विधानसभा में सत्ता से भाजपा हटी और कांग्रेस की सरकार आई। कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। अब एक बार फिर से दिग्विजय सिंह ने आज पदयात्रा की शुरुआत की है. इससे पदयात्रा से कांग्रेस को बहुत उम्मीदें हैं। 

भाजपा के नारे पर कसा तंज

पदयात्रा शुरू करने से पहले दिग्विजय सिंह ने मां बगलामुखी मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद वे मीडिया से चर्चा की।  जब उनसे पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 400 पार का नारा दे रहे हैं। इस सवाल पर दिग्विजय सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि 400 तो कम है, वह तो 543 सीट जीतने की भी बात कह सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तार पर कहा कि यह गलत हो रहा है।


खुद मतदान करें, पास-पड़ोस के मतदाताओं को भी मतदान के लिए करें प्रेरित


भोपाल। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने रविवार को मतदाताओं को जागरूक करने के उद्देश्य से मतदाता जागरूकता वाहन रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर राजन ने अपील की कि खुद मतदान करें और परिवार, पास पड़ोस के मदताताओं से भी मतदान करने को कहें। 

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने आगामी 7 मई को भोपाल लोकसभा सीट के लिए होने वाले मतदान में सभी नागरिकों से बढ़ चढ़कर मतदान करने की अपील की। उन्होंने प्रदेश के सभी मतदाताओं से आग्रह किया है कि खुद मतदान करें और परिवार, पास पड़ोस के नागरिकों को भी मतदान के लिए प्रेरित करें। भोपाल का मतदान प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित मतदाता जागरूकता वाहन रैली का सुबह 7ः30 बजे लालघाटी चौराहे से शुभारंभ हुआ। यह रैली वीआईपी रोड, गौहर महल, जहांगीराबाद होते हुए शौर्य स्मारक, अरेरा हिल्स पहुंची। शौर्य स्मारक पर रैली का समापन हुआ। रैली में शामिल विभिन्न बाइकर्स ग्रुप, क्लब के सदस्यों सहित 2500 से अधिक नागरिकों ने रैली में मतदाता जागरूकता का संदेश दिया।

मतदान केन्द्रों पर हो पेयजल की व्यवस्था

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि सभी मतदान केंद्रों में तेज गर्मी (लू) से बचाव के समुचित व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि मतदान केंद्रों में मतदाताओं के लिए शुद्ध पेयजल और बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियों व बेंच की व्यवस्था भी करें। उन्होंने ने मतदान केंद्रों में मतदाताओं को धूप से बचाने के लिए शेड लगाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा है कि हर मतदान केंद्र में मेडिकल किट भी अवश्य रखें। इस मेडिकल किट में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से चर्चा कर ग्रीष्मकाल में उपयोगी सभी जरूरी दवाइयां उपलब्ध करायें। 


मारपीट मामले में मंत्री के बेटे पर एफआईआर

मंत्री पहुंचे थाने, समर्थकों ने किया हंगामा

भोपाल। प्रदेश सरकार के मंत्री के बेटे पर राजधानी भोपाल के शाहपुरा थाने में शनिवार-रविवार की दरमियानी रात एफआईआर दर्ज हुई है। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर मारपीट करने का आरोप लगाया है। मामला सामने आने के बाद मंत्री ने अपने समर्थकों के साथ थाने पहुँच जोरदार हंगामा किया और थाने में धरने पर बैठ गए। बाद में रविवार को चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। 

पुलिस के मुताबिक राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का बेटा अभिज्ञान पटेल अपने दोस्तों के साथ शाहपुरा इलाके में घूम रहा था। तभी उसकी कार एक टू व्हीलर से टकरा गई, जिसके बाद दोनों पक्षों में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा की मंत्री के बेटे और उसके साथियों ने टू व्हीलर चालक की पिटाई कर दी। टू व्हीलर चालक अपनी जान बचाने एक रेस्टोरेंट में घुस गया। रेस्टोरेंट संचालक और उसकी पत्नी जब बीच बचाव करने आये तो मंत्री पुत्र और उसके साथियों ने रेस्टोरेंट संचालक और उसकी पत्नी के साथ भी मारपीट कर दी। जिसके बाद दोनों पक्ष शाहपुरा थाने पहुँचे। इस बीच रेस्टोरेंट मालिक ने पुलिस को सूचना की। पुलिस ने घटना स्थल पर पहुंचकर मंत्री पुत्र और उसके दोस्तों को पकड़ कर थाने ले आई।

जैसे ही घटना की जानकारी मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल को लगी वह अपने समर्थकों के साथ शाहपुरा थाने आ पहुंचे और जमकर हंगामा किया। इस दौरान पुलिस ने दोनों ही पक्षों के घायलों को मेडिकल के लिए अस्पताल भेज दिया। दूसरी तरफ अपने बेटे को छोड़ने की मांग कर रहे राज्य मंत्री ने थाने में ही डेरा जमा लिया। सूचना मिलते ही पुलिस के आला अधिकारी भी शाहपुरा थाने पहुंच गए और विवाद के बाद रात करीब 1 बजे मंत्री के बेटे अभिज्ञान पटेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। मामले को लेकर चार पुलिसकर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई की गई है। 

पटवारी ने खड़े किए सवाल

घटना के बाद आज रविवार की सुबह घायल दंपति और मीडियाकर्मी को लेकर प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी शाहपुरा थाने पहुंचे। पटवारी ने एसीपी मयंक खंडेलवाल से पूछा? जब होटल संचालक के सिर में सात टांके आए हैं तो धारा 307 (हत्या के प्रयास का मामला) क्यों नहीं दर्ज किया? पुलिस कर्मियों को क्यों सस्पेंड किया गया? इसके जवाब में थाना प्रभारी ने कहा, पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने की हमें जानकारी नहीं है। जांच के बाद धाराएं बढ़ाई जाएंगी।


शनिवार, 30 मार्च 2024

क्षेत्रवार वॉर रूम बनाएगी कांग्रेस, लोकसभा वार प्रभारी किए नियुक्त

छिंदवाड़ा का रूपल बाकलीवाल, अनिकेत त्रिपाठी, बालाघाट का सुशील पालीवाल को बनाया प्रभारी

भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी तेज करते हुए कांग्रेस ने क्षेत्रवार ’वॉर रूम’ बनाने का फैसला किया है। राज्य को आठ जोन में बांटकर लोकसभा वार प्रभारी बनाए गए हैं।


कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि प्रदेश की सभी 29 लोकसभा संसदीय क्षेत्रों में व्यवस्थित चुनाव प्रचार-प्रसार के लिए हर लोकसभा क्षेत्र के लिए वॉर रूम स्थापित करने का निर्णय लिया है। राज्य को आठ जोन में बांटकर लोकसभा स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति की है जो कांग्रेस प्रत्याशी, लोकसभा क्षेत्र, जिला प्रभारी एंव संगठन से जुड़े सभी पदाधिकारियों और कांग्रेस-जनों के बीच परस्पर समन्वय स्थापित कर संगठन की मजबूती के लिए कार्य करेंगे।
प्रदेश कांग्रेस सेंट्रल वॉर रूम के चेयरमेन डॉ. महेन्द्र सिंह चैहान ने बताया कि चंबल जोन के अंतर्गन आने वाले लोकसभा क्षेत्र मुरैना का प्रभारी अनिल परमार को, भिंड का प्रमोद चैधरी, ग्वालियर का सतेन्द्र कुशवाह और गुना का शेखर वशिष्ठ को बनाया गया है। इसी तरह बुंदेलखंड जोन के अंतर्गत लोकसभा क्षेत्र सागर का प्रभारी चक्रेश जैन को, टीकमगढ़ का राजीव जैन, खजुराहो का गणेश राव, दमोह का आशीष पटेल को बनाया गया है।
विंध्य जोन के अंतर्गत आने वाले लोकसभा क्षेत्र सीधी का प्रभारी रजनीश श्रीवास्तव, सतना का संजीव अग्रवाल, शहडोल का राहुल दुबे और मयंक त्रिपाठी को बनाया गया है। महाकौशल जोन के अंतर्गत आने वाले लोकसभा क्षेत्र जबलपुर का प्रभारी प्रशांत मिश्रा, मंडला का मनीष जैन, छिंदवाड़ा का रूपल बाकलीवाल और अनिकेत त्रिपाठी, बालाघाट का सुशील पालीवाल को बनाया गया है।
नर्मदापुरम जोन के अंतर्गत लोकसभा क्षेत्र होशंगाबाद का प्रभारी मोहन झलिया, बैतूल का गगन अग्रवाल को बनाया गया है। भोपाल जोन के अंतर्गत आने वाले लोकसभा क्षेत्र भोपाल के प्रभारी आदित्य सिंह और मुरली कुशवाह, राजगढ़ के राशिद जमील, विदिशा के रामराज दांगी होंगे। मालवा जोन के अंतर्गत आने वाले लोकसभा क्षेत्र इंदौर का प्रभारी किशोर डोंगरे, खण्डवा का अश्वनी चैहान, खरगोन का विवेक शर्मा, देवास का अजय राजौदा और सीताराम पवैया को नियुक्त किया गया है। उज्जैन जोन के अंतर्गत आने वाले लोकसभा क्षेत्र उज्जैन का प्रभारी प्रताप सिंह गुर, मंदसौर का सुरेश भाटी, धार का विजय शर्मा और रतलाम-राकेश झालानी को बनाया गया है।

चुनाव प्रचार तक घर में मैं रहूंगा या तुम रहोगी

रिश्तों पर चुनाव का असर, विधायक पत्नी को पति की धमकी

अनुभा मुंजारे

भोपाल। मध्यप्रदेश की बालाघाट सीट पर बसपा के प्रत्याशी ने अपनी विधायक पत्नी को साफ कह दिया कि चुनाव प्रचार तक घर में या तो मैं रहूंगा या फिर तुम रहोगी। किसी एक को घर छोड़ना पड़ेगा। मामले को लेकर फिलहाल तो दोनों में से किसी ने घर छोड़ने का फैसला नहीं लिया है, मगर जल्द ही यह फैसला होगा कि कौन घर छोड़ेगा।
बालाघाट संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार गर्माता उसके पहले चुनाव का असर पति और कांग्रेस विधायक पत्नी के बीच रिश्तों पर पड़ता नजर आने लगा है। दरअसल हुआ यह कि कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे के पति
कंकर मुंजारे 

कंकर मुंजारे बसपा से प्रत्याशी है। उन्हे यह पसंद नहीं है कि उनकी कांग्रेस विधायक पत्नी और वे एक ही घर में रहकर दो अलग-अलग राजनीति दलों के लिए वोट मांगे। इसके चलते उन्होंने आज अपनी पत्नी अनुभा मुंजारे को धमकी दे डाली। उन्होंने साफ कह दिया कि यह मेरे सिद्धांत के खिलाफ है। चुनाव प्रचार तक या तो तुम घर में रहोगी या फिर मैं घर छोड़ दूंगा। मुंजारे ने यह तो दे दी है, मगर अभी दोनों में से किसी ने भी यह फैसला नहीं किया है कि कौन चुनाव प्रचार तक घर छोड़ेगा।

गौरतलब है कि कंकर मुंजारे खुद कांग्रेस से टिकट की मांग कर रहे थे, इसके लिए उनकी विधायक पत्नी दिल्ली तक पहुंची थी।  बालाघाट के नेताओं के साथ उन्होंने कांग्रेस के वरिश्ठ नेताओं से इसे लेकर चर्चा भी की थी, मगर कंकर को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। इसके चलते वे नाराज होकर बसपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतर गए हैं।
विधानसभा चुनाव में भी हुए थे नाराज
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भी टिकट नहीं मिलने से कंकर मुंजारे नाराज थे। वहीं, कांग्रेस ने उनकी पत्नी अनुभा मुंजारे को टिकट दिया था। उन्होंने अपनी पत्नी को घर में कांग्रेस का झंडा लगाने से माना कर दिया था,  जिसके बाद पत्नी ने घर में कांग्रेस का झंडा नहीं लगाया था। अनुभा मुंजारे ने दूसरे स्थान पर अपना कार्यालय खोला और चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत की थी।

एक वोट एक नोट अभियान चलाएगी कांग्रेस, एकत्रित करेगी चंदा


भोपाल। कांग्रेस के अकाउंट फ्रीज होने के कारण अब प्रदेश कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए एक वोट एक नोट अभियान चलाने का फैसला किया है। इस अभियान की शुरूआत राजधानी भोपाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी करेंगे। वे राजधानी के न्यू मार्केट में व्यापारियों से एक वोट और एक नोट मांगेंगे।

कांग्रेस के अकाउंट फ्रीज होने के चलते पार्टी के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है। इसके लिए अब पार्टी ने चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए चंदा एकत्रित करने की योजना तैयार की है। इसके तहत प्रदेशभर में एक नोट एक वोट अभियान चलाया जाएगा। अभियान की शुरुआत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी करेंगे। कांग्रेस नेता संगठन के खाते सीज करने का मुद्दा मतदाता तक ले जाएंगे। कल सुबह 11ः30 न्यू मार्केट में व्यापारियों से एक वोट, एक नोट मांगेंगे। भोपाल के न्यू मार्केट से अभियान शुरू होगा।
लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस को झटके पर झटके लग रहे हैं। एक तरफ पार्टी के बड़े-बड़े नेता हाथ का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आयकर विभाग ने कांग्रेस को 1823 करोड़ रुपए का नोटिस भेजा था जिसके बाद पार्टी ने इसे लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का अकाउंट फ्रीज करने और 1823 करोड़ का नोटिस भेजने को लेकर प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस इसे बड़ा मुद्दा बनाकर घर-घर जाने की तैयारी में है और इस बार का चुनाव लड़ने के लिए पार्टी लोगों से चंदा एकत्रित करेगी।
 

अजजा की आरक्षित सीटें बढ़ा रही भाजपा की चिंता

आदिवासी वर्ग को साधने की कवायद


भोपाल। प्रदेश में मालवा और महाकौशल में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटें भाजपा के लिए अब भी चिंता का कारण बनी हुई है। हालांकि 2019 के चुनाव में भाजपा का इन सीटों पर कब्जा रहा है, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में घटे प्रभाव ने इन सीटों को लेकर भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया है।
लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा रणनीति के तहत सक्रियता दिखा रही है। हर वर्ग को साधने की उसके नेता कवायद कर रहे हैं। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों ने भाजपा की चिंता को बढ़ा दिया है। भाजपा लोकसभा चुनाव के तारीख घोशित होने के पहले से ही इस वर्ग को लेकर चिंतित नजर आई थी। इसके चलते मालवा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक कार्यक्रम भी वह करा चुकी है। मालवा अंचल की रतलाम, धार और खरगौन सीटों पर भाजपा पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं कर पा रही है कि इन सीटों पर उसका जादू अन्य सीटों की तरह चल पाएगा। यही वजह है कि उसके नेता लगातर इन सीटों पर फोकस कर बड़े कार्यक्रम करते नजर आ रहे हैं। मालवा के अलावा महाकौशल में मंडला सीट को भी भाजपा कमजोर आंक रही है। इस सीट पर विधानसभा चुनाव हारे फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है, मगर उनकी स्थिति को लेकर संगठन अभी पूरी तरह से मजबूत नहीं मान रहा है। वैसे इस सीट पर अन्य छोटे दलों खासकर आदिवासी वर्ग का नेतृत्व करने वाले दलों के उम्मीदवार खड़े होने से भाजपा इसे वोट विभाजन के तहत अपने फायदे में देख रही है।
 आदिवासी वर्ग के बीच भाजपा चाहकर भी पैठ बनाने में सफल नजर नहीं आई है। मालवा-निमाड़ अंचल उसकी चिंता का बढ़ा कारण है। विधानसभा के 2023 के चुनाव में इस अंचल की आदिवासी वर्ग की आरक्षित 22 सीटों में से 11 सीटों पर कांग्रेस अपना कब्जा जमा चुकी है। भाजपा चाहकर भी कांग्रेस को इस अंचल में आदिवासी वर्ग की आरक्षित सीटों पर कमजोर नहीं कर पाई है। इसके पीछे जय आदिवासी युवा संगठन कांग्रेस के साथ होना है। इस संगठन ने कांग्रेस को मजबूती दी है। इसके अलावा छिंदवाड़ा, गुना, सतना, सीधी और बालाघाट संसदीय सीटों की कुछ विधानसभा सीटों पर भी आदिवासी मतदाता का खासा प्रभाव है, जो कांग्रेस के पक्ष में नजर आया है।
संघ के सर्वे में भी कमजोर है ये सीटें
सूत्रों की माने तो संघ की बढ़ी सक्रियता का एक कारण यह भी है कि संघ के अपने सर्वे में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित इन सीटों को संघ ने कमजोर आंका है। खासकर रतलाम-झाबुआ, मंडला और धार सीटें संघ के सर्वे में कमजोर मानी गई है। इसके बाद इन सीटों पर फोकस कर संघ ने मैदानी सक्रियता को बढ़ाया है।
 

शुक्रवार, 29 मार्च 2024

भिंड में प्रत्याशियों की कमजोरी दलों की बढ़ा रही मुसीबत

बरैया के लिए उनके बयान और संध्या की निष्क्रियता राह में खड़ी कर रही परेशानी

भोपाल। चंबल अंचल की भिंड संसदीय सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रत्याशियों  की मुसीबत बढ़ने लगी है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही दोनों प्रत्याशियों ने मैदानी सक्रियता तो बढ़ा दी, मगर दोनों के सामने परेशानी भी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया अपने बयानों को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी संध्या राय को क्षेत्र में उनकी पांच साल तक रही निष्क्रियता मुसीबत खड़ी कर रही है। 

भिंड संसदीय सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने प्रत्याशी


चयन कर मैदानी सक्रियता बढ़ा दी है। कभी बसपा नेता के रूप में पहचाने जाने वाले कांग्रेस विधायक फूलसिंह बरैया को इस बार कांग्रेस ने भिंड से मैदान में उतारा है। उनके नाम की घोषणा के साथ ही पिछला चुनाव लड़ चुके देवाषीश  जरारिया की नाराजगी सामने आई थी। वे यहां से दावेदारी कर रहे थे। पिछला लोकसभा चुनाव हारने के बाद से उनकी सक्रियता यहां नजर आई थी। मगर कांग्रेस ने भांडेर से विधायक रहे फूलसिंह बरैया पर भरोसा जताया। बरैया की वैसे इस अंचल के दलित मतदाताओं में खासी पैठ है। इसके चलते उन्हें कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। वैसे भी यह सीट इस वर्ग के लिए आरक्षित सीट हैं। 

वहीं भाजपा एक बार फिर मोदी लहर के चलते जीत के विष्वास के साथ मैदान में हैं। भाजपा ने इस अंचल के दूसरे सभी दावेदारों को दरकिनार कर सांसद संध्या राय पर ही भरोसा जताया और उन्हें फिर से उम्मीदवार घोषित कर टिकट दिया। इसके बाद दावेदार तो खुलकर विरोध करते नजर नहीं आए, मगर क्षेत्र में उनका खासा विरोध होने लगा है। वे जहां पहुंच रही है, लोग उनके पिछले पांच साल की निष्क्रियता को लेकर सवाल उठा रहे हैं। इस बात तो मतदाता खुलकर उनसे सवाल कर रहे हैं कि उन्हें पांच साल में किया क्या है।  प्रत्याशी घोषित होने के बाद उनका लोगों से बात करते हुए एक वीडियो वायरल हो चुका है। इसमें लोग उन पर निष्क्रियता और क्षेत्र के लिए कुछ न करने का आरोप लगा रहे हैं। प्रत्याशी की यह स्थिति चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचा सकती है। फिलहाल दोनों ही दलों के प्रत्याषियों के सामने अपनी-अपनी कमजोरियां की इस सीट पर मुसीबत खड़ी कर रही है। बरैया के लिए उनके द्वारा सवर्ण वर्ग को केन्द्रीय बयान परेषानी में डालते नजर आ रहे हैं, तो संध्या के लिए उनकी क्षेत्र में निश्क्रियता परेषानी का कारण बनती जा रही है। 

बसपा बिगाड़ती है खेल 

2008 में हुए परिसीमन के बाद भिंड संसदीय सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। उसके पहले इस सीट पर कांग्रेस और बसपा प्रत्याषी सांसद निर्वाचित होते रहे हैं। 1971 के चुनाव में इस सीट पर विजयाराजे सिंधिया ने चुनाव जीता था। 2008 के पहले यह सीट सामान्य वर्ग के लिए थी। मगर परिसीमन के बाद यह एससी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। इस सीट पर बसपा का प्रत्याशी अब तक चुनाव तो नहीं जीता है, मगर भाजपा और कांग्रेस के परिणामों को प्रभावित जरूर करता है। पिछले दो चुनावों में इस सीट पर बसपा को 6.93 और 4.63 फीसदी वोट हासिल हुए थे। जिसके चलते कांग्रेस के लिए यहां मुसीबत खड़ी हो गई थी। 


गुरुवार, 28 मार्च 2024

पूर्व सांसद, दो पूर्व विधायक शामिल हुए भाजपा

भोपाल। लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं का जारी दलबदल थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस को एक के बाद झटके पर झटका लग रहा है। आज फिर एक पूर्व सांसद सहित दो पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए है।

भाजपा में शामिल होने वाले में जबलपुर की पाटन विधान सभा से पूर्व कांग्रेस विधायक नीलेश अवस्थी, खरगापुर सीट से विधायक रहे अजय यादव, भिंड से सांसद रहे रामलखन शामिल है। सभी नेताओं को मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पार्टी की सदस्यता दिलाई है। रामलखन सिंह को बसपा ने स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया था। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि ज्वाइनिंग का एक ही आधार है भारत में प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास। पक्ष और विपक्ष हर जगह प्रधानमंत्री मोदी के सबका साथ सबका विकास पर विश्वास है। आने वाले चुनाव में सब मिलकर 29 की 29 सीटों पर कमल के फूल खिलने का संकल्प पूरा करेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि जब से नरोत्तम मिश्रा के पास यह काम आया है तब से अब कोई अंचल बाकी नहीं है जहां जो भाजपा ज्वाइन करने से वंचित हो। आप सब जहां भी होंगे पार्टी वहां आपका उपयोग करेगी। हम सबको आज से ही काम संभालना है और सभी प्रत्याशियों को जिताएंगे।
विश्नोई ने कहा स्वागत करना हमारी मजबूरी
पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी के भाजपा में ष्शामिल होने को लेकर भाजपा विधायक अजय विश्नोई ने सोशल मीडिया पर कहा है कि पाटन के पूर्व विधायक भाई नीलेश अवस्थी का भाजपा में स्वागत हैं। भाजपा में शामिल होने वालों का स्वागत करना हमारी मजबूरी है। आप सबका यह जानना भी जरूरी हैं कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए भाई नीलेश अवस्थी के कांग्रेस और भाजपा के बारे क्या विचार हैं।  विश्नोई ने आगे लिखा कि एक ऑडियो भेज रहा हूं। 6 मिनिट के इस आडियो में नीलेश कांग्रेस के कमलनाथ से लेकर अन्य नेताओं को सुशोभित कर रहे हैं और बता रहे हैं कि वे कांग्रेस क्यों छोड़ रहे है।

संघ भी हुआ सक्रिय, आधा दर्जन सीटों पर किया फोकस

छिंदवाड़ा, राजगढ़ और रतलाम-झाबुआ में बढ़ने लगी सक्रियता


भोपाल। लोकसभा चुनाव की तेज होती सरगर्मी के बीच संघ के स्वयसेवक भी भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए मैदान में सक्रिय हुए हैं। करीब आधा दर्जन सीटों पर इनकी सक्रियता बढ़ी है। भाजपा के लिए जो सीटें मुश्किल मानी जा रही है, उन सीटों पर संघ ने फोकस किया है। इनमें कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा और दिग्विजय सिंह का गढ़ मानी जाने वाली राजगढ़ लोकसभा सीटें भी ष्शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत को बड़े मार्जिन से पाने के लिए भाजपा पूरी तरह से मैदान में नजर आ रही है। अब उसका साथ देने के लिए संघ ने भी प्रदेश की करीब आधा दर्जन सीटों पर अपनी सक्रियता को बढ़ाया है। फिलहाल संघ के स्वयं सेवकों का फोकस पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ बनी छिंदवाड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का गढ़ मानी जाने वाली राजगढ़ सीट पर है। इसके अलावा रतलाम-झाबुआ, देवास, सीधी, जबलपुर, मंदसौर और सतना सीटों पर भी संघ ने सक्रियता को बढ़ाया है। संघ के स्वयंसेवक इन लोकसभा क्षेत्रों में टोली बैठकें कर भाजपा के विजयी अभियान को तेज करने में जुटे हैं। वे मतदाता के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की योजनाओं के अलावा राम मंदिर निर्माण के बारे में चर्चा कर रहे हैं। वहीं रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में संघ के साथ-साथ वनवासी कल्याण परिषद की भी सक्रियता है। यहां पर कांग्रेस के पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया मैदान में हैं। आदिवासी मतदाता बहुल इस सीट पर जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) का प्रभाव है, लेकिन संगठन के नेता दो गुटों में बंटे हुए हैं। इसके चलते वनवासी कल्याण परिषद के कार्यकर्ता दोनों ही संगठनों को साधते हुए भाजपा की जीत तय करने का काम कर  रहे हैं। वे समझाइश दे रहे हैं कि मोदी सरकार ने आदिवासी वर्ग के लिए कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की और अब तक आदिवासियों के हित में क्या कदम उठाए हैं।
राजगढ़ में बड़े अभियान की योजना
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के निशाने पर हमेशा ही संघ रहा है। इसके चलते संघ राजगढ़ में एक बड़े अभियान के तहत काम करने की योजना के साथ मैदान में उतरा है। सूत्रों की माने तो संघ के स्वयं सेवक आम मतदाता से संपर्क कर हिन्दुत्व के मुद्दे को मजबूती से रखते हुए यह बताने का प्रयास करेंगे कि सिंह ने हमेशा ही हिन्दुत्व के खिलाफ आवाज उठाई है। संघ दिग्विजय सिंह को उन्हें के गढ़ राजगढ़ में हराने के लिए इलाके में बड़ा अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है।  

सात हजार से ज्यादा स्कूलों में पदस्थ है एक शिक्षक

कांग्रेस अध्यक्ष पटवारी ने उठाए सवाल, कहा गंभीर नहीं सरकार

भोपाल। प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार से सवाल पूछे हैं। पटवारी ने  आंकड़े जारी करते हुए बताया कि प्रदेश के 7793 स्कूलों में सिर्फ एक ही शिक्षक है। इतना ही नहीं दो हजार से ज्यादा स्कूल तो ऐसे हैं, जहां शिक्षक ही नहीं हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का आरोप है प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।
पटवारी ने कहा कि प्रदेश के 47 जिलों के 7 हजार 793 स्कूल सिर्फ एक टीचर के भरोसे चल रहे हैं। विंध्य क्षेत्र में 1747 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है और 554 स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं है। कांग्रेस ने प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार को निशाने पर लिया है। पटवारी ने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार यह बताएगी कि प्रदेश के स्कूलों की इस स्थिति में कितना सुधार हुआ है? सरकार झूठे आंकड़ों के जरिए सच्चाई छुपाने वाली सरकार शिक्षा को लेकर अपने सरोकार साफ करे। पटवारी ने राज्य शिक्षा पोर्टल 2.0 के आंकड़ों के आधार पर कहा कि ’प्रदेश के 2621 स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं है. 47 जिलों में 7793 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। विंध्य क्षेत्र में 1747 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे है, जबकि 554 स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं है. यही स्थिति चंबल इलाके की भी है। चंबल अंचल में 1246 स्कूल में सिर्फ 1 टीचर है और 558 स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है।
महाकौशल में 140 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे
महाकौशल क्षेत्र में 710 स्कूलों में एक शिक्षक है और 140 स्कूल सिर्फ एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। मध्य भारत के 1147 स्कूलों में एक शिक्षक है और 363 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में 1512 स्कूलों में एक शिक्षक है और 471 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं है। बुंदेलखंड क्षेत्र में 1431 स्कूलों में एक शिक्षक ही है और 537 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है।
शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं सरकार
पटवारी ने सवाल किया कि प्रदेश सरकार बताए कि इस स्थिति में अब कितना सुधार हुआ है।  यदि कुछ शिक्षकों की भर्ती हुई है, तो उस अनुपात में बच्चे भी बढ़ गए हैं। वर्तमान में शिक्षक और विद्याथ्रियों की उपस्थिति का अनुपात कितना है। उन्होंने आरोप लगाया कि सच्चाई यह है कि प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर बिलकुल भी गंभीर नहीं है। यही कारण है कि स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों  की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

बुधवार, 27 मार्च 2024

महाकौशल में जमीन तलाश रही भारत आदिवासी पार्टी

रतलाम के बाद मंडला में उतारा प्रत्याशी

भोपाल। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रभाव वाले अंचल म
हाकौशल में अब भारत आदिवासी पार्टी (बाप) ने पैर पसारे हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में मालवा अंचल में एक विधायक को जीत दिलाने के बाद पार्टी का फोकस अब महाकौशल अंचल पर हुआ है। पार्टी ने मंडला संसदीय सीट पर अपना प्रत्याशी मैदान में उतारकर गोंगपा के कम होते प्रभाव में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है।

महाकौशल अंचल के तीन संसदीय क्षेत्रों मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में आदिवासी मतदाताओं की संख्या खासा है। आदिवासी मतदाता यहां जीत-हार के परिणाम को खासा प्रभावित करते रहे हैं। इस अंचल के आदिवासी मतदाता के बीच कभी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का खासा प्रभार रहा। मगर अब पिछले एक दशक से पार्टी का जनाधार दरक रहा है। जिसे देखते हुए इस बार लोकसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी (बाप) ने अंचल में अपनी जमीन तलाशना ष्शुरू कर दी है। पार्टी ने पहली बार इस अंचल में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशी मैदान में उतारा है। भारत आदिवासी पार्टी ने मंडला में अपना प्रत्याशी मैदान में उतारकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सामने भी संकट खड़ा कर दिया है। भारत आदिवासी पार्टी ने मंडला में चरण सिंह धुर्वे को प्रत्याशी बनाया है। धुर्वे ने अपना नामांकन भर दिया है। धुर्वे के मैदान में उतरने से भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं। भाजपा ने यहां पूर्व केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और कांग्रेस ने विधायक ओमकार सिंह मरकाम को मैदान में उतारा है। दोनों ही प्रत्याशियों के सामने अब आदिवासी मतदाता को साधने की चिंता बढ गई है।
विधानसभा चुनाव में एक सीट पर मिली थी जीत
विधानसभा 2023 के चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी को मालवा के सैलाना विधानसभा सीट पर प्रदेश में पहली जीत हासिल हुई थी। इस सीट पर उसके प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार ने जीत हासिल की है। इस जीत के बाद पार्टी ने प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने का लक्ष्य तय किया है। महाकौशल अंचल में एक दशक में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रभाव जिस तरह से कम हुआ है, उसका फायदा अब भारत आदिवासी पार्टी उठाना चाहती है।
आधा दर्जन सीटों पर उतारेंगे प्रत्याशी
भारत आदिवासी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने बताया कि फिलहाल मध्यप्रदेश में दो स्थानों रतलाम-झाबुआ और मंडला में अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। हमारे लक्ष्य इस लोकसभा चुनाव में आदिवासी प्रभाव वाले क्षेत्रों में प्रत्याशी मैदान में उतारने का है। हम कम से कम छह से सात सीटों पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। इनमें मालवा के अलावा महाकौशल और विंध्य अंचल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आदिवासी वर्ग के मतदाताओं के बीच हम अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं, जिसके चलते मालवा के बाद अब हमारा फोकस महाकौशल अंचल पर है।

कोरबा से गोंगपा ने चुनाव मैदान में उतारा श्याम मरकाम को


छत्तीसगढ़ में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इस बार लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला लिया है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट में से 10 के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। पार्टी पदाधिकारियों ने उम्मीदवारों के ऐलान को लेकर जानकारी दी। पार्टी ने कोरबा से पार्टी के राष्टीय महामंत्री  श्याम  मरकाम को मैदान में उतारने का फैसला किया है। 

छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 7 मई को लोकसभा के लिए मतदान होगा. वहीं, मतगणना चार जून को होगी। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीट में से दस के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. अन्य एक सीट के लिए जल्द ही उम्मीदवार के नाम की घोषणा की जाएगी।  जारी सूची के अनुसार सरगुजा (एसटी) सीट से डॉ. एलएस उदय, रायगढ़ (एसटी) से मदन गोंड, जांजगीर-चांपा (अनुसूचित जाति आरक्षित) से मनहरण लाल भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया है। 

कोरबा से पार्टी के राष्टीय महामंत्री श्याम सिंह मरकाम, बिलासपुर से नंदकिशोर राज, राजनांदगांव से नरेश कुमार मोटघरे, दुर्ग से मनहरण सिंह ठाकुर, रायपुर से लालबहादुर यादव, महासमुंद से मोहम्मद फरीद कुरेशी और बस्तर (एसटी) से टीकम नागवंशी को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला किया है. मरकाम ने बताया कि कांकेर लोकसभा सीट के लिए जल्द ही उम्मीदवार की घोषणा की जाएगी। 

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी  ने पिछले साल छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में लड़ा था और राज्य गठन के बाद पहली बार एक सीट पाली तानाखार पर पार्टी को कामयाबी मिली थी। विधानसभा चुनाव में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा को कोई सीट नहीं मिली थी। दोनों दलों ने लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन की घोषणा नहीं किया  है। राज्य में बसपा दो लोकसभा सीट जांजगीर-चांपा और बस्तर के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। 


कांग्रेस प्रत्याशी बनाती उसके पहले भाजपा के लिए सदस्यता

भोपाल। प्रदेश में दल बदल के चलते बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ले ली है। इसमें वे नेता भी हैं, जिन्हें कांग्रेस लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारना चाह रही थी। चुनाव मैदान में कांग्रेस उतारती इसके पहले ये नेता भाजपा में शामिल हो गए। 

भाजपा ने नई ज्वाइनिंग टोली के जरिए कांग्रेस नेताओं को भाजपा की सदस्यता दिलाने का जो अभियान चलाया, इससे कांग्रेस में हलचल मच गई। बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भाजपा में ष्शामिल हो गए। इनमें केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, संजय ष्शुक्ला, अरूणोदय चौबे, पूर्व विधायक ष्शशांक भार्गव भी हैं, जो भाजपा में ष्शामिल हुए हैं। इन नेताओं को कांग्रेस इस बार लोकसभा चुनाव में मैदान में उतारना चाह रही थी। इन नेताओं को उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया के चलते कांग्रेस के दिल्ली में बैठे नेताओं ने संकेत भी दिए थे। इनमें सुरेश पचौरी को नर्मदापुरम और भोपाल में से किसी एक स्थान पर मैदान में उतारने की बात सामने आ रही थी। वहीं संजय ष्शुक्ला को इंदौर से कांग्रेस चुनाव लड़ाना चाहती थी। इसी तरह से अरूणोदय चौबे का नाम सागर और शशांक भार्गव का विदिशा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार के रूप मैदान में उतरना तय माना जा रहा था। मगर कांग्रेस इनके नाम की घोशणा करती इसके पहले एक-एक कर ये नेता भाजपा के पाले में चले गए। पचौरी के साथ संजय ष्शुक्ला पहले ही भाजपा की सदस्यता ले चुके थी। वहीं अरूणोदय चौबे ने भी इस मामले में देरी नहीं की। अब ष्शशांक भार्गव भी भाजपा के हो गए हैं। इन नेताओं के भाजपा में जाने से कांग्रेस के समीकरण बिगड़ गए। हालांकि कांग्रेस ने बाद में उनके स्थान पर प्रत्याशी चयन तो किया, मग रवह मजबूत प्रत्याशी नहीं तलाश पाई। 


भाजपा के स्टार प्रचारक तय, उमा भारती का नाम नहीं


भोपाल। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश के चालीस स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। इस सूची में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए सुरेश पचौरी का नाम भी ष्शामिल है, जबकि प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम सूची से गायब है। चालीस स्टार प्रचारकों की सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का नाम भी सूची में ष्शामिल है। 

भाजपा द्वारा लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश में चालीस स्टार प्रचारकों की सूची जारी की गई है। सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी  का नाम भी सूची में शामिल है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती को जगह नहीं मिली है। प्रदेश के भी कई नेताओं के नाम इस सूची में शामिल है। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, भाजपा के  प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र पटेल का नाम शामिल हैं। इनके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र कुमार खटीक, फग्गन सिंह कुलस्ते, हितानंद, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, जयभान सिंह पवैया, राकेश सिंह, लाल सिंह आर्य, नारायण कुशवाह, तुलसी सिलावट, निर्मला भूरिया, एदल सिंह कंसाना, गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, कविता पाटीदार, गौरीशंकर बिसेन और हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सुरेश पचौरी की भी जगह दी गई है। 

भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी बने स्टार प्रचारक

वहीं भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री को भी स्टार प्रचारक की सूची में शामिल किया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिश्वा शर्मा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम भी शामिल हैं।


मतदाता के बीच कमजोर पकड़, कैसे देंगे भाजपा को टक्कर

आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की मतदाता के बीच पहचान का संकट


भोपाल। मध्यप्रदेश में जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार तो खड़े कर दिए, मगर इन प्रत्याशियों के सामने अब मतदाता के बीच उनकी पहचान का संकट भी खड़ा होता नजर आ रहा है। इसके चलते इन उम्मीदवारों को खासा मशक्कत भी करनी पड़ रही है। हालांकि कांग्रेस नेता इन्हें मजबूत उम्मीदवार बता रहे हैं। 

प्रदेश में कांग्रेस ने 22 लोकसभा सीटों के लिए प्रत्याशियां का चयन कर लिया है। इसके अलावा छह स्थानों पर उसे प्रत्याशी चयन और करना है। संभावतः ष्शेश प्रत्याशियों के नामों की घोशणा कांग्रेस 27 मार्च को कर सकती है। अब तक घोशित किए 22 प्रत्याशियों में कुछ को छोड़ दिया जाए तो कई स्थानों पर कमजोर प्रत्याशी नजर आते हैं। वहीं आधा दर्जन सीटों पर तो ऐसे उम्मीदवार भी मैदान उतारे गए हैं, जिनकी मतदाता के बीच अपनी पहचान ही नजर नहीं आती है। हालांकि संगठन स्तर पर जरूर ये प्रत्याशी सक्रिय रहें हैं, मगर मतदाता के बीच सीधी पकड़ इनकी ना होना कांग्रेस के लिए संकट खड़ा कर सकती है। इनमें भोपाल, इंदौर, बालाघाट, सागर, देवास, खरगोन, टीकमगढ़ और धार सीट के प्रत्याशी है। इन प्रत्याशियों को फिलहाल कमजोर आंका जा रहा है। इसके पीछे मूल कारण इनकी मतदाता के बीच सीधी पहचान ना होना है। हालांकि कांग्रेस पदाधिकारी और खुद प्रत्याशी इस बात का दावा कर रहे हैं कि उनकी मतदाता के बीच खासा पैठ है और ये प्रत्याशी भाजपा को कड़ी टक्कर देते नजर आएंगे। 

कुछ को विधानसभा चुनाव में मिली थी निराशा

इन प्रत्याशियें में से कुछ ने विधानसभा के 2023 के चुनाव में भी टिकट के लिए दावेदारी की थी, मगर इन्हें तब निराशा ही हाथ लगी थी। मगर इस बार मामला दूसरा था, जिसके चलते ये टिकट पाने में सफल रहे। कांग्रेस के कई नेता चुनाव मैदान में उतरने से दूरी बना रहे थे, इसके चलते भी कुछ स्थानों पर इन दावेदारों को टिकट मिला है। हालांकि पार्टी के सर्वे में भी इन प्रत्याशियों का नाम नहीं आया था। इसके अलावा उन्हें टिकट न देने के और भी राजनीतिक कारण थे। लेकिन अब पार्टी ने उन पर ही दाव खेला है। 

इन सीटों पर पहचान का आएगा संकट 
राजधानी भोपाल में कांग्रेस ने अरूण श्रीवास्तव को प्रत्याशी बनाया है। वे संगठन स्तर पर जरूर सक्रिय रहे। ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष भी है, मगर भोपाल संसदीय क्षेत्र में उनकी पहचान कम ही है। शहर के अलावा सीहोर और अन्य विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव नजर नहीं आता है। इसी तरह इंदौर के अक्षय कांति बम को मैदान में उतारा है। इनके सामने भी पहचान का संकट है। उनकी सक्रियता आम मतदाता तक नहीं रही है। इसी तरह बालाघाट से प्रत्याशी बनाए गए अशोक सरस्वार की भी मैदानी पकड़ कमजोर है। सरस्वार बालाघाट जिला पंचायत के सदस्य हैं। उनके पिता विधायक थे। बालाघाट के ग्रामीण इलाकों में उनकी कुछ लोकप्रियता है, लेकिन शहरी मतदाता उनसे कम ही परिचित हैं। वहीं सागर से प्रत्याशी बनाए गए गुड्डू राजा बुंदेला मध्यप्रदेश के मूल निवासी ही नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के निवासी बुंदेला खुरई विधानसभा क्षेत्र से टिकट चाहते थे। बुंदेला को विधानसभा चुनाव का टिकट देने के बजाय लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा गया है। धार से राजेन्द्र मुवेल को प्रत्याशी बनाया गया है। उनके सामने भी कुछ इसी तरह का संकट है। जबकि टीकमगढ़ के पंकज अहिरवार ने भी विधानसभा दावेदारी की थी, मगर सर्वे में नाम ना होने से उन्हें टिकट नहीं दिया था, उनकी स्थिति कमजोर आंकी गई थी। खरगोन में पार्टी ने पोरलाल खरते को उम्मीदवार बनाया है। सरकारी नौकरी छोड़कर खरते अब राजनीति में हाथ आजमा रहे हैं। मगर उनके लिए भी संसदीय क्षेत्र में पहचान का संकट है। 

रविवार, 24 मार्च 2024

संघर्ष ही करते नजर आए छोटे दल और निर्दलीय

लोकसभा चुनाव में लगातार गिरता जा रहा ग्राफ


भोपाल। लोकसभा चुनाव में राज्य के छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार अब तक अपने वजूद के लिए संघर्श ही करते नजर आए हैं। बसपा को छोड़ दिया जाए तो सभी छोटे दलों का अभी तक प्रदेश में खाता भी नहीं खुला है। हर चुनाव में जीत का दावा करने वाले इन दलों के प्रत्याशी चुनाव दर चुनाव अपना मत प्रतिशत भी गिराया है।
प्रदेश की 29 सीटों के लिए एक बार फिर चुनावी चौसर बिछ गई है। भाजपा ने सभी 29 स्थानों पर प्रत्याशी मैदान में उतारकर सक्रियता बढ़ा दी है। वहीं कांग्रेस अब भी पूरे प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार पाई है। कांग्रेस ने अब तक 22 स्थानों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं, जबकि एक सीट पर गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी को प्रत्याशी मैदान में उतारना है। बसपा भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर चुकी है, मगर प्रत्याशी चयन को लेकर वह भी जद्दोजहद ही कर रही है। एक सूची जारी कर बसपा ने अभी तक सात सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।
प्रदेश में हर लोकसभा चुनाव में छोटे दलों के अलावा निर्दलीय भी बड़ी संख्या में मैदान में उतरते रहे हैं, मगर अब तक इन दलों और निर्दलीय का कोई खास प्रभाव नजर नहीं आया है। ये दल जीत के लिए संघर्श की करते नजर आए हैं। सिर्फ बसपा ही अब तक प्रदेश में चार मर्तबा अपने उम्मीदवार जीता चुकी है, जबकि सपा और अन्य दलों को अब तक जीत नहीं मिली है। वहीं निर्दलीय भी अपना प्रभाव नहीं दिखा पाए हैं। प्रदेश में बसपा, सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का मत प्रतिशत भी लगातार गिरा है। वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों की बात करें तो उनका प्रतिशत भी कोई खास नजर नहीं आया है। साफ है छोटी पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए मध्यप्रदेश में अपनी जगह बनाना आसान नहीं है।
कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी करने में रहते हैं 
छोटे दलों और निर्दलीय प्रत्याशियों के कारण भाजपा को जितना नुकसान नहीं होता, उससे ज्यादा नुकसान इन दलों के प्रत्याशी कांग्रेस को पहुंचाते रहे हैं। खासकर विंध्य, बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल अंचल में इन दलों के कारण कांग्रेस को जूझना पड़ा है। वहीं महाकौशल और मालवा के आदिवासी बहुल संसदीय क्षेत्रों में आदिवासी वर्ग का नेतृत्व करने वाले दल कांग्रेस के लिए मुसीबत बनते रहे हैं।
लोस चुनाव      मत प्रतिशत
1996                 17.57
1998                   3.35
1999                    2.54
2004                    6.29
2009                     6.7
2014                    4.22
2019                     4.31

भाजपा नेताओं की कम होगी हवाई यात्राएं

भोपाल। लोकसभा चुनाव में भाजपा इस बार प्रचार अभियान में भी बदलाव करती नजर आएगी। भाजपा नेता इस बार हवाई यात्राओं के बजाय सड़क मार्ग के जरिए सभाएं और रैलियों को संबोधित करने पहुंचेंगे।

प्रदेश की सभी 29 सीटों पर जीत का लक्ष्य तय कर चुकी भाजपा ने इस बार चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सभाओं और रैलियों में पहुंचने वाले नेताओं को भी सड़क मार्ग के जरिए सभा स्थल तक पहुंचने को कहा है। इस तरह की तैयारियां भाजपा ने की है कि किसी एक स्थान पर नेता हवाई यात्रा के जरिए पहुंचें और उसके बाद उस अंचल में जहां-जहां उसे सभा और रैलियों में जाना है,वहां-वहां वह सड़क यात्रा करे। इसके पीछे भाजपा संगठन का मानना है कि हवाई यात्राओं के बजाय सड़क मार्ग से जाने से ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं के बीच नेता पहुंच सकेंगे। इस दौरान बड़ी सभाओं के अलावा छोटे-छोटे गांवों भी ये नेता नुक्कड़ सभाएं ले सकेंगे। संगठन का मानना है कि अगर छोटे गांव में बड़े नेता पहुंचेंगे तो मतदाता के बीच भाजपा सरकार की योजनाओं की जानकारी सही तरह से दे सकेंगे। इसके अलावा मतदाता का फीडबैक भी पता चल जाएगा। संगठन के इस फैसले के तहत मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और अन्य नेता भी हवाई यात्रा को कम करेंगे, बल्कि सड़क मार्ग का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करेंगे। संगठन की तैयारी तो यहां तक है कि बड़े-बड़े नेता की भी गांवों में नुक्कड़ सभाएं कराई जाएगी। केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर बड़े नेताओं को गांवों में भेजकर इस तरह की सभाएं कराने की योजना संगठन ने बनाई है।
दरअसल चुनाव की घोशणा के पहले जब केन्द्रीय मंत्री अमित ष्शाह ग्वालियर दौरे पर आए थे, तभी उन्होंने पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को यह बात कही थी ि कवे अधिक से अधिक दौरे गांव-गांव करें। इसके अलावा चुनाव के दौरान नेता हवाई मार्ग से जाने के बजाय सड़क मार्ग से सभाओं के लिए जाएं। इस दौरान गांवों में पहुंचकर वे नुक्कड़ सभाएं भी करें। ष्शाह के निर्देश के तहत ही भाजपा संगठन ने अब हवाई यात्रा के बजाय सड़क मार्ग से मतदाता के बीच पहुंचने का फैसला किया है।

कांग्रेस के लिए आधा दर्जन सीटों पर प्रत्याशी चयन बना मुसीबत

27 को कर सकती है प्रत्याशियों की सूची जारी


भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए 22 प्रत्याशी तय कर चुकी कांग्रेस के सामने अब 6 स्थानों पर प्रत्याशी चयन मुसीबत बनता नजर आ रहा है। कांग्रेस के लिए विदिशा और गुना में प्रत्याशी चन चुनौती बना है। दोनों ही सीटों पर पार्टी ऐसे प्रत्याशी को तलाश रही है, जो भाजपा के प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती दे सके।
लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने शनिवार की देर रात 12 प्रत्याशियों की सूची जारी की। इसके पहले कांग्रेस 10 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी थी। अब तक कांग्रेस ने प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए 22 प्रत्याशियों का चयन कर सूची जारी की है। एक सीट खजुराहो गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी को दी है। इसलिए कांग्रेस को केवल 28 प्रत्याशी ही घोशित करना है। 22 प्रत्याशियों की सूची जारी करने के बाद अब छह लोकसभा क्षेत्रों विदिशा, गुना, मुरैना, ग्वालियर, खंडवा और दमोह में कांग्रेस को प्रत्याशी तय करने है। इसके लिए जद्दोजहद चल रही है। माना जा रहा है कि इन सीटों पर 27 मार्च को पार्टी प्रत्याशियों की घोशणा कर सकती है।
जानकारी के अनुसार गुना में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ संगठन पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव को उतारना चाह रहा है, मगर यहां स्थानीय का मुद्दा उठने से मामला अटक गया है। अरूण यादव का नाम तय नहीं होने से खंडवा सीट भी अटकी है। अगर गुना से वे चुनाव में नहीं उतरते हैं तो पार्टी उन्हें खंडवा से मैदान में उतार सकती है। इसी तरह विदिशा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ प्रदेश इकाई विधायक देवराज सिंह पटेल को मैदान में उतारना चाह रही थी, मगर दिल्ली के नेता यहां पर पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा को चुनाव मैदान में उतारना चाह रहे हैं। इसी तरह ग्वालियर में कांग्रेस जिला अध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा, पूर्व विधायक प्रवीण पाठक के अलावा पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव को चुनाव लड़ा सकती है, लेकिन सत्यपाल सिकरवार को केन्द्रीय नेतृत्व मैदान में उतारना चाह रहा है। वहीं मुरैना में पंकज उपाध्याय का नाम संगठन की ओर से दिया गया, लेकिन बाद में यहां पर जातिगत समीकरण बैठाते हुए गुर्जर नेता को मैदान में उतारना चाह रही है। वहीं दमोह में सुप्रीम कोर्ट के वकील वरुण ठाकुर की पत्नी जया ठाकुर, पूर्व विधायक तरवर लोधी और राज्यसभा सांसद राजमणि पटेल के अलावा विधायक रामसिया भारती  भी दावेदारी कर रहे हैं। इनमें से एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है।

प्रधानमंत्री को विपक्ष के नेता पसंद नहीं : पटवारी

केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा पर बोला हमला


भोपाल। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आज केन्द्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ईडी ने 95 फीसदी कार्रवाई विपक्ष के नेताओं के खिलाफ की है। इससे साफ है कि प्रधानमंत्री को विपक्ष के नेता पसंद नहीं हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मीडिया से चर्चा करते दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तारी को लेकर कहा कि देश में ईडी ने 121 नेताओं कार्रवाई की है और नोटिस दिए हैं, इसमें से 115 विपक्ष के नेता है,इससे साफ जाहिर है कि प्रधानमंत्री को विपक्ष के नेता पसंद नहीं हैं. इसमें से 70 फीसदी नेता भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए हैं।  पटवारी ने कहा येदियुरप्पा के खिलाफ ईडी की कार्रवाई हुई थी। इस मामले में क्या हुआ आज तक पता नहीं, वह गिरफ्तार नहीं हुए है। लोकायुक्त, सीबीआई ने व्यापमं को लेकर जांच हुई। इन मामलों पर कई लोग मारे गए। इसमें भी पता नहीं क्या हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री दो आंखों से भ्रष्टाचार को देखते हैं। नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है, वो कहते हैं विपक्ष भ्रष्टाचार ना करें. हम पेट भर के खाएं।
बता दें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति प्रकरण में ईडी ने हिरासत में लिया था, इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 28 मार्च तक की रिमांड पर भेज दिया है। उनके घर ईडी पहुंचने के बाद से ही देश भर में विरोध हो रहा है और सियासत गरमाई हुई है। इस मामले में पूरा विपक्ष एक साथ होकर सरकार पर निशाना साध रहा है।
bhopal news
पटवारी ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, 2014 के चुनाव से पहले कहते थे स्विस बैंक में काला धन है, अभी तक स्विस बैंक की लिस्ट नहीं आई। एसबीआई की आई, चंदा बांड के माध्यम से लिया, जिनको काम मिला उन्होंने भी चंदा दिया। चंदे का धंधा भाजपा ने चलाया। भाजपा बड़ी मात्रा में काला धन लेती है। काले धन से भाजपा ने सरकारें गिराईं। भाजपा को प्रदेश की जनता मुंहतोड़ जवाब देगी। 

शनिवार, 23 मार्च 2024

घर-घर पहुंचेंगे भाजपा कार्यकर्ता, मोदी की बोलेंगे राम-राम

होली की बधाई देते हुए लगाएंगे रंग गुलाल


भोपाल। रंगों के पर्व होली पर प्रदेश के सभी बूथों के कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में रहने वाले मतदाताआें के घर पहुंचेंगे और मतदाता को रंग-गुलाल लगाकर होली की बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राम-राम पहुंचाएंगे।
यह जानकारी आज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी ष्शर्मा ने दी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने तय किया है कि प्रदेश के सभी 64 हजार से ज्यादा बूथों के कार्यकर्ता होली के इस पावन पर्व पर मध्य प्रदेश भाजपा के सभी कार्यकर्ता मोदी गुलाल लेकर प्रत्येक बूथ के हर घर तक पहुंचेंगे और ष्प्रधानमंत्री  मोदी  की राम-राम भी पहुंचाएंगे। कार्यकर्ता मतदाता के घर मोदी का गुलाल लेकर पहुंचेंगे। उन्होंने कहा कि बूथ समिति, पन्ना प्रमुख सभी के साथ होली मिलन कार्यक्रम करेंगे। गुलाल के साथ गुजिए भी होंगे। हम सब मोदी का परिवार हैं। महिला कार्यकर्ता महिलाओं से संपर्क करेंगी। होली में शोकाकुल परिवारों से भी मुलाकात करेंगे जो हमारी संस्कृति में है।
दिग्विजय जहां से चुनाव लड़ेंगे, जमानत जब्त होगी
मोदी समेत अन्य बड़े नेताओं के खिलाफ दिग्विजय सिंह के लोकसभा चुनाव लड़ने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि दिग्विजय ऐसे नेता हैं, जहां गए वहां उनकी जमानत जब्त हो गई। वे इस देश के नाकारे नेता हैं। इस बंटाधार को प्रदेश की जनता ने बाहर किया। जब कांग्रेस में कोई नेता चुनाव लड़ने तैयार ही नहीं हो रहा तो ऐसे बयान दिग्विजय दबाव में दे रहे हैं। रही बात कांग्रेस में टिकट की देरी कि तो कांग्रेस के दोहरे चरित्र के कारण ऐसा हो रहा है। कांग्रेस में प्रबुद्ध का स्थान नही है। महात्मा गांधी ने जो कहा था वो अब राहुल गांधी कर रहे हैं।
सॉफ्ट नक्सलिज्म के साथ खड़े होते हैं केजरीवाल
शर्मा ने कहा कि केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया है। केजरीवाल न्यायालय गए और कोर्ट ने भी गिरफ्तारी को सही बता दिया। सब तथ्य के आधार है। देश संविधान के आधार पर चलती है, चेहरा के आधार पर काम नहीं होगा। ईडी ने 10 दिन की रिमांड मांगी थी। देश में ऐसी घटना केजरीवाल जैसे ही कर सकते हैं। 100 करोड़ का यह सामान्य घोटाला नहीं है। अन्ना हजारे ने कहा कि केजरीवाल ने मेरी बात नहीं सुनी। जो सत्य है वह रहेगा। केजरीवाल सॉफ्ट नक्सलिज्म , आतंकवादियों के साथ खड़े होते हैं। ऐसे लोगों का जेल ही स्थान है।

निष्क्रिय कार्यकर्ताओं की जानकारी जुटाने लगा संगठन

लोकसभा सीटों की समीक्षा कर बता रहे चुनावी रणनीति


भोपाल। लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा की ज्वाइनिंग टोली ने बड़ी संख्या में कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं, कार्यकर्ताओं को भाजपा की सदस्यता तो दिला दी, मगर अब संगठन को अपने नेताओं की चिंता सताने लगी है। संगठन इसे लेकर गंभीर हुआ है। संगठन ने हर लोकसभा सीट की समीक्षा करते हुए अपने पुराने नेताओं को फीडबैक लेना ष्शुरू कर दिया है। संगठन निश्क्रिय नेताओं की जानकारी जुटा रहा है, ताकि मतदान के पहले इन्हें मनाकर मैदान में सक्रिय किया जाए।
भाजपा में दल-बदल के तहत दूसरे दलों से आ रहे नेताओं को लेकर खुलकर भाजपा नेताओं की नाराजगी तो नजर नहीं आई है, मगर कई स्थानों पर पुराने कार्यकर्ताओं ने मौन रहकर घर बैठने का काम भी ष्शुरू कर दिया है। इस बात की खबर जब संगठन तक पहुंची तो संगठन ने इसका फीडबैक लेना ष्शुरू किया। सूत्रों के अनुसार जब यह जानकारी सही पाई गई तो संगठन की सक्रियता ज्यादा बढ़ी। इसके चलते अब संगठन ने लोकसभा सीटवार समीक्षा करना ष्शुरू किया है। बताया जा रहा है कि अब तक संगठन छिंदवाड़ा, जबलपुर, मंडला और बालाघाट संसदीय सीटों की समीक्षा कर चुका है। जल्द ही संगठन पदाधिकारी सतना, गुना, खरगोन, भिंड, धार, रतलाम-झाबुआ और ग्वालियर संसदीय सीटों की समीक्षा करने वाला है। समीक्षा के लिए लोकसभा प्रभारी, जिला अध्यक्ष और संयोजक को राजधानी बुलाया जा रहा है। इनसे पूरे क्षेत्र का फीडबैक लिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो समीक्षा के दौरान लाभार्थी संपर्क अभियान, कांग्रेस को तोड़ने की रणनीति, बूथ को कैसे जीतेंगे के अलावा नाराज और निश्क्रिय कार्यकर्ताओं की जानकारी एकत्रित की जा रही है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि नाराज और निश्क्रिय कार्यकर्ता की जानकारी मिलने पर प्रदेश संगठन पदाधिकारियों को अलावा मुख्यमंत्री डा मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा से सीधी चर्चा कराई जाए। साथ ही चुनावी रणनीति भी उन्हें बताई जा रही है।
 

रतलाम-झाबुआ में बाप ने बढ़ाई सक्रियता, कांग्रेस की बढ़ेगी मुसीबत

बालुसिंह गामड़ को घोषित किया प्रत्याशी


भोपाल।  विधानसभा के 2023 के चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी (बाप) ने सैलाना से एक विधायक जीताकर राजनीतिक दलों की चिंता को बढ़ा दिया था। इसके बाद अब लोकसभा चुनाव के लिए एक बार फिर पार्टी ने रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र से बालुसिंह गामड़ को प्रत्याशी बनाया है। बाप के प्रत्याशी के मैदान में होने से भील समुदाय के वोटों का धु्रवीकरण होना तय है, इससे कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।
रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट पर भारत आदिवासी पार्टी (बाप) ने अपना प्रत्याशी घोशित कर दिया है। पार्टी के राश्टीय अध्यक्ष मोहनलाल रोत ने प्रत्याशी बालुसिंह गामड़ के नाम की घोशणा की है। बाप द्वारा प्रत्याशी उतारे जाने से इस सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार है। इस संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति वर्ग के मतदाताओं का खासा प्रभाव है। संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से सात सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित है। इनमें से एक सीट सैलाना पर बाप पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी कमलेश्वर डोडियार को मैदान में उतारा था। डोडियार ने यहां जीत हासिल कर प्रदेश के राजनीतिक दलों को चौंका दिया था। इस चुनाव में सैलाना ही इकलौती ऐसी सीट थी जहां पर अन्य दल का कोई विधायक चुनाव जीता था। बाकि प्रदेश में कहीं भी भाजपा, कांग्रेस के अलावा किसी अन्य दल का प्रत्याशी चुनाव नहीं जीता था।
कांग्रेस को हो सकता है नुकसान
बाप पार्टी के प्रत्याशी के मैदान में उतरने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है। पिछले चुनाव का आंकलन देखा जाए तो जब जब आदिवासी अंचल में तीसरा मोर्चा चुनाव लड़ा है,  उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को ही हुआ है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर लगभग 55 फीसदी भील, 25 फीसदी भिलाला, 10-12 फीसदी पटेलिया और शेष 20 फीसदी अन्य जाति के मतदाता है। इनें भील, भिलाला और पटेलिया जनजाति के लोगों में बाप पार्टी का खासा प्रभाव है।

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

पद का मोह, लोभ शोभा नहीं देता केजरीवाल को

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा देना चाहिए इस्तीफा


भोपाल।  मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर बड़ा बयान दिया है।यादव ने कहा कि देश का इतिहास है कि जब किसी पर कोई आरोप लगता है तो वो सबसे पहले अपना इस्तीफा देता है। जब तक आरोप से बरी न हो जाए, तब तक वो अपना दायित्व नहीं लेता। मुख्यमंत्री के रूप में जेल जाना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। आज तक कभी ऐसा समय नहीं आया। पद का इतना मोह, लोभ केजरीवाल को शोभा नहीं देता।

मुख्यमंत्री डा यादव ने कहा कि मैं मान कर चलता हूं कि लोकतंत्र में अगर किसी के ऊपर उंगली उठ रही है और उसके ही पार्टी के ही दो-दो मंत्री इसी आरोप में जेल में बंद हैं, जिन्हें लगातार प्रयास करने के बाद भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिली। शराब कांड के मामले में जब केजरीवाल के पास 9-9 बार समन गए वो हाईकोर्ट गए और जब हाईकोर्ट ने रिलीफ नहीं दी, तो ऐसे में स्वतः इस्तीफा देकर पहले अपने ऊपर लगे आरोप को फेस करते और बरी होने के बाद वो अपनी सरकार चलाते।
शास्त्री से लेकर आडवाणी तक ने दिया था इस्तीफा
मुख्यमंत्री  ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक किसी ने अपना दायित्व नहीं लिया। उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का जब एक डायरी में झूठा नाम आया था तो उन्होंने तुरंत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। यहां तक कि सांसद पद से भी इस्तीफा दिया और कोर्ट का सामना किया। उसके बाद ही ये तय हुआ कि लालकृष्ण पार्टी का चुनाव लड़ें। लालकृष्ण चुनाव लड़े और बाद में पदाधिकारी हुए।

देश में चल रहा अघोषित आपातकाल : दिग्विजय सिंह


इलेक्टोरल बांड के नाम पर भाजपा ने किए घोटाले

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज कांग्रेस के खाते सीज किए जाने को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश में अघोषित आपातकाल चल रहा है। कांग्रेस के खातों को सीज कर दिया है। इंलेक्ट्रोरल बांड के नाम पर भाजपा ने बेतहाशा घोटाले किए हैं, इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने कहा कि वह देश के किसी भी कोने से चुनाव लड़ने को तैयार हैं।
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने शानदार ढंग से इलेक्टोरल बांड की जानकारी निकालने के लिए सरकार को बाध्य किया और इसे अवैधानिक पाया। इलेक्टोरल बांड के आंकड़ों के अनुसार 2018 से 2024 के बीच भाजपा को 8252 और कांग्रेस को 1950 करोड़ रुपये मिले, लेकिन भाजपा ने कांग्रेस के खाते फ्रीज करा दिए। सिंह ने कहा केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह हमेशा क्रोनोलॉजी की बात करते हैं, उसी अंदाज में देख लीजिए। भाजपा के खाते में तीन तरह से चंदा आया है। एक चंदा वसूली के माध्यम से आया। जेल जाओ या चंदा दो। ऐसे 14 मामले हैं, जिसमें सीबीआई, आईटी या ईडी की छापामार कार्रवाई के बाद कंपनियों ने बांड खरीदकर बीजेपी को चंदा दिया। दूसरा तरीका है, चंदा दो और धंधा लो। इस तरह से भाजपा ने 4 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट दिए। भाजपा ने 37 बिजनेस हाउसेस को फायदा पहुंचाया। तीसरा तरीका शैल कंपनियों से चंदे का। प्रधानमंत्री मोदी ने गारंटी दी थी कि पूरे देश की शैल कंपनी खत्म कर दी हैं, लेकिन इलेक्टोरल बांड मामले में 29 कंपनियां ऐसी हैं जो शैल कंपनियां हैं. इनकी जितनी संपत्ति नहीं है, उससे ज्यादा इन कंपनियों ने कर्ज ले लिया।
मेरी सक्सेना से बात हुई, वे कहीं नहीं जा रहे
पूर्व मुख्यमंत्री ने चुनाव लड़ने पर कहा कि प्रदेश ही नहीं, देश में कहीं से भी लड़ा दें, सभी जगह के लिए तैयार हूं। कमलनाथ के करीबी नेता दीपक सक्सेना के भाजपा में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरी उनसे बात हुई है, वे कहीं नहीं जा रहे। उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार हुआ है कि दो मौजूदा मुख्यमंत्री को जेल भेजा गया है। हेमंत सोरेन पर भाजपा में आने का दबाव था। उन्होंने जेल जाना पसंद किया। केजरीवाल का कसूर इतना था कि नोटिस के बाद वह नहीं झुके, वे विपक्षी दलों के साथ मिल गए। कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में नेताओं के शामिल होने के मामले में सिंह ने कहा कि यह भय और लालच का मिश्रण है। ऐसे-ऐसे लोग, जिन्हें पार्टी में सब कुछ मिला, वे पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। इसके बाद भी कांग्रेस पूरे जोश के साथ चुनाव लड़ेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा तीन सप्ताह में जवाब

लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला
भोपाल। लोकायुक्त की नियुक्ति के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट प्रदेश सरकार जवाब मांगा है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की याचिका पर सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सप्ताह में सरकार से जवाब मांगा है। सिंगार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मध्यप्रदेश के लोकायुक्त की नियुक्ति में असंवैधानिक प्रक्रिया अपनाई गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की याचिका पर नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता के बीच परामर्श प्रक्रिया के लिए दिशा निर्देश तय करने का निर्णय लिया है।  सिंगार ने सुप्रीम कोर्ट में लोकायुक्त की नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी थी कि वैधानिक रूप से उनसे परामर्श नहीं किया गया था। याचिका में यह भी कहा गया था कि मध्यप्रदेश लोकायुक्त की नियुक्ति कानून के प्रावधानों के खिलाफ गैर-पारदर्शी और मनमाने तरीके से की गई है।
गौरतलब है कि नए लोकायुक्त के रूप में सेवानिवृत्त जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह ने 10 मार्च को राजभवन में एक सादे समारोह में पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की थी। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने मुख्यमंत्री  डा. मोहन यादव की मौजूदगी में उन्हें शपथ दिलाई। सत्येंद्र कुमार सिंह ने जस्टिस नरेश कुमार गुप्ता का स्थान लिया था। गुप्ता का कार्यकाल 17 अक्टूबर 2023 को खत्म हो गया था। सत्येंद्र कुमार सिंह की इस पद पर नियुक्ति को लेकर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने गंभीर सवाल उठाए थे। कांग्रेस ने इस नियुक्ति को तत्काल रद्द करने की मांग की थी।
संविधान बचाने की जंग रहेगी जारी : उमंग
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि भाजपा सरकार को लोकायुक्त की नियुक्ति में संविधानिक रूप से नियुक्ति प्रक्रिया के तहत नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मुझसे विचार विमर्श करना था, जोकि नहीं किया गया। मैंने मध्य प्रदेश राज्य सरकार के इस निर्णय को जो की असंवैधानिक तरीक़े से लिया गया है उसे उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली के समक्ष चुनौती दी थी।  मध्य प्रदेश की जनता के साथ यह समाचार साझा करते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही कि आज मुख्य न्यायाधिपति, उच्चतम न्यायालय की न्यायपीठ द्वारा मेरी याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा गया है। साथियों मैं सदैव आपके हित की आवाज़ उठाता रहूँगा। संविधान को बचाने की यह जंग जारी रहेगी।

दिग्विजय उतरे मैदान में, राजगढ़ में संभाला मोर्चा

कहा मैं लड़ूंगा चुनाव, चुनाव केवल पोलिंग बूथ पर लड़ा जाएगा

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस में दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने की उठ रही मांग के तहत अब तय हो गया कि प्रदेश के दिग्गज नेता चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। इसके तहत पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आज से राजगढ़ में मोर्चा संभाल लिया। वे आज राजगढ़ पहुंचे और चार विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उन्हें यह बताया कि वे चुनाव लड़ रहे हैं। आपको बूथ संभालना है, यह चुनाव मेरा नहीं, बल्कि युवाओं का है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पहले राज्यसभा होने के नाते चुनाव लड़ने से मना कर दिया था, मगर उसके बाद लगातार यह मांग उठती रही कि प्रदेश के दिग्विजय नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, दिग्विजय सिंह के अलावा पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया  और अरूण यादव सहित अन्य वरिश्ठ नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में चुनाव लड़ना चाहिए। काफी मंथन के बाद गुरूवार को दिल्ली में हुई बैठक में यह तय हो गया था कि अब प्रदेश के नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जाए। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को कहा गया ि कवे चुनाव लड़ेंगे। सिंह ने पार्टी नेताओं के आदेश को स्वीकार किया और आज से वे राजगढ़ संसदीय सीट पर सक्रिय हो गए। आज राजधानी में सुबह मीडिया से उन्होंने चर्चा की इसके बाद वे सीधे अपने संसदीय क्षेत्र राजगढ़ पहुंचे हैं। यहां पहुंचकर उन्होंने इस संसदीय क्षेत्र के चार विधानसभा सीटों राजगढ़, खिलचीपुर, सारंगपुर, सुसनेर, चार विधानसभा के कार्यकर्ताओ व पदाधिकारियों से अलग-अलग चर्चा की।  बूथ मैनेजमेंट को लेकर कार्यकर्ताओं को तैयार किया और बूथ की जिम्मेदारी संभालने की बात कही। दिग्विजय सिंह ने कहा कि अभी सूची जारी नहीं हुई पर राजगढ़ से लोकसभा चुनाव मैं ही लडूंगा। यह पार्टी का निर्देश है।
बड़ी सभाएं, रैलियां नहीं करनी है हमें
सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि मैं इस बार चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, मैं चाहता था कि क्षेत्र का कोई युवा मैदान में उतरे। ये चुनाव युवाओं का हैं। हमें अब युवाओं को कमान सौंपनी है। मगर पार्टी का निर्देश हुआ है तो मैं राजगढ़ से चुनाव लड़ूंगा। मगर यह चुनाव युवाओं का होगा। बूथ पर युवा को तैनात होना होगा। ये चुनाव हमारा साधारण तरीके से होगा, बूथ पर होगा। मैं आपको पत्र लिखकर सौंपूंगा। इस पत्र में हमारे मुद्दे होंगे, जिन्हें आपको हर घर में पहुंचाना है। हमें जनसभाएं नहीं करनी है, हमें बड़ी सभाएं और रैली नहीं करनी है। हमें सिर्फ हर मतदाता तक पहुंचकर कांग्रेस के द्वारा किए कामों को बताना है और यह बताना है कि वर्तमान में कौन से मुद्दे है, जिससे देश की जनता परेशान है।
33 साल बाद फिर अपने गढ़ में लड़ेगे चुनाव
राजगढ़ लोकसभा सीट पर दिग्विजय सिंह ने  1991 में आखिरी बार चुनाव लड़ा था और जीते थे। इसके बाद 1993 में वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। ऐसे में करीब 33 साल बाद वह एक बार फिर अपनी पुरानी सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं, दिग्विजय सिंह ने दो बार राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। 2019 का चुनाव उन्होंने भोपाल लोकसभा सीट से लड़ाया गया था, मगर वे चुनाव हार गए थे।
 

लगातार हार के बाद भी बढ़ता जा रहा भाजपा को वोट बैंक

छिंदवाड़ा में 2004 के बाद से लगातार बढ़ रहा मत प्रतिशत

भोपाल। प्रदेश के छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में भले ही कांग्रेस का कब्जा रहा हो, मगर पिछले चार चुनाव से यहां भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। 2004 के लोकसभा चुनाव में 32.45 फीसदी मत भाजपा को मिले थे, जबकि 2019 के चुनाव में यह प्रतिशब बढ़कर 44.05 हो गया था।
मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कब्जा करने के लिए भाजपा ने इस बार फिर कमर कसी है। प्रदेश की सभी सीटों से ज्यादा भाजपा का फोकस इस सीट पर जीत हासिल करने का है। 1952 के बाद से हुए लोकसभा चुनाव के बाद से अब तक यह कांग्रेस का गढ़ रही है। इस सीट पर केवल एक बार 1997 में भाजपा को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद से भाजपा इस सीट पर जीत के लिए जूझती रही है। कई बार इस सीट को जीतने का लक्ष्य रखा, मगर भाजपा को अब तक कामयाबी हासिल नहीं हुई है। धीरे-धीरे यह सीट अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ बन गई। यही वजह है कि 2019 के बाद से भाजपा ने एक बार फिर पूरी ताकत के साथ इस सीट को पाने का लक्ष्य रखा है। 2019 में तो भाजपा इस लक्ष्य को पा नहीं सकी, मगर इस बार एक बार फिर मैदान में दिग्गजों की फौज के साथ भाजपा इस सीट को पाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।
भाजपा को इस सीट पर लगातार हार जरूर मिलती जा रही है, मगर पिछले चार लोकसभा चुनाव का इतिहास यह बताता है कि भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। 2004 के बाद से 2019 के लोकसभा चुनाव तक लगातार भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ा है। 2004 की तुलना में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 11.6 प्रतिशत मत ज्यादा मिले थे। मगर अंतर सिर्फ यह था कि 2019 में कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर खुद कमलनाथ नहीं थे, बल्कि उनके बेटे नकुलनाथ ने यह चुनाव लड़ा था।
सातों विधानसभा सीटों पर है कांग्रेस का कब्जा
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती है। इनमें सातों पर 2023 के विधानसभा में कांग्रेस को जीत हासिल हुई है। इन सात सीटों में चार सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित सीटें है। आदिवासी वर्ग का मतदाता अब तक कांग्रेस के साथ रहा है। इस लिहाज से कांग्रेस इसे अब भी मजबूत मान रही है। लेकिन सातों सीटों पर कब्जा होने के बाद भी इस बार उसके लिए चुनौती खड़ी हुई है। भाजपा की जमावट के चलते कई नेता और कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए है, यह सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने आई है।
लोस चुनाव                  प्रतिशत
2019                          44.05
2014                          40.01
2009                          34.79
2004                          32.45