32 दिन में अदालत ने सुनाया फैसलाराजधानी में मासूम के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या के आरोपी को आज अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने महज 32 दिनों में सुनवाई कर यह फैसला दिया है.
भोपाल में विशेष न्यायाधीश कुमुदनी पटेल की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की बहस सोमवार से शुरू हुई थी, जो मंगलवार को पूरी हो गई. बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच विष्णु को अदालत में पेश किया गया था. अदालत ने विष्णु बामोरे को बच्ची के साथ ज्यादती, अप्राकृतिक कृत्य और उसके बाद हत्या की धाराओं में दोषी माना था. आज गुरुवार को अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया है. अदालत ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है. पुलिस ने 108 पेज का चालान पेश किया था और 40 लोगों को गवाह बनाया था. कोर्ट ने विष्णु बामोरे को बच्ची के साथ ज्यादती, अप्राकृतिक कृत्य और उसके बाद हत्या की धाराओं में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई. बता दें कि विष्णु को जब कोर्ट में पेश किया गया था तो वह रोने लगा था. उसने अदालत में कहा था कि उसे फांसी दे दी जाए. वारदात के 32 दिन में अदालत का फैसला आ गया है.
यह था मामला
राजधानी के कमला नगर थाना क्षेत्र की मांडवा बस्ती में 8 जून को बच्ची लापता होने की बात सामने आई थी. अगले दिन 9 जून को बच्ची की लाश बस्ती के नाले में मिली थी. इस अमानवीय घटना के बाद लोगों में आक्रोश फैल गया था. पुलिस ने आरोपी विष्णु को खंडवा से गिरफ्तार किया था. 17 जून को उसके खिलाफ कोर्ट में 108 पेज का चालान पेश किया गया. 19 जून को आरोप तय हुए थे. पुलिस ने कुल 40 लोगों को गवाह बनाया था. कोर्ट ने रिकार्ड समय में मामले की सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुना दिया.
कमलनाथ, शिवराज ने फैसले का किया स्वागत
मुख्यमंत्री कमलनाथ कहा है, भोपाल की मांडवा बस्ती में 8 जून को हुई मासूम बालिका के साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना के आरोपित को आज न्यायालय द्वारा त्वरित लिया गया फांसी की सजा का फैसला स्वागत योग्य है. कोर्ट के निर्णय पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन कुछ दिक्कतें भी हैं, जिनका कोई न कोई उपाय हमें खोजना होगा ताकि दोषी कहीं से भी बच न सकें. चौहान का कहना था कि इससे पहले भी 26 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, किंतु लोअर कोर्ट की सजा के बाद हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रपति तक गुहार लगाई जाती है, जिसमें कि कई बार दोषी को सजा में छूट मिलते हुए भी देखा गया है.
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