रविवार, 21 जुलाई 2019

घंटे बढ़ाने के बजाए बढ़ाने थे दिन

मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार रविवार को सदन की कार्यवाही चलाने को लेकर सियासी बयानबाजी भी होती रही. कांग्रेस ने जहां इसे ऐतिहासिक फैसला बताया तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा इसे कार्यमंत्रणा समिति का फैसला बता रही है.  वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने कहा कि यह कोई एहसान नहीं किया, बल्कि होना यह चाहिए था कि घंटे बढ़ाने के बजाय दिन बढ़ाए जाने चाहिए थे, ताकि जनप्रतिनिधि जनता के मुद्दों को ठीक तरह से सदन में रख सकता.
विधानसभा में कार्यवाही के दौरान आज मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि रविवार को विधानसभा लगाए जाने के फैसला ऐतिहासिक है. उन्होंने कहा कि भाजपा ने पिछले 15 सालों में कोई काम ही नहीं किया. इनके अध्यक्ष तो मौन बनकर बैठे रहते थे. श्रेय लेने की बात है तो इन्होंने कभी ऐसा फैसला क्यों नहीं किया. पटेल के इस बयान पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डा. सीताशरण शर्मा ने कहा कि आसंदी को लेकर इस तरह का बयान ठीक नहीं है.  रविवार को विधानसभा लगाकर हमारे ऊपर कोई एहसान नहीं किया. इनको विधानसभा के दिन बढ़ाने चाहिए थे न कि घंटे. उन्होंने कहा कि ऐसे में विधायकों को विषय की तैयारी का पर्याप्त समय भी नहीं मिल रहा है.
 पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस मुद्दे पर कहा कि आवयश्कता ही अविष्कार की जननी है. आज इस बात की आवश्यकता है, इसलिए ऐसा किया जाना कोई बड़ी बात नही हैं. भाजपा विधायक यशपालसिंह सिसोदिया ने अपने बयान मे कहा कि शनिवार, रविवार को विधानसभा लगाने का फैसला कार्यमंत्रणा समिति ने लिया था, कांग्रेस बेमतलब इस फैसले का श्रेय लेने की कोशिश न करे. इसे लेकर ओमकार मरकाम ने कहा कि रविवार के दिन विधानसभा की कार्यवाही का संचालन होना मध्यप्रदेश के विकास के लिए महत्वपूर्ण ह. मुख्यमंत्री कमलनाथ को इसके लिए धन्यवाद देता हूं. मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार रविवार को विधानसभा लगेगी, यह अच्छा निर्णय है.  निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने कहा कि रविवार को सत्र लगाने से यह साबित हो रहा है कि कमलनाथ की सरकार काम करने वाली सरकार है. उन्होने कहा कि बीजेपी की सरकार शायद काम करने वाली सरकार नहीं थी.
वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि कांग्रेस ही वह पार्टी है, जो छुट्टी के दिन भी विधानसभा का सत्र चलाने का कार्य करने की मंशा रखती आई है. यहां यह उल्लेखनीय है कि अप्रैल 1982 में जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, उस समय भी छुट्टी के दिन विधानसभा की बैठक आयोजित हुई थी और उसमें जनहित के कार्यों पर चर्चा के साथ ही महत्वपूर्ण निर्णय भी  लिए गए थे.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें