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| अजय सिंह |
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भले ही नारायण त्रिपाठी को अपने पाले में लाकर भाजपा को करारा झटका दिया हो, मगर उनके लिए त्रिपाठी परेशानी का कारण भी बनते नजर आ रहे हैं. पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंंह नारायण त्रिपाठी के पक्ष में कभी नहीं रहे. त्रिपाठी ही उनकी सतना से वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के कारण बने थे, जब अजय सिंंह 10 से भी कम मतों से यह चुनाव हारे थे. कांग्रेस विधायक रहते हुए त्रिपाठी ने अचानक मतदान के चंद घंटों पर पहले पाला बदला और अजय सिंह की हार का कारण बन गए थे. इसके बाद और पहले से ही नारायण त्रिपाठी और अजय सिंंह के बीच तनातनी होती रही. हाल ही में जब त्रिपाठी की कांग्रेस में वापसी हुई तो अजय सिंह ने खुलकर मीडिया में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि मेरी राय जगजाहिर है. आज इन दोनों नेताओं के आने के बाद पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता क्या सोच रहा होगा यह बात सोचनी चाहिए. पार्टी के इस वरिष्ठ नेता के सार्वजनिक तौर पर इस तरह नाराजगी जताने के बाद अब पार्टी के बड़े नेता भी सकते में है. वैसे विंध्य की सियासत में अजय सिंह और नारायण त्रिपाठी की सियासी अदावत कोई नई बात नहीं है. अजय सिंह के अलावा सतना जिला इकाई में भी अब त्रिपाठी को लेकर विरोध नजर आ रहा है. फिलहाल तो कार्यकर्ता और स्थानीय पदाधिकारी मौन हैं, मगर वे सब अजय सिंह के रुख का इंतजार कर रहे हैं.
राजनीतिक विश्लेषक भी यह मानते हैं कि नारायण त्रिपाठी के कांग्रेस के साथ आने पर भले ही पार्टी ने सदन में विरोधी दल भाजपा को अपनी ताकत दिखा दी हो, लेकिन इसका कोई बड़ा जमीनी लाभ पार्टी को नहीं मिलने जा रहा है. पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव में जिस तरह कांग्रेस को विंध्य में एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा है उससे इस क्षेत्र में मौजूदा पूरे सियासी समीकरण अब भी पार्टी के विरोध में ही दिखाई दे रहे हैं.

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