शुक्रवार, 11 मई 2018

मध्यप्रदेश का धामनोद बनेगा कॉटन यार्न हब

 ग्लोबल इंवेस्टर मीट के आयोजन के बाद राज्य शासन के द्वारा किये गये प्रयासों से अब परिणाम आने लगे हैं. उद्योगपतियों की रूझान इंदौर क्षेत्र में बढ़ने लगी हैं. मालवा में कॉटन उद्योग में लगभग दो हजार करोड़ रुपए का नया निवेश होने जा रहा हैं. लुधियाना का नाहर ग्रुप धामनोद में स्पीनिंग मिल शुरू कर यहां सूती धागा और कपड़ा बनाएगा. बताया जाता है कि इस उद्योग से करीब 5 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. राज्य शासन ने नाहर ग्रुप को धामनोद के पास जैतपुरा पलासिया में करीब 200 एकड़ जमीन देने की मंजूरी दे दी हैं. 
   औद्योगिक केन्द्र विकास निगम इंदौर के प्रबंध संचालक कुमार पुरूषोत्तम ने बताया कि धामनोद में कपास की प्रमुख मण्डी हैं. यहां औद्योगिक केन्द्र विकास निगम करीब 1500 एकड़ क्षेत्र में नया इंडस्ट्रियल एरिया विकसित किया जा रहा हैं. नाहर ग्रुप को इसी औद्योगिक क्षेत्र में जमीन दे दी गयी. करीब डेढ़ साल में धामनोद औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह विकसित हो जाएगा.    टेक्सटाइल एसोसिएशन आॅफ इंडिया मध्यप्रदेश यूनिट के चेयरमैन  कैलाश अग्रवाल ने बताया कि कंपनियों को यहां सस्ता श्रम भी उपलब्ध हैं. कपास से जुड़े उद्योग के लिए यहां कच्चा माल भी खूब हैं. गौरतलब है कि लुधियाना में कंपनी की शुरूआत 1949 में ओसवाल वूलेन मिल्स के साथ हुई थी. बाद में कंपनी ने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर दिया. वर्ष 1980 में कंपनी ने लुधियाना में स्पीनिंग और होजयरी यूनिट की शुरूआत की थी. इसके बाद कंपनी का विस्तार होता गया. मंडीदीप में भी कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है, जहां कॉटन और सिंथेटिक यार्न का निर्माण होता हैं. औद्योगिक विकास के लिए जिला प्रशासन द्वारा औद्योगिक विकास निगम को इंदौर, अलीराजपुर, बुरहानपुर, खरगोन, धार और खण्डवा में लगभग 6 हजार एकड़ जमीन दे दी हैं. निमरानी, बुरहानपुर, जैतपुरा पलासिया, बेटमा, भाबरा नये औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित किये जा रहें हैं. पीथमपुर के अलावा धामनोद और बुरहानपुर नये कॉटन हब के रूप में तेजी से विकसित किये जा रहें हैं. 
सर्वेक्षण के उपरांत यह तथ्य उभरकर सामने बाया है कि 75 प्रतिशत उद्योगपति इंदौर या उसके आसपास के 100 किलोमीटर की परिधि में उद्योग लगाना चाहते हैं. मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद और सूरत के उद्योगपति एयर कनेक्टीविटी के कारण इंदौर में ज्यादा रूचि ले रहें हैं. उनकी सोच है कि प्लेन से इंदौर आने के आद 1 घंटे के भीतर कार से उद्योग तक पहुंच जाएं.

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