कांग्रेस विधायक हेमंत कटारे के खिलाफ चालान पेश करने वाले भिंड जिले के अटेर एसडीओपी इंद्रजीत सिंह भदौरिया को हटा दिया गया है. राज्य सरकार ने उनके तबादला आदेश जारी करते हुए उन्हें पुलिस मुख्यालय अटैच किया है.
इंद्रजीत सिंह पर आरोप था कि उन्होंने सीनियर अधिकारियों को बताए बगैर विधायक हेमंत कटारे के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर उन्हें फरार बता दिया था. चालान में कमियां होने की वजह से कोर्ट ने ये चालान पुलिस को वापस कर दिया था.वहीं, इस कार्रवाई को नाकाफी बताते हुए विधायक हेमंत कटारे ने सरकार पर निशाना साधा है. कटारे ने एसडीओपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए सस्पेंड करने की मांग की है.
विधायक हेमंत कटारे और एसडीओपी के बीच इससे पहले भी विवाद सामने आ चुका है. दरअसल, भिंड जिले के अटेर विधानसभा से हेमंत कटारे के पिता सत्यदेव कटारे विधायक थे. उनके निधन की वजह से इसी साल हुए विधानसभा उपचुनाव में हेमंत कटारे ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. उपचुनाव के दौरान हेमंत कटारे ने एसडीओपी इंद्रवीर सिंह भदौरिया के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी अरविंद सिंह भदौरिया का एजेंट बताकर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने की शिकायत चुनाव आयोग को की थी. शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने एसडीओपी भदौरिया को हटा दिया था. बाद में सरकार ने भदौरिया को दोबार अटेर में ही पदस्थ कर दिया था.
इंद्रजीत सिंह पर आरोप था कि उन्होंने सीनियर अधिकारियों को बताए बगैर विधायक हेमंत कटारे के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर उन्हें फरार बता दिया था. चालान में कमियां होने की वजह से कोर्ट ने ये चालान पुलिस को वापस कर दिया था.वहीं, इस कार्रवाई को नाकाफी बताते हुए विधायक हेमंत कटारे ने सरकार पर निशाना साधा है. कटारे ने एसडीओपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए सस्पेंड करने की मांग की है.
विधायक हेमंत कटारे और एसडीओपी के बीच इससे पहले भी विवाद सामने आ चुका है. दरअसल, भिंड जिले के अटेर विधानसभा से हेमंत कटारे के पिता सत्यदेव कटारे विधायक थे. उनके निधन की वजह से इसी साल हुए विधानसभा उपचुनाव में हेमंत कटारे ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. उपचुनाव के दौरान हेमंत कटारे ने एसडीओपी इंद्रवीर सिंह भदौरिया के खिलाफ भाजपा प्रत्याशी अरविंद सिंह भदौरिया का एजेंट बताकर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने की शिकायत चुनाव आयोग को की थी. शिकायत मिलने के बाद चुनाव आयोग ने एसडीओपी भदौरिया को हटा दिया था. बाद में सरकार ने भदौरिया को दोबार अटेर में ही पदस्थ कर दिया था.
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