इलेक्ट्रॉनिक मीडिया क्षेत्र और राष्ट्रीय स्तर की कंपनी में शिखर पद पर कार्य कर चुके अमर सिंह सेंगर को जीवन में स्थिरता और प्रगति शासकीय योजना से मिली है. हितग्राही अमर सिंह सेंगर ने बताया कि वह स्वंय पहले मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ के न्यूज वर्ल्ड में स्टेट कॉर्डिनेटर थे फिर मेनकाइंड फार्मा कंपनी में रिजनल हेड का दायित्व निभाया है इस दौरान मैंने मालवा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान देखा कि छोटे-छोटे किसान शासकीय योजनाओं का लाभ लेकर एक सीजन में एक से दो लाख का मुनाफा कमा लेते थे और उन्हें इधर-उधर भटकने तथा कंपनी के वरिष्ठ की बाते सहने की आवश्यकता नही थी. उनकी कार्यप्रणाली ने मुझे खेती की ओर अग्रसर किया. उद्यानिकी विभाग की योजनाओं में मेरे जीवन में प्रगति और भ्रमण में स्थिरता लाई. सेंगर ने चर्चा के दौरान बताया कि कंपनी से त्यागपत्र देने के उपरांत मुझे जो राशि मिली उससे मैंने बैस नदी के किनारे जमीन खरीदी और उसे खेती बाडी के रूप में उन्नत करने लगा. इस कार्य में उद्यानिकी विभाग मित्र और जीवन साथी साबित हुआ है. उद्यानिकी विभाग के द्वारा पहले मुझे ट्रेक्टर फायनेंस किया गया. जिसकी नियमित किश्ते जमा कराने के उपरांत पॉली हाउस के लिए वित्त पोषण किया गया है. एक एकड़ में बनाए गए पॉली हाउस की कुल लागत 28 लाख थी जिसमें से आधी अनुदान राशि उद्यानिकी विभाग द्वारा प्रदाय की गई है. शासकीय योजनाओं और मेरी लगन ने जीवन को प्रगति के सोपान में अग्रसर किया है. अब मैं नियत समय पर घर पहुंचकर अपने बच्चों को टाइम दे रहा हूं. जहां पहले दिन-रात मुझे कंपनियों के काम अथवा खबरे कव्हरेज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था जिसमें अब स्थिरता आई है. आमदनी भी पहले से अधिक होने लगी है. हितग्राही ने बताया कि टमाटर से दो लाख 80 हजार, भिंडी से नब्बे हजार का एवं बरवटी से पचास हजार का फायदा हुआ. जीवन में हुए परिवर्तन की चर्चा करते हुए उन्हें बताया कि पहले कंपनी के लिए काम करते थे डेढ दो करोड का काम करने पर सलाना सात-आठ लाख का पैकेज मिलता था. अब स्थिति बदल गई है. सूट टाई को छोड़कर देशी किसान के रूप में आ गए है अंग्रेजी की जगह अब हिन्दी भाषा में काम हो रहा है. और अब मेरे पास युवाजन आते है जिन्हें मैं उद्यानिकी क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन से अवगत कराते हुए उन्हें स्वंय की खेतीबाडी करने हेतु प्रेरित कर रहा हूं.

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