भाजपा में कई दावेदार, कोर कमेटी की बैठक में तय हो सकता है प्रत्याशीमध्यप्रदेश में मुंगावली और कोलारस में होने जा रहे उपचुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर भाजपा की मुश्किल को बढ़ा दिया है. भाजपा में दोनों ही स्थानों पर दावेदारों की संख्या ज्यादा है, जिसके चलते पार्टी तय नहीं कर पाई कि किसे उम्मीदवार बनाया जाए. भाजपा इस संबंध में 30 जनवरी को होने वाली कोर कमेटी की बैठक में फैसला कर सकती है. मुंगावली और कोलारस में भाजपा से पहले कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन कर भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. कांग्रेस ने मुंगावली में नये चेहरे पर दांव खेलते हुए बृजेन्द्र सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है, तो कोलारस में सहानुभूति बटोरने के लिए पूर्व विधायक के बेटे महेन्द्र सिंह यादव पर दांव खेला है. कांग्रेस फिलहाल दोनों ही स्थानों पर अपनी स्थिति को मजबूत मान कर चल रही है. वहीं भाजपा दोनों ही स्थानों पर चुना
व की तारीख घोषित होने के पहले से जमीनी जमावट कर चुकी है. इसके अलावा दोनों ही स्थानों पर आधा-आधा दर्जन मंत्रियों की तैनाती कर वहां पर कई घोषणाएं कराते हुए विकास के नाम पर सभाएं करा रही है. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा खुद दोनों स्थानों पर डटे हैं साथ ही सभाएं और बैठकें कर रहे हैं. इसके अलावा चुनाव की तारीख की घोषणा के पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी दोनों क्षेत्रों में सभाएं कर कई घोषणाएं कर चुके हैं. फिर भी भाजपा संगठन में चिंता इस बात की है कि टिकट के दावेदारों की संख्या कहीं भीतरघात न कर दे. इसके लिए संगठन भी सक्रिय हुआ है. अब जबकि कांग्रेस ने भाजपा से पहले प्रत्याशी की घोषणा कर दी तो भाजपा के दावेदारों की सक्रियता भी बढ़ी है. भाजपा के दावेदार लगातार संगठन पर दबाव बनाए हुए हैं. बताया जाता है कि भाजपा में दोनों ही स्थानों पर आधा-आधा दर्जन दावेदार हैं, जिनके कारण संगठन यह तय नहीं कर पा रहा है कि किसे प्रत्याशी बनाया जाए. अब भाजपा ने इसके लिए 30 जनवरी को होने वाली कोर कमेटी की बैठक में नाम तय करने का फैसला लिया है. सूत्रों की माने तो इस बैठक में भाजपा संगठन राष्ट्रीय नेतृत्व को यहां पर किसे प्रत्याशी बनाया जाए, इसकी जानकारी दे सकता है.
शिवराज, सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर
मुंगावली और कोलारस उपचुनाव में भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और कांग्रेस की ओर से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. दोनों ही क्षेत्र सिंधिया के प्रभाव वाले हैं और प्रत्याशी चयन भी उनकी पसंद का है. वहीं भाजपा में शिवराज सिंह चौहान की पसंद पर ही प्रत्याशी का चयन होना तय माना जा रहा है. दोनों ही स्थानों पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर संगठन पदाधिकारियों के अलावा मंत्रियों ने सिंधिया के खिलाफ पूर्व से ही मोर्चा खोल रखा है. मगर संघ की बदली रणनीति के बाद से भाजपा अब सिंधिया पर सीधा और व्यक्तिगत हमलों से बचना चाह रही है. संघ द्वारा कराए सर्वे में जब इस बात का खुलासा हुआ कि भाजपा के सिंधिया पर किए हमलों से भाजपा की स्थिति और कमजोर हुई है, तो संघ खुद चिंतित हो उठा.
यशोधरा की उपेक्षा भी पड़ेगी भारी
मुंगावली और कोलारस दोनों ही स्थानों पर भाजपा ने अभी तक खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया से चुनावी रणनीति पर कोई चर्चा नहीं की. इतना ही नहीं, दोनों ही स्थानों पर प्रभारी बनाए जाने से लेकर मंत्रियों की तैनाती में भी उनकी राय नहीं ली गई. इससे यशोधरा नाराज चल रही है. जबकि यशोधरा राजे का दोनों ही स्थानों पर खासा प्रभाव रहा है, विशेषकर कोलारस विधानसभा क्षेत्र में उनकी अच्छी छवि है. इतना ही नहीं यहां पर वे अपनी पसंद का प्रत्याशी मैदान में उतरना चाह रही थी, मगर भाजपा द्वारा की गई उपेक्षा के चलते वे अब मौन हैं. सूत्रों की माने तो यशोधरा की उपेक्षा भाजपा के लिए भारी पड़ सकती है.

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