मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ जिले के जनपद पंचायत जतारा ग्राम बिजरावन निवासी सुनीता पत्नी हरपाल सिंह परिवार में आय के सीमित साधन होने के कारण परेशान रहती थीं. आत्मनिर्भर बनने के लिये सुनीता गाँव में मध्यप्रदेश दीनदयाल अन्त्योदय योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संचालित बगाज माता स्व-सहायता समूह में शामिल हुईं. उन्हें अपने कार्य और लगन के कारण सीएमटी के रूप में कार्य करने का अवसर मिला, जिसमें इन्होंने आस-पास के कई ग्रामों में समूह गठन का कार्य किया.इसके बाद सुनीता राजा ने व्यवासायिक गतिविधि की योजना बनाई. सुनीता ने मध्यांचल ग्रामीण बैंक दिगौड़ा से 50 हजार रुपए का ऋण लेकर ग्राम बिजरावन में मनहारी की दुकान खोली.इससे रोज की आमदानी 300-400 रुपए तक होने लगी.दुकान की सफलता ने हौसला बढ़ाया तो अन्य महिलाओं को भी रोजगार से जोड़ने की योजना बनाई. सुनीता नवज्योति महिला बहुउद्देशीय सहकारी साख समिति मर्यादित दिगोड़ा की सदस्य बनीं और क्लस्टर स्तर की गतिविधि करने की योजना बनाई.कच्ची चूड़ी में पेंटिंग, डिजाइन, कड़े बनाने का कार्य करने का निर्णय लिया तथा फिरोजाबाद का एक्सपोजर भ्रमण कर चूड़ी बनाने की ट्रेनिंग ली.कच्ची चूड़ी की सामग्री लाकर दिगोड़ा में ही ग्रामीण महिलाओं को चूड़ी बनाने की ट्रेनिंग करवायी.सुनीता ने शुरूआत में 20 से 25 महिलाओं को चूड़ी बनाने का प्रशिक्षण दिलवाया और दिगोड़ा में एक थोक दुकान खोली. इसके बाद इनका चूड़ी का कारोबार चल पड़ा. आज आसपास के 20 से 25 ग्रामों के चूड़ी व्यापारी इन्हीं महिलाओं की बनाई चूड़ियां बेच रहे हैं.सुनीता ने अब मार्केटिंग के लिये कई योजनाओं से अनुबंध करने की योजना बनाई है.साथ ही, कम से कम 100 महिलाओं को इस गतिविधि से जोड़कर लाभ पहुंचाने की योजना भी बनाई है.

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें