गुरुवार, 25 जनवरी 2018

मिर्ची की खेती ने किसान की जिंदगी में घोली मिठास

मध्यप्रदेश  के  छोटी हरदा के किसान संतोष जेवल्या की जिंदगी में मिर्ची की खेती की बदौलत मिठास घुल गई है. रबी सीजन में सालों से गेहूं की फसल लेने वाले संतोष को मिर्ची की खेती से अच्छी आमदनी मिल रही है. नतीजतन बारहवीं तक पढे़ संतोष ने बेटी को फैशन डिजायनिंग कोर्स के लिए इटली भेजा है. वे कहते हैं गेहूं की परम्परागत फसल को बदलकर मिर्ची लगाने का फैसला सही रहा. संतोष ने अपनी 14 एकड़ जमीन पर 7 साल पहले शासकीय सहायता से 5 लाख रुपए का ड्रीप सिस्टम लगवाया था. उन्हें 2 लाख रुपए अनुदान भी मिला. संतोष बताते हैं कि मिर्ची लगाने का प्रति एकड़ खर्च लगभग डेढ लाख रुपए आता है और सभी खर्चे काटकर हर हाल में डेढ लाख रुपए का मुनाफा हो जाता हैं. संतोष ने अपनी सूझबूझ से मिर्ची की खेती से 5 लाख रुपए प्रति एकड़ का मुनाफा लिया है. अब एक एकड़ में 500 क्विंटल तक मिर्ची का उत्पादन ले रहे हैं. कृषक संतोष जेवल्या का स्पष्ट मानना है कि सही मेहनत की जाए तो मिर्ची की खेती में नुकसान का प्रश्न ही नहीं उठता.
संतोष रोज सुबह 5 बजे से 10 बजे तक पांच घंटे खेत में लगातार मेहनत करते हैं. इन्होंने नवंबर महीने में मिर्ची की बेड और मल्चिंग पद्धति से बोवनी की थी. इन दिनों पौधों में हरी-हरी तीखी मिर्ची की बहार आई हुई है. इन्हें प्रति-दिन बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन मिल रहा है.
किसान संतोष जेवल्या सात साल से मिर्ची की खेती कर रहे हैं. पहली बार से ही इन्हें मिर्ची का अच्छा उत्पादन मिलने लगा था. अब वे हर साल 14 एकड़ रकबे में मिर्ची लगा रहे हैं. फसल में ड्रिप सिस्टम से पानी देते हैं. यह स्थिति है कि उन्हें मिर्ची बेचने के लिए बाजार तलाशने की भी जरूरत नहीं पड़ती. मुम्बई, इंदौर, भोपाल, खण्डवा के खरीददार खेत से ही मिर्ची लोड कर ले जाते हैं. कई किसान इनकी मिर्ची की खेती देखने के लिए किसान दूर-दूर से यहां पहुंच रहे हैं. पिछले कुछ सालों में जिले के कई किसानों ने उद्यानिकी खेती की ओर रुख किया है.
उद्यानिकी विभाग के मुताबिक हरदा जिले में 875 एकड़ में किसान मिर्ची की खेती कर रहे हैं. मिर्ची से किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हुआ है. इससे मिर्ची की खेती के रकबे में निरंतर वृद्धि भी हो रही है.

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