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| नवनीत |
बैतूल जिले के बैतूल एवं घोड़ाडोंगरी विकासखण्ड में लगभग 6-7 हजार एप्पल बेर के पेड़ वर्तमान में फलन पर हैं, जिनके फल सिर्फ बैतूल के बाजारों में ही नहीं, बल्कि बैतूल के आसपास इटारसी, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, नागपुर, अमरावती आदि जिलों के बाजारों में भी धूम मचा रहे हैं. एप्पल बेर की जैविक रूप से खेती करने वाले बैतूल बाजार निवासी किसान नवनीत पुत्र श्यामकिशोर वर्मा कोई सामान्य किसान नहीं हैं, बल्कि तकनीकी रूप से जागरूक कृषि स्नातक किसान हैं, जिन्होंने आज से दस वर्ष पूर्व इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय से कृषि में स्नातक की डिग्री हासिल की है. नवनीत अपनी डिग्री के दौरान हासिल किताबी ज्ञान को किसी छोटी-मोटी नौकरी कर उपयोग करने की बजाय वर्तमान में जमीनी स्तर पर प्रयोग कर अपनी परम्परागत खेती को नई तकनीक से जोड़ने में प्रयोग कर रहे हैं.
नवनीत के परिवार में कुल 15 एकड़ जमीन है, जिस पर पूर्व में उनके पिता श्यामकिशोर वर्मा भी कृषि की नवीन तकनीक अपनाकर सोयाबीन, गन्ना, गेहूं आदि कृषि की फसलों एवं कुछ सब्जियों की खेती करते थे, जिससे होने वाली खेती में सामान्य आमदनी होती थी. चूंकि नवनीत स्वयं कृषि स्नातक है, एक दिन यूं ही बैठे-बैठे उद्यानिकी की खेती करने का जोखिम उठाने की बात उनके दिमाग में आई. जोखिम इसलिए क्योंकि शहर के पास जमीन होने के कारण उद्यानिकी की फसलें उगाने हेतु लगने वाले मजदूर आसानी से एवं उचित दाम में नहीं मिल पाते थे, परन्तु जब नवनीत ने कुछ नया करने का मन में ठान ही लिया था, तो सफलता कैसे हाथ नहीं लगती और यहीं से शुरूआत होती है नवनीत के जैविक एप्पल बेर की कहानी.
वर्ष 2015 में नवनीत ने उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में अपनी 1.5 एकड़ जमीन में महाराष्ट्र से मंगवाकर एप्पल बेर के लगभग 500 पेड़ लगाए. शुरू से ही एक जागरूक किसान की तरह नवनीत ने अपने बगीचे में किसी भी तरह के रसायन का प्रयोग न करते हुए पूर्ण रूप से स्वयं के द्वारा बनाए जा रहे जैविक खाद एवं जैविक दवाइयों का उपयोग किया. कई तरह के जैविक ट्रैप का प्रयोग भी अपने बगीचे में किया. साथ ही समय-समय पर अपने बेर के पेड़ों का उचित जैविक उपचार भी किया. नवनीत की मेहनत आज उनके जैविक एप्पल बेर के स्वाद में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. पहले दो सालों तक बेर के पेड़ों में दोनों तरफ डेढ़-डेढ़ फीट की पट्टी छोडकर नवनीत ने दो लाइनों के बीच में पहले साल फूलगोभी एवं दूसरे साल मटर की फसल ली, जिससे उन्हें लगभग एक लाख 20 हजार रूपए की अतिरिक्त आय भी हुई. तीसरे साल से बेर के पेड़ों में व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ हो गया. नवनीत के एक-एक जैविक एप्पल बेर का औसत वजन लगभग 100 से 165 ग्राम तक है. वर्तमान में नवनीत प्रतिदिन लगभग एक क्विंटल बेर की रोजाना तुड़ाई कर रहे हैं जो थोक में लगभग 35 रूपए एवं चिल्लर में 50 से 60 रूपए प्रति किलो की कीमत में आसानी से बिक रहे हैं. अभी तक लगभग चार क्विंटल जैविक एप्पल बेर की तुड़ाई की जा चुकी है. नवनीत का अनुमान है कि इस वर्ष कुल 80 से 100 क्विंटल जैविक एप्पल बेर की उपज उन्हें प्राप्त हो जाएगी. नवनीत के जैविक एप्पल बेर के फलों का स्वाद चखकर एवं उनकी सफलता को देखकर बैतूल जिले के अन्य कई कृषक भी एप्पल बेर की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. मध्यप्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा नवनीत को उनके जैविक एप्पल बेर को सीधे ग्राहकों को बेचने में मदद की जा रही है, जिससे हो रहे लाभ से प्रोत्साहित होकर नवनीत आने वाले वर्ष में एप्पल बेर के रकबे में बढ़ोत्तरी करने की ओर अग्रसर हैं. एप्पल बेर के अलावा नवनीत आने वाले वर्षों में अन्य कई नई उद्यानिकी फसलें जैसे ड्रेगन फ्रुट, थाई अमरूद, लीची आदि की खेती करने में भी अपना हाथ आजमाना चाहते हैं.

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