मध्यप्रदेश के मुख्तियारगंज जिला उमरिया में एक जरूरी काम से आये सतना निवासी मोहम्मद चांद खाँ ठण्ड से परेशान थे. उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह कोई वूलन स्वेटर, कोट आदि खरीद कर ठण्ड से बचाव कर पायें. इसी दौरान आनंदक और नेकी की दीवार के स्वयंसेवक दीपम दर्दवंशी की उन पर नजर पड़ी.
दीपम ने चाँद खाँ से जब गर्म कपड़ों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वह सतना के रहने वाले हैं. इस शहर में जरूरी काम से आये हैं. उनके पास ठण्ड से बचाव के लिये कपड़े नहीं हैं और न ही इतने पैसे हैं कि नये कपड़े खरीद सकें. दीपम चाँद खाँ को नेकी की दीवार ले गये और कहा कि वह अपनी पसंद का कपड़ा ले सकते हैं. पहले तो चाँद खाँ को संकोच हुआ, लेकिन जब दीपम ने बताया कि नेकी की दीवार में संग्रहित किये गये कपड़े ऐसे ही जरूरतमंदों के लिये हैं और आप उसके सच्चे हकदार हैं तो उनकी झिझक दूर हुई. चाँद खाँ ने अपनी फिटिंग का एक वूलन कोट निकाला और तत्काल पहन लिया. कोट पहनकर ठंड से बचाव का उन्होंने इंतजाम कर लिया. इसका अहसास चाँद खाँ के चेहरे पर यह कहते हुए झलक पड़ा यह तो वास्तव में नेकी की दीवार है, हम गरीबों का सहारा भी है.
चाँद खाँ ने बताया कि वह लोगों को इस तरह के कोट पहने देखा करते थे तो उनकी भी इच्छा होती थी कि वह भी ऐसा कोट पहनें. आखिर खुदा ने उन्हें ऐसा मौका दिया. कोट पहनने के बाद चाँद खाँ ने दीपम से पूछा कि इसकी कीमत भी देना होगी. दीपम ने उन्हें बताया कि यह पूरी तरह नि:शुल्क है, यह किसी के द्वारा दान किया गया है, जो किसी जरूरतमंद को दिया जाना है. नेकी की दीवार संचालित कर गरीबों को उनकी जरूरत के कपड़े दिये जा रहे हैं. इस पर चाँद खाँ अपनी विशिष्ट शैली में जमीन पर बैठे और उन्होंने जिला प्रशासन और सरकार के लिये अल्लाह से दुआ माँगी.उमरिया जिले में नेकी की दीवार काफी लोकप्रिय हो रही है. रोजाना 25-30 जरूरतमंद अपनी जरूरत का सामान प्राप्त कर रहे हैं. नागरिक भी सहयोग करने में पीछे नहीं हैं और नेकी की दीवार में भरपूर सहयोग दे रहे हैं.
दीपम ने चाँद खाँ से जब गर्म कपड़ों के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वह सतना के रहने वाले हैं. इस शहर में जरूरी काम से आये हैं. उनके पास ठण्ड से बचाव के लिये कपड़े नहीं हैं और न ही इतने पैसे हैं कि नये कपड़े खरीद सकें. दीपम चाँद खाँ को नेकी की दीवार ले गये और कहा कि वह अपनी पसंद का कपड़ा ले सकते हैं. पहले तो चाँद खाँ को संकोच हुआ, लेकिन जब दीपम ने बताया कि नेकी की दीवार में संग्रहित किये गये कपड़े ऐसे ही जरूरतमंदों के लिये हैं और आप उसके सच्चे हकदार हैं तो उनकी झिझक दूर हुई. चाँद खाँ ने अपनी फिटिंग का एक वूलन कोट निकाला और तत्काल पहन लिया. कोट पहनकर ठंड से बचाव का उन्होंने इंतजाम कर लिया. इसका अहसास चाँद खाँ के चेहरे पर यह कहते हुए झलक पड़ा यह तो वास्तव में नेकी की दीवार है, हम गरीबों का सहारा भी है.
चाँद खाँ ने बताया कि वह लोगों को इस तरह के कोट पहने देखा करते थे तो उनकी भी इच्छा होती थी कि वह भी ऐसा कोट पहनें. आखिर खुदा ने उन्हें ऐसा मौका दिया. कोट पहनने के बाद चाँद खाँ ने दीपम से पूछा कि इसकी कीमत भी देना होगी. दीपम ने उन्हें बताया कि यह पूरी तरह नि:शुल्क है, यह किसी के द्वारा दान किया गया है, जो किसी जरूरतमंद को दिया जाना है. नेकी की दीवार संचालित कर गरीबों को उनकी जरूरत के कपड़े दिये जा रहे हैं. इस पर चाँद खाँ अपनी विशिष्ट शैली में जमीन पर बैठे और उन्होंने जिला प्रशासन और सरकार के लिये अल्लाह से दुआ माँगी.उमरिया जिले में नेकी की दीवार काफी लोकप्रिय हो रही है. रोजाना 25-30 जरूरतमंद अपनी जरूरत का सामान प्राप्त कर रहे हैं. नागरिक भी सहयोग करने में पीछे नहीं हैं और नेकी की दीवार में भरपूर सहयोग दे रहे हैं.

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